श्रेय: इंडिया टाइम्स।

रेप के मामले में पकड़ा गया पुरुष आरोपी निकली महिला, कहा- 'मैं तो रेप ही नहीं कर सकती हूं'

सिरोही, राजस्थान। पुलिस ने रेप और किडनैप के आरोप में जिस आरोपी को पकड़ा था वह एक महिला निकली जिसकी तीन साल की एक बेटी भी है। पुलिस ने मेडिकल जांच करवाई जिसमे पता चला वह असल में एक महिला है। आरोपी बार बार कह रही थी की मैं महिला हूं मैं रेप ही नहीं कर सकती हूं लेकिन पुलिस को विश्वास नहीं हो रहा था।

क्या था मामला?

मामला सिरोही ज़िले के मेड़ा गांव का हैं जहां महिला पुलिस थानाधिकारी एसआई माया पंडित ने बताया की 28 नवंबर को एक नाबालिग लड़की के रेप और किडनैप की रिपोर्ट थाने में दर्ज करी गई थी जिसमे आरोपी का नाम शंकर था। रिपोर्ट के अनुसार संकर ने पहले पीड़िता लड़की को किडनैप किया और 2 दिन लगातार रेप किया था जिसके बाद उसने पीड़िता को सारणेश्वरजी के पास एक ऑटो में छोड़ कर दूसरी तरफ चला गया। पुलिस युवक काफी खोजबीन के बाद भी नहीं पकड़ पाई और न ही पीड़िता के गांव में कोई शंकर नाम का आदमी मिला था।

पीड़िता के बताए हुए हुलिए पर पुलिस ने एक युवक को पकड़ कर थाने ले गई। पुलिस की जांच में वह युवक ने कहा की वह उसे लेकर गया था लेकिन उसने रेप नहीं किया और साथ में वो यह भी कहता रहा की वह लड़का नहीं लड़की है और वह रेप नहीं कर सकती है जिसपर पुलिस को विश्वास नहीं हुआ था।सिरोही थानाधिकारी ने ज़िला अस्पताल के चिकित्सक को लेटर लिख कर मेडिकल जांच करने को कहा जिसमे पता चला की वह सही बोल रहीं थी। वह युवक एक महिला थी जिसकी 3 साल की एक बेटी भी थी। पीड़िता की मां और मौसी ने ये बात मेडिकल टीम से बातचीत के दौरान कुबूल ली की लड़की का रेप नहीं हुआ जब की पीड़िता की एफएसएल रिपोर्ट अभी तक आई नहीं है।

आरोपी लड़की की कहानी

आरोपी युवक जो किसी महिला थी उसपर रेप का आरोप तो झूठा पाया गया लेकिन लड़की को बहला फुसला कर ले जाने के मामले में अपराधी पाया जिसपर आरोपी को जोधपुर जेल भेज दिया गया है। आरोपी महिला ने बताया की पति के छोड़ देने के बाद वह लड़के की तरह रहने लगी थी और यह भी बताया की उसके भाई ने उसे बेच दिया था और मामा बाप की बचपन में ही मौत हो गई थी।

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कर्जदार की मृत्यु होने पर क्‍या होता है कर्ज का, बैंक कैसे वसूलते हैं अपना पैसा जानिए यहां

कई लोगों को यह गलतफहमी भी है कि यदि कर्ज लेने वाले व्यक्ति की अचानक मृत्यु हो जाती है तो उसका कर्ज भी माफ हो जाता है।

Written by: Sarabjeet Kaur
Published on: May 29, 2020 20:50 IST

What happens on death of borrower, how banks recover their money know here- India TV Hindi

Photo:GOOGLE

What happens on death of borrower, how banks recover their money know here

आज हर चीज लोन पर निर्भर है, चाहे वह बिजनेस हो, शिक्षा हो, घर हो, कार हो या शादी हो सभी के लिए लोन लिया जाता है और बैंक या एनबीएफसी ऑटो लोन, पर्सनल लोन, होम लोन, बिजनेस लोन, एजुकेशन लोन आदि उपलब्‍ध करवाते हैं। हम सभी जानते हैं कि लोन को पूरा चुकाने के बाद ही हम कर्ज से मुक्‍त होते हैं। कई लोगों को यह गलतफहमी भी है कि यदि कर्ज लेने वाले व्‍यक्ति की अचानक मृत्‍यु हो जाती है तो उसका कर्ज भी माफ हो जाता है। ऐसा बिल्कुल नहीं है। तो जानिए कर्जदार की मृत्यु के बाद बैंक से लिए कर्ज का क्‍या होता है, कौन इसके लिए जिम्‍मेदार होता है और क्या हैं कर्ज चुकाने के नियम।

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क्रेडिट कार्ड का बकाया

अगर किसी कारण क्रेडिट कार्ड होल्डर की मृत्यु हो जाती है तो क्रेडिट कार्ड की बकाया रकम मृतक के उत्तराधिकारी को विरासित में मिली संपत्ति में से चुकानी पड़ती है।

होम लोन का बकाया

मृतक का उत्तराधिकारी, जिसे मृतक की संपत्ति पर अधिकार मिला है वहीं बैंक का बकाया चुकाने के लिए जिम्‍मेदार होगा। बिना बैंक लोन चुकाए इस संपत्ति में हिस्सा नहीं लिया जा सकता है। कानूनी वारिस की जिम्‍मेदारी होती है कि वह बकाया ऋण को चुकाए ऐसा करने में असमर्थ होने पर बैंक मृतक की संपत्तियों पर कब्ज़ा कर सकते हैं।

अधिकांश बैंक और फाइनेंशिल कंपनियां लोन देने समय ही ग्राहकों को टर्म इंश्योरेंस भी उपलब्‍ध कराते हैं ताकि होम लोन को उसके जरिये सुरक्षित किया जा सके। इंश्‍योरेंस के मामले में बीमा कंपनी कर्जदार की मृत्‍यु के मामले में बकाया ऋण चुकाती है।

पैसाबाजार डॉट कॉम के डायरेक्‍टर और हेड, अनसिक्‍योर्ड लोन, गौरव अग्रवाल कहते हैं कि कर्जदार के असमय निधन पर लोन संस्थान क्या कदम उठाएगा ये इस बात पर निर्भर करता है कि लोन का बीमा किया गया था या नहीं। यदि बीमा पॉलिसी के माध्यम से लोन को कवर किया गया था, तो लोन संस्थान बीमा कंपनी से बकाया लोन राशि का क्लेम कर सकता है। हालांकि, अगर लोन बीमा पॉलिसी के माध्यम से कवर नहीं किया गया था, तो लोन चुकाने की ज़िम्मेदारी सह-उधारकर्ता, गारंटर या मृतक के कानूनी उत्तराधिकारी की हो जाएगी। वे लोन को अपने नाम पर ट्रांसफर कर सकते हैं और मौजूदा नियमों और शर्तों के अनुसार भुगतान कर सकते हैं। अगर आप कानूनी वारिस नहीं हैं तो बैंक के पास ये पूरा हक होता है कि वो आपकी प्रॉपर्टी को बेचकर अपना बकाया पूरा कर सकते हैं। बाकी बची रकम वारिस को सौंप दी जाती है। ध्यान रहे कि ये नियम मोर्टगेज लोन पर लागू होता है।

बैंक बाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी बताते हैं कि ऋणदाता हमेशा सेक्योर्ड और अनसेक्योर्ड कर्ज को अलग तरीके से डील करता है। अगर सेक्योर्ड लोन सह-आवेदक के साथ लिया गया है तो कर्जदार की मृत्यु के बाद सह-आवेदक की जिम्‍मेदारी होती है कि वह लोन चुकाए। अगर कोई सह-आवेदक नहीं होता है तो उस मामले में कानूनी उत्तराधिकारी के उपर लोन चुकाने की जिम्मेदारी आती है। कानूनी उत्तराधिकारी अगर चाहे तो बैंक के साथ वन टाइम सेटलमेंट कर सकता है या फिर लोन को अपने नाम पर ट्रांसफर कर उसे चुका सकता है।

ऑटो लोन बकाया

ऑटो लोन लेने वाले कर्जदार के मृत्यु के बाद वहीं नियम लागू होते हैं जो होम लोन के रिपेमेंट पर लागू होते हैं। पहले मृतक के वारिसा को कर्ज चुकाने के लिए बोला जाता है और अगर वह कर्ज नहीं चुका पाता है तब बैंक मृतक के वाहन को जब्त कर उसकी नीलामी के जरिये पैसा वसूलते हैं।

समीर मित्‍तल एंड एसोसिएट्स एलएलपी के मैनेजिंग पार्टनर समीर मित्‍तल के मुताबिक लोन चुकाने की मुख्य जिम्मेदारी सह-ऋणी या गारंटर की होती है। सबसे बड़ी बात यहां यह है कि सह-ऋणी या गारंटर उत्तराधिकारी नहीं होते हैं। लोन के पैसे वसूलने के मामले में सबसे बुरे हालात में ये होता है कि सह-ऋणी या गारंटर की गैर-मौजूदगी में बैंक मृतक के कानूनी उत्तराधिकारी से संपर्क करता है।

अगर बकाया लोन मृतक के उत्तराधिकारी द्वारा पूरा नहीं किया जाता तो ऐसी स्थिति में बैंक मृतक की बाकी मौजूदा संपत्ति जैसे घर, कार की निलामी कर अपने बकाया लोन को वसूलते हैं।

बिजनेस लोन बकाया

बिजनेस लोन के समय बैंक उसी समय ये सुनिश्चित कर लेती है कि लोन लेने वाले की मृत्यु के बाद बिजनेस लोन का बकाया कौन चुकाएगा। बैंक बिजनेस लोन का पहले ही इंश्योरेंस कवर ले लेते हैं और उसका प्रीमियम बिजनेस लोन लेने वाले व्यक्ति से पहले ही वसूल लिया जाता है और कर्जदार की मृत्यु के बाद बैंक डायरेक्‍ट इंश्योरेंस कंपनी से बची हुई रकम वसूल लेता है।

इसके अलावा बैंक बिजनेस लोन के कुल अमाउंट के बराबर कोई संपत्ति जैसे सोना, जमीन, घर या प्‍लॉट, शेयर, फिक्स्ड डिपॉजिट गारंटी के तौर पर गिरवी रख लेता है। अगर कर्जदार की मृत्यु हो जाती है तो बैंक उक्‍त संपत्ति को बेचकर अपने पैसे की वसूली करता है।

पर्सनल लोन बकाया

पर्सनल लोन असुरक्षित लोन होता है। हालांकि पर्सनल लोन के मामले में भी बैंक कर्जदार के वारिस से ही बकाया देने को बोलता है। लेकिन, पर्सनल लोन क्योंकि हमेशा इंश्योर्ड लोन होता है और ईएमआई की रकम के साथ इंश्योरेंस प्रीमियम ग्राहक द्वारा भरा जाता है। इसलिए, बैंक कर्जदार की मौत के बाद बकाया लोन रकम इंश्योरेंस कंपनी से डायरेक्ट वसूल लेता है।

Delhi: एलजी के निर्देश पर व्यापार और कर विभाग में हुए तबादले, यहां जानिए !

Delhi: एलजी के निर्देश पर व्यापार और कर विभाग में हुए तबादले, यहां जानिए !

दिल्ली न्यूज डेस्क . दिल्ली के व्यापार एवं कर विभाग में निष्पक्षता, जवाबदेही और पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से मध्य स्तर पर 5-7 साल से तैनात 28 कर्मचारियों को वहां से हटा दिया गया है। एलजी के कार्यालय ने एक बयान में कहा। यह कार्रवाई मुख्य सचिव ने दिल्ली के एलजी वी.के. सक्सेना ने की। कहा गया है कि केवल उन पहली बार काम करने वालों को पदस्थापित किया गया है, जिन्होंने विभाग में कभी काम नहीं किया और वे सभी अधिकारी जो वहां बार-बार पोस्टिंग पर थे, उन्हें हटा दिया गया है। उपराज्यपाल के कार्यालय ने कहा, अधिक से अधिक संभव निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए अन्य गैर-संवेदनशील विभागों से व्यापार और कर विभाग में स्थानांतरित करते समय पहले आओ पहले जाओ सिद्धांत का पालन किया गया था।

जयपुर की गलियों से स्विट्ज़रलैंड तक का शानदार सफर! दसवीं फेल ऑटो रिक्शा ड्राइवर की अनोखी प्रेम कहानी

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कहते हैं यदि इंसान में कुछ करने की चाह तो वहाँ रास्ते अपने आप बनते चले जाते हैं। अगर आपके अंदर लगन है तो आप सारी मुश्किलें आसानी से हल कर सकते हैं। ये कहानी है जयपुर के रंजीत सिंह राज की जिसने महज 16 साल की उम्र में ऑटो रिक्शा चलाने से शुरुआत की और आज अपनी मेहनत के दम पर फ्रांस के रेस्त्रां में काम कर रहा है। जयपुर की गलियों से फ्रांस तक का सफर यकीनन आसान नहीं था लेकिन राज की हिम्मत के आगे सभी मुश्किलों ने हार मान ली।

कुछ लोगों की जिंदगी उतार चढ़ाव से भरी होती है। जयपुर के रंजीत सिंह राज की कहानी भी कुछ ऐसी ही क्या मैं ऑटो व्यापार कर सकते हैं? है। जयपुर की गुलाबी गलियों में रिक्शा चलाने से निकलकर फ्रांसीसी रेस्त्रां में काम करने तक का सफर यकीनन राज की कहानी को जानने लायक बनाता है। हिम्मत, लगन और कड़ी मेहनत। राज की जिंदगी में इन तीनों पहलुओं का बहुत महत्व है। राज का जीवन शुरू से ही बहुत अच्छा नहीं रहा है। वंचित परिवार से होने के कारण राज का बचपन गरीबी और कम संसाधनों में बीता है। एक तरफ जहाँ परिवार वालों ने राज का दाखिला स्कूल में कराया जिससे राज अपनी जिंदगी में कुछ बड़ा कर सके वहीं दूसरी तरफ राज की जिज्ञासा उस स्कूल तक ही सीमित नहीं थी।

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श्रेय: एनआरआई अफेयर्स।

राज बताते हैं, "मैं दसवीं कक्षा में फेल हो गया था। मैं पढ़ाई में कभी क्या मैं ऑटो व्यापार कर सकते हैं? अच्छा नहीं था। लेकिन परिवार वाले मुझे कुछ अच्छा और बड़ा करते हुए देखना चाहते थे। जिसके लिए स्कूल में नाम लिखा दिया गया। उस क्या मैं ऑटो व्यापार कर सकते हैं? समय शायद किसी को मेरी रुचि और क्रिएटिविटी की पड़ी ही नहीं थी। वहीं दूसरी तरफ मैं स्कूल जाने के लिए एकदम तैयार नहीं था।"

राज ने 16 साल की उम्र में जयपुर में ऑटो रिक्शा चलाना शुरू किया। ये वो काम है जो उन्होंने कई सालों तक किया। उस समय तक राज को अंदाजा भी नहीं था कि उसके लिए किस्मत में आगे कुछ बड़ा लिखा है। बिजनेस से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं था। इसलिए आगे क्या करना है इसके बारे में भी कभी गहराई से नहीं सोचा गया था। लेकिन एक चीज थी जो राज को आकर्षित करती थी। राज ने देखा कि अन्य ऑटो रिक्शा चालक विदेशी पर्यटकों को लुभाने और कस्टमर बढ़ाने के लिए अंग्रेजी, फ्रेंच, स्पेनिश जैसी कई और विदेशी भाषाओं का इस्तेमाल किया करते थे। राज याद करते हुए बताते हैं, "मैं हैरान था। ये 2008 की बात है। जब लोग आईटी और टेक्नोलॉजी के पीछे भाग रहे थे, मैं केवल अंग्रेजी सीखना चाहता था।"

ऑटो चालकों और अंग्रेजी सीखने की चाह ने राज को टूरिज्म बिजनेस की राह पर लाकर खड़ा कर दिया। अपने बिजनेस में तेजी लाने के लिए राज ने विदेशी पर्यटकों को राजस्थान घुमाने ले जाना शुरू किया। लेकिन राज इस बात से एकदम अनजान थे कि इसी बिजनेस के बीच उनकी मुलाकात अपने जीवन साथी से होने वाली है। जिसके बाद सही मायनों में राज की जिंदगी बदल गई।

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श्रेय: इंडिया टाइम्स।

राज की लव स्टोरी किसी बॉलीवुड फिल्म से कम नहीं है। राज अपनी पत्नी से पहली बार एक गेस्ट के रूप में मिले थे। वो भारत यात्रा पर थीं और राज उनके ट्रेवल गाइड थे। जैसे फिल्मों में धीरे-धीरे प्यार के फूल खिलते हैं, राज के साथ भी कुछ वैसे ही हुआ। "हम पहली बार सिटी पैलेस में मिले थे। वो अपनी दोस्त के साथ भारत घूमने आई थी। हम एक दूसरे को पसंद करने लगे और हमने बातें करना शुरू कर दिया। वो फ्रांस लौट गई लेकिन हमारी मुलाकातें इंटरनेट और स्काईप के जरिए होती रहीं। कुछ समय बाद हमें एहसास हुआ हम एक दूसरे से प्यार करते हैं।"

इसके बाद राज ने फ्रांस जाने के लिए बहुत कोशिश की लेकिन हर बार वीजा ना मिलने की वजह से फ्रांस जाना मुमकिन नहीं हो पाया। उन्हें मिलना था लेकिन वीजा की वजह से सारी कोशिशें नाकाम हो रहीं थीं। राज याद करते हुए बताते हैं, "मुझे याद है वीजा ना मिलने की वजह से हमें लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप निभा पाना भी मुश्किल लगने लगा था। तो उसकी अगले भारत दौरे पर हम सीधे फ्रेंच एम्बेसी पहुँच गए। हमारे मजबूत इरादों के चलते आखिरकार मुझे तीन महीनों का फ्रांस वीजा मिल गया। उसके बाद मैंने कई बार फ्रांस के चक्कर लगाए।"

2014 में दोनों ने शादी करने का फैसला किया। उसके बाद राज ने फ्रेंच एम्बेसी में लंबे समय के फ्रेंच वीजा के लिए अप्लाई किया। "मुझे फ्रेंच सीखने के लिए कहा गया था। मैंने दिल्ली के द एलायंस फ्रांस से फ्रेंच भाषा का सर्टिफिकेट कोर्स किया जिसके बाद वीजा मिलने की प्रक्रिया और आसान हो गई।"

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श्रेय: इंडिया टाइम्स।

राज फिलहाल फ्रांस के जिनेवा में रहते हैं जहाँ वो एक रेस्त्रां में काम करते हैं। हाल ही में राज ने अपना खुद का यूट्यूब चैनल भी शुरू किया है जिसके जरिए वो कुकिंग क्लास चलाते हैं और खाना बनाने के कई फायदेमंद टिप्स भी शेयर करते हैं। आगे चलकर राज अपना रेस्त्रां शुरू करना चाहते हैं जिसके लिए वो अभी से काफी महनत कर रहे हैं।

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