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Poonam Dalal Dahiya: सिर पर यूपीएससी की परीक्षा और पेट में बच्चा, बन गई टीचर से कमिश्नर…
Poonam Dalal Dahiya
Poonam Dalal Dahiya झज्जर जिले की रहने वाली है
हरियाणा के झज्जर जिले की रहने वाली Poonam Dalal Dahiya की। जिन्होंने गर्भवती होते हुए यूपीएससी की परीक्षा दी तथा उसे पास करने का अपना सपना पूरा कर लिया। पूनम दलाल देश की उन हजारों महिलाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है। जो जरा सी मुश्किल आते ही हौसना छोड़ देती हैं। लेकिन पूनम दलाल ने तो अपने जज्बे तथा हौसले को कभी कम नहीं होने दिया। यूपीएससी में सिलेक्ट होने से पहले पूनम हरियाणा में डीएसपी के पद पर भी रही हैं। फिलहाल वो इनकम टैक्स विभाग में असिस्टेंट कमीशन के पद पर कार्यरत हैं।
सफलता कठिन संघर्षों से पाई
पहली बार यूपीएससी करने के बाद से पूनम को रेलवे में आरपीएफ की रैंक मिली। जिसे उन्होंने स्वीकार नहीं किया तथा दोबारा से यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। दूसरी बार भी उन्हें पास होने पर कम रैक के चलते रेलवे ही मिला। मगर इससे भी उन्होंने स्वीकार नहीं किया और तीसरी बार तैयारी करना बेहतर समझा।
दरअसल तीसरी बार में उनके साथ किस्मत ने खूब मजाक किया। यूपीएससी में जनरल श्रेणी के लिए अधिकतम आयु सीमा 30 वर्ष थी। पूनम ने जब तीसरी पर परीक्षा दी तो उनकी उम्र तय सीमा से पार हो गई थी। ये वर्ष 11 की बात है तथा Poonam Dalal Dahiya का प्रीलिम्स क्लियर नहीं हुआ था। तब उम्र सीमा के चलते यह पूनम की यूपीएससी की यात्रा वहीं समाप्त हो गई थी।
शानदार मौका दिया कुदरत ने
यहां वर्ष 2015 की बात है उस वक्त Poonam Dalal Dahiya गर्भवती थी तथा नवा महीना चल रहा था। इसके बावजूद भी उन्होंने बिना थके तथा हार माने प्रीलिम्स की परीक्षा दी। इसके बाद से जब मेंन्स का पेपर आया तो उनका बेटा ढाई महीने का हो चुका था। लेकिन जब इस बार पूनम का रिजल्ट आया तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। हालांकि इस बार पूनम को इंडियन रिवेन्यू सर्विस मिला तथा वह इनकम टैक्स विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर बनी।
इस प्रकार से हरियाणा की इस बेटी ने अपने हौसले, जज्बे तथा कठिन परिश्रम के बल पर यूपीएससी में अपने मन मुताबिक परिणाम लाने के लिए कठिन तपस्या की तथा जिस मंजिल को वह चाहती थी उसे पाने के लिए सफलता हासिल की।
दलालों के गिरिफ्त में आरटीओ, जमीनी हकीकत जान हो जाएंगे हैरान, देहरादून लाइव ने किया बड़ा खुलासा
अगर आप आरटीओ ऑफिस के चक्कर काट रहे है तो परेशान होने की कोई बात नहीं है क्यूंकि आरटीओ ऑफिस में इस कदर दलाली हो रही है की बस जेब ढ़ीलि कीजिए और "खड़े बाबू" बाबू करेंगे आपका काम
अगर आप आरटीओ ऑफिस दलाल कौन बन सकता है के चक्कर काट रहे है और फिर भी आपका काम नही हो रहा है तो आप परेशान न हो क्योंकि अगर ऑफिस के बड़े बाबू" से काम नही बन रहा है तो ऑफिस के बाहर "खड़े बाबू" आपका काम जरूर करवा दलाल कौन बन सकता है देंगे, जी हां . देहरादून के आरटीओ ऑफिस में खड़े बाबू आपके लिए पूरी तरह से आपकी सेवा में समर्पित है बस आपको अपनी जेब ढ़ीली करनी पड़ेगी।
दलालों के गिरिफ्त में आरटीओ
अब हम आपको बताते है कि आख़िर हम ऐसा क्यों कह रहे है दरअसल देहरादून का आरटीओ ऑफिस के दलालों की गिरफ्त में है आपको ड्राइविंग लाइसेंस से लेकर मोटर विकल से जुड़े कोई भी काम करवाना हो तो यह बड़ी आसानी से करवा सकते है। बाहर खड़े बाबू की हकीकत जानने के लिए हमारी देहरादून लाइव की टीम आरटीओ आफिस के दफ्तर पहुंची जंहा बाहर खड़े बाबू बड़ी बड़ी फ़ाइल के साथ लोगो की समस्या सुन रहे है थे।
जेब ढ़ीलि करते ही झटपट होगा काम
वहां हमारी टीम ने देखा की यहाँ तो पूरा मेन्यू तैयार है आप बस काम बोलिए। हर काम का बहुतायात में भाती भाती के 'रेट्स" यहाँ पर मौजूद है। आप बस जेब ढ़ीली कीजिए और बाकि सारा काम खड़े बाबू का है जो जेब गर्म करते ही काम झटपट करने के लिए तैयार होंगे। वही इस स्टिंग में सामने आया की 200 वाले काम के लिए 6000 मांगे जा रहे है, ले भी क्यों न इनकी पहुंच जो ऊपर तक है।
आरटीओ कार्यालय में जगह-जगह दलाल
आरटीओ कार्यालय में जगह-जगह दलाल और बिचोलियो से सावधान रहने के बोर्ड तो लगे है पर हकीकत यह है की यह बिचोलिये कार्यालय के अंदर बाहर बेरोकटोक आते जाते है और बाहर भी ऐसा प्रतीत होता है जैसे इन्ही का कब्ज़ा हो। यहाँ काम के दाम हक़ से मांगे जाते है साहब। वही आरटीओ के संभागीय परिवहन अधिकारी, दिनेश चंद्र पठोई के अनुसार विभाग के अधिकतर काम ऑनलाइन हो चुके है और आरटीओ में हेल्पडेस्क भी मौजूद है फिर भी अगर लोग बहार के लोगों को अधिक पैसे देकर काम करवा रहे है तो यह विषय विचारणीय है।
नहीं है कोई हल
अगर आप आरटीओ उत्तराखंड की वेबसाइट पर जाएंगे तो देखेंगे की यहाँ पर सभी तरह के काम की फीस का विस्तृत ब्यौरा दिया हुआ है पर खड़े बाबू को इन फीस से क्या मलतब उनका मेन्यू थोड़ा स्टैण्डर्ड मेन्यू है जनाब। जनता इस कब्ज़े से त्रस्त है पर यहाँ देखकर ऐसा बिलकुल नहीं लगता की इस मसले का कोई हल निकलने वाला है।
Sucheta Dalal (Journalist) उम्र, Biography, पति, बच्चे, परिवार, Facts in Hindi
- क्या सुचेता दलाल धूम्रपान करती हैं ?: अनजान
- क्या सुचेता दलाल शराब पीती हैं ?: अनजान
- सुचेता ने कर्नाटक कॉलेज से सांख्यिकी में बीए किया और फिर बॉम्बे विश्वविद्यालय से एलएलबी और एलएलएम किया।
- उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1984 में एक निवेश पत्रिका: फॉर्च्यून इंडिया से की थी।
- 1990 के दशक की शुरुआत में, उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया के मुंबई सर्कुलेशन में बिजनेस और इकोनॉमिक्स विंग के लिए एक पत्रकार के रूप में काम करना शुरू किया।
- एक पत्रकार के दलाल कौन बन सकता है रूप में काम करने से उनके लिए अवसरों का एक बड़ा द्वार खुला और वह टाइम्स ऑफ इंडिया की वित्तीय संपादक दलाल कौन बन सकता है बन गईं।
- उन्होंने कई प्रसिद्ध व्यावसायिक पत्रिकाओं: बिजनेस स्टैंडर्ड और द इकोनॉमिक टाइम्स के साथ भी काम किया है।
- सुचेता दलाल कौन बन सकता है अपने निजी जीवन को गुप्त रखना पसंद करती है और इसलिए उसने इसे मीडिया के लिए कभी नहीं खोला, सिवाय इसके कि उसकी शादी एक लेखक देबाशीष बसु से हुई है।
- उनकी विशेष रूप से पूंजी बाजार, उपभोक्ता मुद्दों, बुनियादी ढांचा क्षेत्र और निवेशक से संबंधित मुद्दों पर लिखने और लिखने में गहरी रुचि है।
- सुचेता के काम को तब प्रसिद्धि मिली जब उन्होंने 1992 में सुरक्षा घोटाले को कवर किया, जिसे भारतीय इतिहास के सबसे बड़े वित्तीय घोटालों में से एक माना जाता है।
- उन्होंने अपने पति देबाशीष के साथ 1993 में “द स्कैम: हू वोन, हू लॉस्ट, हू गॉट अवे” नामक स्टॉक घोटाले के बारे में एक किताब लिखी, जो जनता के बीच सनसनी बन गई।
- मार्च 2000 में, उन्होंने भारत के एक प्रख्यात उद्योगपति, बैंकर और अर्थशास्त्री एडी श्रॉफ की आत्मकथा लिखी जिसका शीर्षक था “एडी श्रॉफ: टाइटन ऑफ फाइनेंस एंड फ्री एंटरप्राइज”।
- 2006 में, उन्होंने अपने पति द्वारा शुरू की गई द्वि-साप्ताहिक निवेश पत्रिका मनीलाइफ के लिए अपनी रुचियों को लेखन में बदल दिया।
- सुचेता को डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा 2006 में पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।
- 2008 तक, उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के लिए एक स्तंभकार और परामर्श संपादक दलाल कौन बन सकता है के रूप में काम किया।
- सुचेता अब मनीलाइफ पत्रिका की प्रधान संपादक हैं।
- उसने अपने पति के साथ, मुंबई में मनीलाइफ फाउंडेशन की स्थापना की, जो एक गैर-लाभकारी संगठन है जो भारत में खराब वित्तीय शिक्षा को उजागर करता है।
- वह हमेशा विभिन्न उपयोगी विषयों पर लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए सेमिनार और चर्चा करते हैं। यहां एक वीडियो है जहां सुचेता दलाल इस बारे में बात करती है कि क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ता और बैंकर के जीवन को कैसे प्रभावित करता है:
- वह 1992 के हर्षद मेहता घोटाला, एनरॉन घोटाला, भारतीय औद्योगिक विकास बैंक घोटाला, केतन पारेख घोटाले में पाए गए विभिन्न जांच मामलों पर अपने अविश्वसनीय रूप से उत्कृष्ट कार्य के लिए व्यापक रूप से जानी जाती हैं।
- पत्रकारिता के अलावा, वह मनीलाइफ स्मार्ट सेवर्स नेटवर्क चलाते हैं, जिसका लक्ष्य व्यक्तिगत निवेशकों को निवेश में बेहतर और अधिक प्रतिभाशाली बनने के लिए शिक्षित करना है।
- यह लोगों को एक क्रेडिट हेल्पलाइन के माध्यम से म्यूचुअल फंड, निवेश, बीमा क्षतिपूर्ति तंत्र और अन्य वित्तीय समस्याओं से संबंधित कठिनाइयों में भी मदद करता है।
- उन्हें हर्षद मेहता घोटाले पर उनके काम के लिए फेमिना वुमन ऑफ सब्सटेंस अवार्ड और पत्रकारिता में उनकी श्रेष्ठता के लिए मीडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित चमेली देवी दलाल कौन बन सकता है पुरस्कार भी मिला।
- उनकी स्थापित फाउंडेशन मनीलाइफ फाउंडेशन को प्रतिष्ठित 10वें एमआर पाई मेमोरियल अवार्ड से सम्मानित किया गया।
₹272 करोड़ का दलाल दीपक तलवार और UPA के केंद्रीय मंत्री हैं ‘अच्छे दोस्त’: e-mail वाला सबूत ED के पास
प्रफुल्ल पटेल राकांपा के पुराने नेताओं में से एक हैं
एयरलाइन सीट आवंटन घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने द्वारा दाखिल किए गए आरोप पत्र पर सीबीआई की विशेष अदालत ने संज्ञान लिया है। अगस्ता वेस्टलैंड केस में आरोपित दलाल दीपक तलवार के बेटे आदित्य के ख़िलाफ़ ग़ैर ज़मानती वारंट जारी किया गया है। विशेष सीबीआई जज अनुराधा शुक्ला ने दीपक तलवार की ज़मानत याचिका पहले ही ठुकरा दी है। प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत को बताया कि पूर्व केंद्रीय नगर विमानन मंत्री और राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी (NCP) के नेता प्रफुल्ल पटेल के दलाल दीपक तलवार से काफ़ी क़रीबी सम्बन्ध हैं। ईडी के अनुसार, दीपक तलवार ने एअर इंडिया के मुनाफे वाले मार्गाें पर सीट-बँटवारे के मामले में विदेशी निजी एयरलाइनों, जैसे एयर अरेबिया, अमीरात के पक्ष में दलाल के तौर पर काम किया था।
दीपक तलवार ने उस दौरान यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे प्रफुल्ल पटेल के साथ अपने संपर्कों का प्रयोग करते हुए भारतीय कम्पनी को नुकसान पहुँचाया। तलवार को विदेशी कंपनियों के पक्ष में दलाल का काम करने के लिए 272 करोड़ रुपए दिए गए थे। ईडी ने स्पेशल कोर्ट में दायर किए गए आरोप पत्र में दलाल कौन बन सकता है इन सारी बातों का जिक्र किया है। मामले की अगली सुनवाई 9 मई को होगी। जाँच एजेंसी ने कहा कि उसके पास प्रफुल्ल पटेल और दीपक तलवार के बीच ईमेल से हुई बातचीत के सबूत हैं। इससे पहले ईडी ने कहा था कि जाँच से पता चला है कि तलवार के तार भगोड़ा विजय माल्या से भी जुड़े हैं।
Not only Civil Aviation, ‘lobbyist’ Deepak Talwar was close to top brass in Ministries of Finance, Law, Corporate Affairs, banking & media.
Prepared draft letters on behalf of Praful Patel who is a ‘dear friend’ of Talwar & met him ‘socially’: EDhttps://t.co/JmJ1J5wU0s pic.twitter.com/7YnvOTrdeY
— Raghav Ohri (@raghavohri0) May 2, 2019तलवार को मिले 272 करोड़ रुपयों में से 127 करोड़ का पता एक फर्म के अकाउंट से चला है और बाकी रुपयों की स्थिति का पता लगाया जा रहा है। ईडी ने यह भी कहा है कि प्रफुल्ल पटेल सामाजिक रूप से तलवार से मिलते-जुलते रहते थे। ईडी 23 विदेशी और 33 भारतीय कंपनियों की जाँच कर रही है, जिसके तार दीपक तलवार से जुड़े हैं। तलवार को मिले किकबैक्स को इन्हीं कंपनियों के माध्यम से इधर-उधर पहुँचाया जाता था।
दीपक पर आपराधिक साज़िश रचने, जालसाजी और विदेशी चंदा विनियमन कानून की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय किए गए हैं। दीपक तलवार के एनजीओ को यूरोप की एक मिसाइल निर्माता कम्पनी से 90 करोड़ रुपए विदेशी कोष में मिले, जिसका इस्तेमाल उसने अन्य कार्यों में किया। दीपक तलवार को जनवरी 2019 में दुबई से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया था। आइजी रैंक के एक अधिकारी के नेतृत्व में प्रवर्तन निदेशालय का एक दल, विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अफसर और रॉ के अफसरों की एक टीम ने इस काम को अंज़ाम दिया था। दीपक तलवार अभी जुडिसियल कस्टडी में है।
It is alleged that Deepak Talwar finalized various communications on behalf of Emirates, Air Arabia to be addressed to Ministry of Civil Aviation/the then minister Praful Patel. Next date of hearing is on 9th May. https://t.co/Rgtg2amj70
— ANI (@ANI) May 1, दलाल कौन बन सकता है दलाल कौन बन सकता है 2019
प्रफुल्ल पटेल भारतीय फुटबॉल महासंघ के अध्यक्ष हैं। यूपीए सरकार के दौरान विमानन और भारी उद्योग मंत्रालय संभालने वाले पटेल 10 वर्षों तक केंद्रीय मंत्री रहे थे। ऐसे में दीपक तलवार जैसे कॉर्पोरेट दलाल के साथ उनका नाम जुड़ना कॉन्ग्रेस और राकांपा के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। दोनों दल महाराष्ट्र में गठबंधन कर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुक़ाबला मज़बूत भाजपा-शिवसेना गठबंधन से है। दीपक तलवार के ख़िलाफ़ न सिर्फ़ प्रवर्तन निदेशालय बल्कि सीबीआई और आयकर विभाग भी जाँच कर रहा है। उस पर मनी लॉन्डरिंग के मामले चल रहे हैं। उस पर टैक्स चोरी का मामला भी चल रहा है।
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