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भारतीय बहीखाता प्रणाली

वास्तविक खाता किसे कहते हैं

हमारा पर्यावरण - पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह

किसी भी खाद्य श्रृंखला में प्र .

Updated On: 27-06-2022

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Aap ko kya acha nahi laga

Question Details till 03/12/2022

नमस्कार दोस्तों महाराज का प्रश्न है किसी भी खाद्य श्रंखला में प्रायः प्रथम पोषक स्तर होते हैं तो देखते हैं दोस्तों की सर्वप्रथम खाद्य श्रृंखला क्या होते हैं दोस्तों खाद्य श्रंखला जो होती है वह पारिस्थितिक तंत्र के अंदर जो भी पोषक स्तर होता है उस प्रकार की जो संख्या होती है उसे हम खाद्य श्रंखला के नाम से जानते किस नाम से खाद्य श्रंखला दोस्तों अगर कोई भी खाद्य श्रंखला प्राय प्रथम पोषक स्तर पर होगी तो वास्तविक खाता किसे कहते हैं उसे हम उत्पादक कहते हैं क्या कहते हैं उत्पादक क्योंकि दोस्तों हम कह सकते हैं कि उत्पादक क्या होते हैं दोस्तों जो कि अपना भोजन सेव बनाता है क्या करता है अपना वास्तविक खाता किसे कहते हैं भोजन सोनू बनाता है जिसके कारण इसे हम स्वपोषी भी कहते हैं उदाहरण के लिए देखते हैं दोस्तों जैसे कि पेड़ पौधे दोस्तों पेड़ पौधे क्या करते हैं सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति वास्तविक खाता किसे कहते हैं ने अपने भोजन का निर्माण करते हैं प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के द्वारा

Accounting क्या होता है – What is Accounting and Types of Accounting in Hindi

Accounting क्या होता है – What is Accounting and Types of Accounting in Hindi? Hello Friends! एक बार फिर से Guptatreepoint blog पर आपका स्वागत है| आज के इस पोस्ट में मैं आपको बताने जा रहा हूँ की Accounting क्या होता है और Accounting कितने प्रकार के होते हैं? What is accounting in Hindi and Types of Accounting in Hindi?

Friends! Accounting का हिंदी meaning लेखांकन होता है| यह एक process होता वास्तविक खाता किसे कहते हैं है जो की Financial Aspects (वित्तीय पहलुओ) के बारे में record रखता है| दुसरे शब्दों में हम कह सकते हैं की Accounting एक process होता है जो की किसी भी organization या business वास्तविक खाता किसे कहते हैं में आदान प्रदान हो रहे रुपयों के बारे में जानकारी रखता है मतलब की लिखित रूप में रखता है|

यह दो शब्दों से मिलकर बना है लेख और अंकन| लेख का मतलब होता है लिखना और अंकन का मतलब होता है अंको में, वैसा process जहाँ पर किसी भी घटना क्रम को लिखित रूप में रखा जाता है उसे Accounting (लेखांकन) कहा जाता है| घटना क्रम मतलब रुपयों का आदान प्रदान|

इसके क्या फायदे होते हैं?

दोस्तों अगर आप एक दुकानदार हैं तो इस बात को आसानी से समझ सकते हैं की इसके क्या क्या फायदे हो सकते हैं और यदि आप एक students हैं और आपको इसके फायदे के बारे में जानकारी नहीं है तो चलिए मैं बताता हूँ की Accounting के क्या क्या फायदे हो सकते हैं| जब हम अपने business के लेन देन को या फिर कोई भी दुकानदार अपने business के लेन देन की प्रक्रिया को लिखित रूप में रखता है तो उसके बहुत सारे फायदे होते हैं जो की निम्न प्रकार हैं: –

  • सबसे पहला फायदा यह होता है की हमें लेन देन वास्तविक खाता किसे कहते हैं के पैसो के बारे में पता चलते रहता है मलतब की किसको कितना पैसा दिया गया है या फिर किससे कितना पैसा लियें हैं इन सभी चीजो के बारे में हमें सही सही जानकारी मिलती रहती है|
  • जब हम किसी भी record को लिखित रूप में रखते हैं तो हमें बार बार अपने लेन देन की प्रक्रिया को याद नहीं रखना पड़ता है जिससे हमलोग का मन हल्का रहता है|
  • इससे हम आसानी से अपने business में हुवे लाभ या हानि का पता लगा सकते हैं|
  • इसके द्वारा हम यह भी पता लगा सकते हैं की हमारा business में अभी टोटल कितना पूंजी लगा हुआ है मतलब की कितना पैसा अभी हमारा business में लगा हुआ है या available है|

GDP की गणना और आधार वर्ष

इस Editorial में The Hindu, The वास्तविक खाता किसे कहते हैं Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में GDP की गणना और आधार वर्ष पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के वास्तविक खाता किसे कहते हैं इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) देश में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की गणना के लिये आधार वर्ष को 2011-12 से बदलकर 2017-18 करने पर विचार कर रहा है। मुख्य सांख्यिकीविद् के अनुसार, इस कार्य को उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण (CES) और उद्योगों के वार्षिक सर्वेक्षण (ASI) के बाद जल्द-से-जल्द किया जाएगा। गौरतलब है कि GDP का उपयोग मुख्यतः किसी देश के विकास को मापने के लिये एक पैमाने के रूप में किया जाता है। देश की वृद्धि दर की गणना करते समय अर्थव्यवस्था की वास्तविक स्थिति जानने के लिये आधार वर्ष का प्रयोग किया जाता है। विदित हो वर्तमान में भारत 2011-12 को आधार वर्ष के रूप में प्रयोग कर रहा है।

क्या होता है आधार वर्ष?

  • आधार वर्ष एक प्रकार का बेंचमार्क होता है जिसके संदर्भ में राष्ट्रीय आँकड़े जैसे- सकल घरेलू उत्पाद (GDP), सकल घरेलू बचत और सकल पूंजी निर्माण आदि की गणना की जाती है।
  • सकल घरेलू उत्पाद या GDP का आशय किसी देश में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य से होता है। विदित है कि GDP मुख्यतः 2 प्रकार की होती है: (1) नॉमिनल GDP और (2) वास्तविक GDP।
    • नॉमिनल GDP: यह चालू कीमतों (वर्तमान वर्ष की प्रचलित कीमत) में व्यक्त सभी वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य को मापता है।
    • वास्तविक GDP: नॉमिनल GDP के विपरीत यह किसी आधार वर्ष की कीमतों पर व्यक्त की गई सभी वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य को बताता है।
    • भारत में राष्ट्रीय आय का पहला अनुमान केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO) द्वारा वर्ष 1956 में प्रकाशित किया गया था, उल्लेखनीय है कि इसमें 1948-49 को आधार वर्ष के रूप प्रयोग किया गया था।
    • आँकड़ों की उपलब्धता की स्थिति में सुधार के साथ-साथ गणना की कार्यप्रणाली में बदलाव किये गए। इस समय तक CSO अर्थव्यवस्था में कार्यबल का अनुमान लगाने के लिये राष्ट्रीय जनगणना में जनसंख्या के आँकड़ों पर निर्भर रहता था, इसी के कारण आधार वर्ष भी उन वर्षों से मेल खाता था जिनमें जनगणना आँकड़े जारी होते थे, जैसे-1970-71, 1980-81 आदि।
    • इसके पश्चात् CSO ने पाया कि कार्यबल के आकार पर जनगणना आँकड़ों की अपेक्षा राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (NSS) के आँकड़े अधिक सटीक हैं और NSS के आँकड़ों के आधार पर आकलन किया जाने लगा।
    • ज्ञातव्य है कि इस प्रणाली को वर्ष 1999 में शुरू किया गया था जब आधार वर्ष को 1980-81 से संशोधित कर 1993-94 कर दिया गया था।

    आधार वर्ष में परिवर्तन की आवश्यकता

    • प्रत्येक अर्थव्यवस्था में समय-समय पर परिवर्तन होते रहते हैं और इन परिवर्तनों का देश के वृद्धि एवं विकास पर काफी प्रभाव पड़ता है। विशेषज्ञों के वास्तविक खाता किसे कहते हैं अनुसार, अर्थव्यवस्था के भीतर होने वाले इन्हीं संरचनात्मक परिवर्तनों (जैसे- GDP में सेवाओं की बढ़ती हिस्सेदारी) को प्रतिबिंबित करने के लिये आकलन के आधार वर्ष को समय-समय पर संशोधित करने की आवश्यकता होती है।
    • इसके अलावा GDP की गणना के लिये आधार वर्ष में बदलाव का एक अन्य उद्देश्य वर्तमान परिस्थिति के अनुकूल सटीक आर्थिक आँकड़े एकत्रित करना भी होता है। क्योंकि सटीक आँकड़ों के अभाव में अर्थव्यवस्था के अंतर्गत कल्याणकारी योजनाओं का निर्माण संभव नहीं हो पाता है।
    • वर्ष 2011-12 पर आधारित GDP वर्तमान आर्थिक स्थिति को सही ढंग से प्रदर्शित नहीं करती है वहीं नए आधार वास्तविक खाता किसे कहते हैं वर्ष की शृंखला के संबंध में जानकारों का मानना है कि यह संयुक्त राष्ट्र के राष्ट्रीय खाते के दिशा-निर्देशों-2018 (United Nations Guidelines in System of National Accounts-2018) के अनुरूप होगी।
    • गौरतलब है कि दुनिया के विभिन्न देश आधार वर्ष को संशोधित करने हेतु अलग-अलग मानकों का प्रयोग करते हैं।

    निष्कर्ष

    2017-18 को आधार वर्ष के रूप में मानने का प्रस्ताव स्वागत योग्य कदम है, हालाँकि वर्तमान GDP आकलन की कार्यप्रणाली और डेटा संबंधी विवादों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। आधार वर्ष में परिवर्तन के बाद भी संदेह तब तक बना रहेगा जब तक कि आकलन की कार्यप्रणाली में सुधार नहीं किया जाएगा और आँकड़ों की विश्वसनीयता सुनिश्चित नहीं की जाएगी। वर्तमान समस्याओं के मद्देनज़र GDP कार्यप्रणाली की समीक्षा करने के लिये राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों का एक स्वतंत्र आयोग स्थापित करने का प्रस्ताव रखा गया है।

    प्रश्न: आधार वर्ष क्या है? इसमें संशोधन की आवश्यकता पर चर्चा कीजिये।

    लेखा के स्वर्णिम नियम (Golden rules of Account)

    लेखा के स्वर्णिम नियम (Golden rules of Account)
    अगर हम अपने व्यापार के Account को Manage करना चाहते है तो हमें लेखा के स्वर्णिम नियम (Golden rule of Account) पता होना चाहिए ताकि हम अपना Accounting कार्य अच्छे कर सकें।


    जैसे - व्यापार में क्या आया - क्या गया, व्यापार से किसी ने लिया या किसी ने दिया, व्यापार के खर्च या हानि व् व्यापार में लाभ या आय

    भारतीय बहीखाता प्रणाली की लोकप्रियता के कारण (Reasons for popularity of Indian System of Book-Keeping)

    1. सरलता:- यह प्रणाली अत्यन्त ही सरल है कम पढ़ा लिखा व्यक्ति भी इस प्रणाली में असानी से लेखे कर सकता है
    2. मितव्ययी या कम खर्चीली:- यह प्रणाली सस्ती प्रणाली है क्यों कि इस प्रणाली में कम बहियों का प्रयोग किया जाता है तथा लेखाकार भी कम वेतन पर मिल जाते हैं।
    3. देशी भाषा का प्रयोगः-यह प्रणाली इस कारण भी लोकप्रिय है वास्तविक खाता किसे कहते हैं कि इसमें सौदों का लेखा देशी भाषाओं में किया जाता है।
    4. गोपनीयताः-देशी भाषा का प्रयोग होने के कारण इस प्रणाली में गोपनीयता बनी रहती है।
    5. लोचपूर्ण:-यह प्रणाली लोचपूर्ण प्रणाली है। वास्तविक खाता किसे कहते हैं व्यापार के आकार में परिवर्तन होने पर इस प्रणाली में बहियों को आसानी से बढ़ाया और घटाया जा सकता है।
    6. कम बहियों का प्रयोगः-इस प्रणाली कम बहियों का प्रयोग किया जाता है। इस कारण भी यह लोकप्रिय है।
    7. वैज्ञानिकता:- यह प्रणाली पूर्णतः वैज्ञानिक प्रणाली है क्यों कि इसके सिद्धान्त अटल हैं । यह प्रणाली भी दोहरा लेखा प्रणाली के सिद्धान्तों पर आधारित है।

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