इतनी बिजली की खपत थाइलैंड पूरे साल में करता है. वर्ष 2021 में आई एक रिसर्च के अनुसार बिटॅकाइन फेसबुक (Facebook) से 8 गुणा ज्यादा बिजली का प्रयोग कर रहा है. दिनोंदिन यह खपत बढ़ता जा रहा है. पिछले दिनों ईरान में पैदा हुए गंभीर बिजली संकट के पीछे भी बिटकॉइन माइनिंग का हाथ माना गया था.
Bitcoin में लगाए 8 हजार रुपये से शख्स ने कैसे खरीद ली 1.5 करोड़ की कार?
- नई दिल्ली,
- 08 दिसंबर 2021,
- (अपडेटेड 08 दिसंबर 2021, 9:25 PM IST)
- पीटर ने साल 2011 में खरीदे थे 8 हजार के Bitcoin
- सात साल बाद खरीदी एक करोड़ की लैंबॉर्गिनी कार
जॉर्जिया के एक शख्स ने बताया कि उसने जिस क्रिप्टोकरंसी को साल 2011 में सिर्फ आठ हजार में खरीदा था. सात साल बाद उसी के दम पर उसने एक करोड़ 49 लाख रुपये की लैंबॉर्गिनी कार खरीदी. दरअसल, इस शख्स ने जो क्रिप्टोकरंसी खरीदी थी, Bitcoin का उपयोग क्यों करें उसकी कीमत सात सालों में 320,000 प्रतिशत तक बढ़ गई थी.
'द Bitcoin का उपयोग क्यों करें सन' में छपी एक खबर के मुताबिक, 39 वर्षीय इस शख्स का नाम पीटर सैडिंगटन है. जॉर्जिया के अटलांटा में रहने वाले पीटर एक कंप्यूटर कोडर हैं. दरअसल, साल 2011 में क्रिप्टोकरंसी के दाम 90 प्रतिशत तक गिर गए थे. उस समय पीटर ने करीब आठ हजार रुपये के 45 Bitcoin खरीदे थे.
बिटकॉइन का ट्रेंड पुराना, अब ऑल्टकॉइंस खरीद रहे लोग, जानिए तेजी के पीछे क्या है कारण
Altcoins में पिछले 24 घंटे में बिटकॉइन से अच्छा प्रदर्शन किया है। (फोटो: रॉयटर्स)
क्रिप्टोकरेंसी बाजार में आज मंगलवार Bitcoin का उपयोग क्यों करें को बड़ी तेजी देखने को मिली। इस तेजी में बिटकॉइन की रफ्तार काफी सुस्त रही, लेकिन बाजार में क्रिप्टो निवेशकों के बीच पिछले कुछ समय से पॉपुलर हुए ऑल्टकॉइंस जैसे मेटिक (MATIC), अवक्स (AVAX), डॉट (DOT), सोलाना (Solana) और कई अन्य बड़े ऑल्टकॉइंस में दमदार तेजी हुईं, जिसने पूरे क्रिप्टोकरेंसी मार्किट की वैल्यू को एक बार फिर से एक ट्रिलियन के पार पहुंचा दिया।
ऑल्टकॉइंस (Altcoins) क्या होता है?
बिटकॉइन के अलावा सभी क्रिप्टोकरेंसी को ऑल्टकॉइंस कहा जाता है। बिटकॉइन में लेनदेन को मान्य करने के लिए Bitcoin का उपयोग क्यों करें प्रूफ ऑफ वर्क प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है, वहीं ऑल्टकॉइंस में लेनदेन को मान्य करने के एक नया ब्लॉक बनाया जाता है। उदाहरण के लिए सोलाना में प्रूफ ऑफ हिस्ट्री प्रोटोकॉल का उपयोग किया जाता है, जबकि कार्डानो प्रूफ ऑफ स्टेक प्रोटोकॉल का उपयोग करता है।
क्रिप्टो करेंसी मार्केट पर निगाह रखने वाली वेबसाइट कॉइन मार्केट कैप के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में कई ऑल्टकॉइंस ने दोहरे अंकों में रिटर्न दिया है। पिछले 24 घंटे की बात करें तो एथेरियम 13.52 फीसदी बढ़कर 1,538 डॉलर पर पहुंच गया है, जबकि सोलाना की कीमत में 10.24 फीसदी का इजाफा हुआ है। मैटिक में 20.55 फीसदी और Avax में 10.23 फीसदी का इजाफा हुआ है।
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ऑल्टकॉइंस में तेजी की वजह
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के बाद धीमी बढ़त को विशेषज्ञ ऑल्टकॉइंस में तेजी की वजह मान रहे हैं। हालांकि बिटकॉइन मंदी के बाद 22 हजार के स्तर से ऊपर आ गया है, लेकिन ऑल्टकॉइंस ने बिटकॉइन के मुकाबले कहीं अधिक रिटर्न निवेशकों को दिया है।
- ऑल्टकॉइंस में तेजी की दूसरी सबसे बड़ी वजह निवेशकों द्वारा कॉइंस को लेकर तेजी का नजरिया होना है, जिसके कारण इनमें तेजी बनी हुई है।
- ऑल्टकॉइंस के लिए विशेषज्ञ और ट्रेडर्स लगातार पॉजिटिव आउटलुक बता रहे हैं। उनका मानना है कि मौजूदा समय में ऑल्टकॉइंस, बिटकॉइन के मुकाबले टेक्निकल स्तर पर अधिक मजबूत है।
एक ट्रांजेक्शन पर 13,186 रुपये बिजली खर्च
digiconomist.net के अनुसार Cryptocurrency बिटकॉइन का एक ट्रांजेक्शन (Bitcoin transaction), यानि कॉइन खरीदने, बेचने या ट्रांसफर करने में 2293.37 kwh बिजली खर्च होती है. वर्ष 2021 में भारत में औसत घरेलू बिजली दर 5.75 रुपये थी. इस दर से अगर हिसाब लगाया जाये तो एक बिटकॉइन ट्रांजेक्शन पर लगभग 13,186 रुपये का बिजली खर्च हो रहा है. इतनी बिजली खर्च करके 2,414,380 VISA ट्रांजेक्शन किये जा सकते हैं या फिर 181,559 घंटे Youtube वीडियो देखे जा सकते हैं.
यही नहीं बिटकॉइन का वार्षिक कार्बन फुटप्रिंट भी बहुत ज्यादा है. बिटकॉइन हर साल 97.14 Mt CO2 कार्बब फुटप्रिंट पैदा कर रहा है जो कुवैत द्वारा किये जा रहे कार्बन फुटप्रिंट के बराबर है. इलेक्ट्रॉनिक कचरा फैलाने में भी बिटकॉइन आगे है. इससे सालाना 26.31 kt इलेक्ट्रॉनिक कचरा पैदा कर रहा है. इतना कचरा नीदरलैंड्स की स्माल आईटी इंडस्ट्री हर साल निकालती है.
क्यों होती है इतनी बिजली खर्च
क्रिप्टोकरंसी की माइनिंग के लिए कई कंप्यूटर लगाए जाते हैं. कॉइन्स अपनी खुद की ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर चलती है. ब्लॉकचेन (blockchain) एक डिजिटल बहीखाता है. जिसपर ब्लॉक पर होने वाले ट्रांजेक्शन का डेटा स्टोर होता है. इसका कहीं भी कोई सेंट्रलाइज्ड डेटा सेंटर नहीं होता है. इसका डेटा दुनियाभर में फैले करोड़ों कंप्यूटर्स पर होता है.
बिटकॉइन माइनिंग में पजल का उपयोग होता है. इस पजल को सॉल्व करने के बाद ही अगला ब्लॉक बनता है. हर ब्लॉक अपने पिछले ब्लॉक से एक यूनीक हैश कोड के जरिए जुड़ा होता है. इस पजल को सॉल्व करने के लिए शक्तिशाली कंप्यूटरों से भरे गोदाम हैं, जो बड़ी संख्या में पजल सॉल्व करने के लिए तेज स्पीड से काम कर रहे हैं और इस प्रक्रिया में जबरदस्त मात्रा में बिजली खपत कर रहे हैं। इसके अलावा आज बिटकॉइन माइनिंग के लिए अत्यधिक विशिष्ट मशीनों, एक बड़ी जगह और लगातार चलने वाले हार्डवेयर को ओवरहीटिंग से बचाने के लिए पर्याप्त कूलिंग पावर की आवश्यकता है। इनमें भी खूब बिजली खर्च हो रही है.
Cryptocurrency
क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) एन्क्रिप्शन के जरिए सुरक्षित रहने वाली एक डिजिटल करेंसी है. क्रिप्टोकरेंसी को डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नॉलजी, ब्लॉकचेन, के जरिए मेंटेन किया जाता है. इसमें किया जाने वाला पेमेंट इन्टरनेट का उपयोग करके कुछ वॉलेट के रूप में किया जाता हैं. यह करेंसी हमें दिखाई नई देती हैं, इसलिए यह Bitcoin का उपयोग क्यों करें कैशलेस भुगतान का सबसे एडवांस्ड वर्जन है, जोकि डिजिटल फॉर्म में होता है. क्रिप्टोकरेंसी का मुख्य कार्य होता हैं एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में पैसे ट्रांसफर करना. और यह कार्य किया जाता हैं, ब्लॉकचैन के माध्यम से. ब्लॉकचैन बैंक की तरह कार्य करती है. इसमें जो भी लेनदेन किये जाते हैं, उसका पूरा
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अब ये प्रूफ-ऑफ-वर्क क्या है?
प्रूफ-ऑफ-वर्क एक ब्लॉकचेन सर्वसम्मति प्रोटोकॉल है, जिसके लिए एक गणितीय पहेली को हल करने के लिए एक माइनर की जरुरत होती है. बिटकॉइन और एथेरियम (वर्ज़न 2 से पहले) प्रूफ-ऑफ-वर्क मैथड का उपयोग करते हैं.
क्रिप्टो के अलावा, स्पैमर्स को रोकने के लिए, ईमेल के लिए PoW मैथड का एक बदलाव प्रस्तावित किया गया है. उदाहरण के लिए, यदि हर एक मैसेज को भेजे जाने से पहले केवल 15 सेकंड इंतजार करना पड़ता है, तो कंप्यूटर का उपयोग कभी भी हजारों मैसेज भेजने के लिए नहीं किया जा सकता है.
हालांकि, क्रिप्टो की दुनिया में प्रूफ-ऑफ-वर्क एक बहुत ही विवादास्पद विषय है. क्योंकि यह भारी मात्रा में बिजली का उपयोग करता है.
क्यों करनी पड़ती है क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग?
जैसा कि अब आप जान ही गए होंगे कि क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग का उपयोग नए कॉइन बनाने के साथ-साथ मौजूदा ट्रांजेक्शन को वैलिडेट करने के लिए किया जाता है. ब्लॉकचेन की डिसेंट्रलाइज्ड प्रकृति धोखेबाजों को एक ही समय में एक से अधिक बार क्रिप्टोकरेंसी खर्च करने की अनुमति दे सकती है, यदि कोई भी प्रमाणित ट्रांजेक्शन नहीं करता है. माइनिंग इस तरह की धोखाधड़ी को कम करती है और कॉइन में यूजर का विश्वास बढ़ाती है.
क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग के दो उद्देश्य हैं. यह नई क्रिप्टोकरेंसी तैयार करता है और यह ब्लॉकचेन पर मौजूदा क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजेक्शन की प्रामाणिकता की पुष्टि करता है.
ट्रांजेक्शन के एक ब्लॉक की पुष्टि करने की प्रक्रिया पूरी करने के बाद एक माइनर की प्रतिपूर्ति (reimburse) की जाती है. और बदले में उन्हें नई तैयार की गई क्रिप्टोकरेंसी मिलती है.
कैसे होती है क्रिप्टो माइनिंग?
क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग के लिए विशेष सॉफ्टवेयर वाले कंप्यूटरों की जरुरत होती है जो विशेष रूप से जटिल, क्रिप्टोग्राफिक गणितीय समीकरणों को हल करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं. टेक्नोलॉजी के शुरुआती दिनों में, बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी को घरेलू कंप्यूटर पर एक साधारण सीपीयू चिप के साथ माइन किया जा सकता था. हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में, सीपीयू चिप्स बढ़ती कठिनाई के स्तर के कारण अधिकांश क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग में फैल होते नज़र आए.
आज के इस दौर में, क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग के लिए एक विशेष GPU या एक Application-Specific Integrated Circuit (ASIC) माइनर की आवश्यकता होती है. इसके अलावा, माइनिंग रिग में GPU को हर समय एक विश्वसनीय इंटरनेट कनेक्शन से जोड़ा जाना चाहिए. प्रत्येक क्रिप्टो माइनर को एक ऑनलाइन क्रिप्टो माइनिंग पूल का भी सदस्य होना आवश्यक है.
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