इन दिनों एसडीओ और एसडीएम के चर्चे हर अखबार में पढ़ने और सुनने को मिलेंगे। कोरोना महामारी के इस दौर में सब चहुंओर लॉकडाउन और कर्फ्यू जैसे हालात बने हुए हैं तो कहीं भी आने-जाने और आयोजन के लिए विशेष अनुमति लेनी पड़ती है। यह अनुमति देने का कार्य संबंधित क्षेत्र के प्रशासनिक अधिकारी करते हैं।
2021 में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान छोटे-छोटे लॉकडाउन लगाए गए हैं। इनकी पालना और अनुमति जैसे कार्य की जिम्मेदारी उस क्षेत्र के एसडीओ और एसडीएम संभाल रहे हैं। कुछ राज्यों में पुलिस महकमें के सक्षम अधिकारी भी यह जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। जिला स्तर पर यह सब कार्य संबंधित जिला एसएमएम और एसएमओ के बीच अंतर कलेक्टर और जिलाधिकारी करते हैं।

राज्य लोक सेवा परीक्षा

SDO और SDM में क्या अंतर होता है? किसकी पावर होती है कितनी, सबकुछ जाने

SDO और SDM में अंतर क्या होते हैं आज हम आपको इन दोनों के बारे में बताएंगे! क्योंकि आपने बहुत बार लोगों को दोनों के अंतर में सोचते देखा होगा. यह दोनों सुनने में एक ही पद जैसे लगते हैं लेकिन इनके बीच बहुत ही अंतर है तो आइए हम आपको विस्तार से बताते हैं..

SDO एक सरकारी नौकरी की पोस्ट है जो पुलिस डिपार्टमेंट से लेकर विद्युत डिपार्टमेंट तक सब में होती है. लगभग हर जिले और हर डिपार्टमेंट में एक SDO होता है. देश में कोई भी डिपार्टमेंट को व्यवस्थित तरीके से चलाने के लिए उन्हें कई राज्यों में बांटा जाता है, और एसएमएम और एसएमओ के बीच अंतर हर राज्य के कई जिलों में डिपार्टमेंट का काम विस्तार रूप से किया जाता है. जिसे उपविभाग कहते हैं और जो इस व्यवस्था को सुचारु रुप से और जो पूरी तरह से संभालता है उसे सब डिविजनल ऑफिसर या उप-विभागीय अधिकारी कहा जाता है.

लोक सेवा परीक्षा : बहुत पावरफुल होते हैं एसडीओ-एसडीएम, आप भी ऐसे बन सकते हैं अधिकारी

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जैसे शहरों में लोग हर छोटे-बडे़ काम के लिए जिला मुख्यालय यानी कलेक्ट्रेट जाते हैं वैसे ही गांव-देहात के लोगों को उपखंड कार्यालय यानी एसएमएम और एसएमओ के बीच अंतर उप मंडलीय कार्यालय जाना पड़ता है। इन उपखंड कार्यालय में उप जिला अधिकारी स्तर के अधिकारी बैठते हैं। इन्हें उप खंड अधिकारी (SDO) या उप खंड मजिस्ट्रेट (SDM) के तौर पर जाना जाता है।
आपने अक्सर लोगों को एसडीएम और एसडीओ अधिकारियों के बारे में बात करते सुना होगा। सुनने में तो ये दोनों ही शब्द एक जैसे लगते हैं लेकिन इनके बीच कुछ अंतर है। इसलिए, हम यहां बता रहे हैं एसडीओ या एसडीएम पद के बारे में। तो जानिए कौन होते हैं एसडीओ या एसडीएम?
क्या है इनकी जिम्मेदारियां, इनका वेतन और सुविधाएं साथ ही कैसे बन सकते हैं एसडीओ और एसडीएम और क्या होती हैं इनकी शक्तियां .

UPSC (एसएमएम और एसएमओ के बीच अंतर CSE) 2021 के लिए महत्वपूर्ण: SDO और SDM में क्या अंतर होता है? ?

यदि आप UPSC (आईएएस) प्रीलिम्स की तैयारी कर रहे हैं तो निश्चित ही आपने SDO और SDM की पोस्ट के बारे में सुना होगा। अक्सर इंटरव्यू में पैनल उम्मीदवारों से कुछ ऐसे ही सवाल पूछता है। हमने इस लेख में इन दोनों पदों की विशेषता और इनके अंतर को सरल रूप से समझाया है।

UPSC (IAS) Prelims 2020: जानें SDO और SDM में क्या अंतर होता है ?

आपने अक्सर लोगों को SDM और SDO जैसे पदों के बारे में बात करते सुना होगा। जहाँ सुनने में यह दोनों ही पद एक जैसे लगते हैं इनके बीच एसएमएम और एसएमओ के बीच अंतर उतना ही अंतर है। इन दोनों पदों के अंतर को जानने के लिए ज़रूरी है की पहले हम इन दोनों ही पदों के कार्यभार, ताकत और ज़िम्मेदारी को समझ ले।

कौन होता है एक SDO?

SDO (सब डिविजनल ऑफिसर) एक सरकारी पोस्ट है जो बिजली विभाग से लेकर पुलिस डिपार्टमेंट तक सभी विभागों में होती है। लगभग हर जिले और हर डिपार्टमेंट में एक SDO नियुक्त किया जाता है। किसी भी डिपार्टमेंट को व्यवस्थित तरीके से चलाने के लिए उन्हें कई राज्यों में बाटा जाता है और हर राज्य के कई जिलों में डिपार्टमेंट का काम विस्तार रूप से किया जाता है। इस व्यवस्था को अपने विस्तारित जिले में सुचारु रूप से चलाने की जिम्मेदारी एक सब डिविजनल ऑफिसर या SDO संभालता है।

SDM (सब डिविजनल मजिस्ट्रेट) हर राज्य के प्रत्येक जिले में नियुक्त किये जाते हैं। इन्हे सब डिवीजन की व्यवस्था बनाए रखने के लिए नियुक्त किया जाता है। एक SDM की जिम्मेदारी समस्त सब डिवीजन की देख रेख करने से ले कर सभी ज़मीनी मामलो के निपटारे की होती है। एक IAS अधिकारी को किसी जिले के सब-डिवीजनल स्तर पर परिवीक्षा अवधि (Probation) के बाद एक सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (SDM) के रूप में नियुक्त किया जाता है।

SDM एवं SDO में क्या अंतर होता है - ASK CRPC

आज हम आपको बहुत महत्वपूर्ण जानकारी देंगे, यह जानकारी आम लोगों के लिए बहुत ही जरूरी है, क्योंकि कभी कभी ऐसा होता है कि कोई व्यक्ति तहसील में जाकर तहसीलदार को भू-राजस्व संहिता के मामले से संबंधित शिकायत या आवेदन देता है तब वह तहसीलदार से ऊपर के अपीली अधिकारी SDM को समझता है, तहसीलदार SDM के अधीन कार्य कर सकता है, लेकिन भूमि राजस्व संहिता अर्थात भूमि मामले में तहसीलदार का ऊपरी अपीली अधिकारी SDM नहीं होता हैं, SDO (सब डिवीजन ऑफिसर) होता है, जानिए।

1). सब डिवीजन ऑफिसर(SDO) कौन होता है:-

SDO का पावर डिप्टी कलेक्टर रैंक के अधिकारी के पास होता हैं, यह भू-राजस्व संहिता (Lend Revenue Code) की शक्ति का प्रयोग एवं भूमि संबंधित मामलों की सुनवाई करता है। SDO तहसीलदार के अपीली एसएमएम और एसएमओ के बीच अंतर अधिकारी होता है। SDO मुख्य सिविल अधिकारी भी होते हैं। इन्हें सरकार विभिन्न विभागों में जैसे:- सिविल इंजीनियरिंग, PWD, लोक निर्माण विभाग, डाक विभाग आदि के नियुक्ति कर सकती है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए कुछ जिलों में SDM को ही SDO का प्रभार दिया गया है।

SDM भी डिप्टी कलेक्टर रैंक के अधिकारी होते एसएमएम और एसएमओ के बीच अंतर हैं, इनको वही पावर दिए जाते हैं जो एक जिले के DM को दिए जाते हैं। यह विधि व्यवस्था को बनाए रखने के लिए भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता एसएमएम और एसएमओ के बीच अंतर 1973(CRPC) के पावर का प्रयोग करते हैं। यह राजस्व निरीक्षक, पटवारियों, तहसीलदारो के प्रमुख होते हैं। इनको विधि व्यवस्था को बनाए रखने के लिए किसी को भी गिरफ्तार करने की शक्ति होती है।इनका प्रमुख कार्य हैं दंगा, बल्वा,अवैध हड़ताल,शोर या लाउडस्पीकर को रोकना आदि होता है। crpc की धारा 174(4) के अनुसार किसी व्यक्ति की आत्महत्या की जांच SDM स्वयं जाकर कर सकता है।एवं crpc की धारा 133 के अनुसार विधि व्यवस्था को बनाए रखने के लिए जो आदेश DM या SDM देते हैं वह आदेश अंतिम होता है, उस आदेश की कही कोई अपील नहीं कि जा सकती है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

फुल फॉर्म: DM, SDM, DSP, DC, SDO, TEHSILDAR में अंतर

DM, SDM, DSP, DC, SDO

DM– DISTRICT MAGISTRATE (जिला अधिकारी)
SDM– SUB DIVISIONAL MAGISTRATE (उप प्रभागीय न्यायाधीश)
DC– DISTRICT COLLECTOR (जिला कलेक्टर)
DSP– DEPUTY SUPERINTENDENT OF POLICE (उप पुलिस-अधीक्षक)
SDO– SUB DIVISIONAL OFFICER (उप मंडल अधिकारी)
BDO– BLOCK DEVELOPMENT OFFICER (ब्लॉक विकास अधिकारी)

DM और SDM मैं क्या अंतर है

DISTRICT MAGISTRATE पूरे जिले का मुख्य अधिकारी होता है जो पूरे जिले के काम को देखता है जबकि SUB DIVISIONAL MAGISTRATE जिले के एसएमएम और एसएमओ के बीच अंतर उपखंडों का काम देखता है।
DM पद SDM पद से बड़ा होता है और DM का वेतन भी SDM से ज्यादा होता है।
DM बनने के लिए पहले IAS या SDM पद पर कार्य करना पड़ता है जबकि SDM सीधे परीक्षा देकर बन सकते है। SDM डीएम के अधीन काम करता है।

SUB DIVISIONAL MAGISTRATE और SUB DIVISIONAL OFFICER दोनो ही अलग अलग पद है।
SDO को उप मंडल अधिकारी व SDM को उप प्रभागीय न्यायधीश कहा जाता है। SDO सिर्फ अपने विभाग के सभी अधिकारियों से बड़ा अधिकारी होता है SDM अपने जिले के उपखण्ड का अधिकारी होता है। SDM एक जिले में एक ही होता है जबकि SDO एक जिले मैं एक से ज्यादा होते है। SDM अपने विभाग के कामो मैं दखल दे सकता है जबकि SDM जिले के सभी सरकारी विभागों के काम को देखता है।

DC और DM में क्या अंतर है

DISTRICT COLLECTOR और DISTRICT MAGISTRATE दोनो ही आईएएस के उच्च पद है लेकिन इन दोनों के काम अलग अलग है। DC जमीन व भूमि से जुड़े हुए कार्य, विभिन्न करों ओर कृषि के क्षेत्र को संभालता है जबकि DM कानून व्यवस्था, सुरक्षा विवस्थ, पुलिस और जेलो का पर्यवेक्षण जैसे क्षेत्रों में कार्य करता है।

SUB DIVISIONAL MAGISTRATE जिले के उपखण्डों के काम की देखरेख कानून व्यवस्था को देखता है जबकि TEHSILDAR तहसील के क्षेत्रों में जो कार्य होते है उनको देखता है और तहसील के अधिकारियों में से उच्च अधिकारी तहसीलदार होता है।

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