Published on: November 14, 2022 12:22 IST
भारत में म्यूचुअल फंड में निवेश कैसे करें?
म्यूचुअल फंड उद्योग एक प्रकार का निवेश वाहन है जो कई निवेशकों से स्टॉक, बॉन्ड, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट आदि जैसी प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए धन एकत्र करता है। पेशेवर मनी मैनेजर म्यूचुअल फंड का प्रबंधन करते हैं, संपत्ति आवंटित करते हैं और निवेशकों के लिए पूंजीगत लाभ का उत्पादन करने का प्रयास करते हैं। म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो संरचित और उनके प्रॉस्पेक्टस में उल्लिखित निवेश उद्देश्यों से मेल खाने के लिए प्रबंधित होते हैं। व्यक्ति और छोटे व्यवसाय म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं, जो उन्हें स्टॉक, बॉन्ड आदि के पेशेवर रूप से प्रबंधित पोर्टफोलियो तक पहुंच प्रदान करते हैं। शेयरधारक फंड के लाभ या हानि को आनुपातिक रूप से साझा करते हैं। आम तौर पर, म्यूचुअल फंड का प्रदर्शन फंड के कुल मार्केट कैप में बदलाव पर आधारित होता है, जो फंड के अंतर्निहित निवेश के प्रदर्शन को जोड़कर प्राप्त किया जाता है।
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Mutual funds: वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी निवेश का बेहतर साधन है म्यूचुअल फंड, पढ़ें काम की खबर
निवेश विशेषज्ञों का मानना है कि म्यूचुअल फंड वरिष्ठ नागरिकों की ओर से किए जाने वाले निवेश को महंगाई के असर से भी बचाता है।
म्यूचुअल फंड को लेकर आमतौर पर धारणा है कि यह वरिष्ठ नागरिकों के लिए जोखिम भरा होता है। इसकी बड़ी वजह वरिष्ठ नागरिकों की बढ़ती उम्र है। लेकिन, वर्तमान में ऐसे नागरिकों के लिए निवेश के कई विकल्प मौजूद हैं। इन्हीं में एक है म्यूचुअल फंड। मौजूदा समय में ऐसे कई म्यूचुअल फंड हैं, जिन्हें खासतौर पर ऐसे नागरिकों की जरूरतों और कम जोखिम को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है।
रिटर्न के लिहाज से भी यह वरिष्ठ नागरिकों के लिए निवेश का अच्छा विकल्प है। म्यूचुअल फंड के जरिये फंड मैनेजर निवेशकों की कमाई को उन योजनाओं में लगाते हैं, जहां बेहतर रिटर्न मिलता है। इन्वेस्टमेंट प्लान के प्रकार इससे निवेश में विविधता भी आती है। इसकी रकम को शेयर, बॉन्ड और ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) आदि में लगाया जाता है। इसलिए इसके प्रदर्शन यानी रिटर्न पर बाजार के उतार-चढ़ाव का असर रहता है।
महंगाई के असर से बचाने में मददगार
निवेश विशेषज्ञों का मानना है कि म्यूचुअल फंड वरिष्ठ नागरिकों की ओर से किए जाने वाले निवेश को महंगाई के असर से भी बचाता है।
- सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) या एकमुश्त भुगतान के जरिये निवेश कर सकते हैं।
- उन वरिष्ठ नागरिकों के लिए पैसे लगाने का यह बेहतर विकल्प साबित हो सकता है, जिन्हें अपने निवेश में लचीलेपन की जरूरत होती है।
लंबी अवधि में अधिक मुनाफा
दरअसल, फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) और रिकरिंग डिपॉजिट (आरडी) में किए गए निवेश पर महंगाई का इन्वेस्टमेंट प्लान के प्रकार असर पड़ता है। इसलिए रिटर्न के लिहाज से एफडी व आरडी के मुकाबले लंबी अवधि के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश ज्यादा मुनाफा दिला सकता है। हालांकि, कम अवधि के निवेश में नुकसान की आशंका रहती है।
वर्तमान में वरिष्ठ नागरिकों को एफडी पर 3 से 7 फीसदी तक मिल रहा ब्याज
7.6% रिटर्न की पेशकश की जा रही है डाकघर में बचत योजना पर
मौका : राष्ट्रीय पेंशन योजना में 9 से 12 फीसदी तक ब्याज
निवेश वापस लेने की होती है छूट
वरिष्ठ नागरिकों को शुरुआती पांच साल के लिए डेट म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए। वहीं, अगले पांच साल के नियमित खर्चों के लिए बैलेंस्ड म्यूचुअल फंड में पैसे लगा सकते हैं। म्यूचुअल फंड निवेशक कभी भी अपना निवेश वापस ले सकता है। हालांकि, राष्ट्रीय पेंशन योजना या अन्य में ऐसी छूट नहीं होती है। इसके अलावा, म्यूचुअल फंड वरिष्ठ नागरिकों को अपने पोर्टफोलियो में बदलाव करने की भी छूट देता है। -स्वीटी मनोज जैन, निवेश सलाहकार
. तो कम अवधि में मिल सकता है अच्छा फायदा
हर म्चूयुअल फंड में इक्विटी और डेट के हिसाब से एक अलग प्रकार का जोखिम रहता है। ऐसे में रिटायर हो चुके वरिष्ठ नागरिक लंबी अवधि के अलावा कम अवधि के लिए भी म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि अच्छी क्रेडिट रेटिंग वाली कंपनियों के शॉर्ट टर्म बॉन्ड में निवेश करें। इसमें बैंक एफडी के मुकाबले बेहतर रिटर्न मिलता है।
विस्तार
म्यूचुअल फंड को लेकर आमतौर पर धारणा है कि यह वरिष्ठ नागरिकों के लिए जोखिम भरा होता है। इसकी बड़ी वजह वरिष्ठ नागरिकों की बढ़ती उम्र है। लेकिन, वर्तमान में ऐसे नागरिकों के लिए निवेश के कई विकल्प मौजूद हैं। इन्हीं में एक है म्यूचुअल फंड। मौजूदा समय में ऐसे कई म्यूचुअल फंड हैं, जिन्हें खासतौर पर ऐसे नागरिकों की जरूरतों और कम जोखिम को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है।
रिटर्न के लिहाज से भी यह वरिष्ठ नागरिकों के लिए निवेश का अच्छा विकल्प है। म्यूचुअल फंड के जरिये फंड मैनेजर निवेशकों की कमाई को उन योजनाओं में लगाते हैं, जहां बेहतर रिटर्न मिलता है। इससे निवेश में विविधता भी आती है। इसकी रकम को शेयर, बॉन्ड और ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) आदि में लगाया जाता है। इसलिए इसके प्रदर्शन यानी रिटर्न पर बाजार के उतार-चढ़ाव का असर रहता है।
महंगाई के असर से बचाने में मददगार
निवेश विशेषज्ञों का मानना है कि म्यूचुअल फंड वरिष्ठ नागरिकों की ओर से किए जाने वाले निवेश को महंगाई के असर से भी बचाता है।
- सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) या एकमुश्त भुगतान के जरिये निवेश कर सकते हैं।
- उन वरिष्ठ नागरिकों के लिए पैसे लगाने का यह बेहतर विकल्प साबित हो सकता है, जिन्हें अपने निवेश में लचीलेपन की जरूरत होती है।
लंबी अवधि में अधिक मुनाफा
दरअसल, फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) और रिकरिंग डिपॉजिट (आरडी) में किए गए निवेश पर महंगाई का असर पड़ता है। इसलिए रिटर्न के लिहाज से एफडी व आरडी के मुकाबले लंबी अवधि के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश ज्यादा मुनाफा दिला सकता है। हालांकि, कम अवधि के निवेश में नुकसान की आशंका रहती है।
वर्तमान में वरिष्ठ नागरिकों को एफडी पर 3 से 7 फीसदी तक मिल रहा ब्याज
7.6% रिटर्न की पेशकश की जा रही है डाकघर में बचत योजना पर
मौका : राष्ट्रीय पेंशन योजना में 9 से 12 फीसदी तक ब्याज
निवेश वापस लेने की होती है छूट
वरिष्ठ नागरिकों को शुरुआती पांच साल के लिए डेट म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए। वहीं, अगले पांच साल के नियमित खर्चों के लिए बैलेंस्ड म्यूचुअल फंड में पैसे लगा सकते हैं। म्यूचुअल फंड निवेशक कभी भी अपना निवेश वापस ले सकता है। हालांकि, राष्ट्रीय पेंशन योजना या अन्य में ऐसी छूट नहीं होती है। इसके अलावा, म्यूचुअल फंड वरिष्ठ नागरिकों को अपने पोर्टफोलियो में बदलाव करने की भी छूट देता है। -स्वीटी मनोज जैन, निवेश सलाहकार
. तो कम अवधि में मिल सकता है अच्छा फायदा
हर म्चूयुअल फंड में इक्विटी और डेट के हिसाब से एक अलग प्रकार का जोखिम रहता है। ऐसे में रिटायर हो चुके वरिष्ठ नागरिक लंबी अवधि के अलावा कम अवधि के लिए भी म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि अच्छी क्रेडिट रेटिंग वाली कंपनियों के शॉर्ट टर्म बॉन्ड में निवेश करें। इसमें बैंक एफडी के मुकाबले बेहतर रिटर्न मिलता है।
Life Insurance: 8 तरह की होती है जीवन बीमा पॉलिसी, अपनी जरूरत के हिसाब से करें चुनाव
कुछ पॉलिसी कवर के साथ-साथ सेविंग्स व निवेश के जरिए रिटर्न पाने का भी विकल्प देती हैं.
Equity as an asset class has inherent volatility and if one is stressed looking at market movement, it is better to opt for traditional products.
Types of Life Insurance: अगर कोई परिवार का एकमात्र कमाने वाला शख्स है तो उसके जाने के बाद जीवन बीमा (Life Insurance) उस पर निर्भर लोगों को कुछ हद तक वित्तीय तौर पर राहत देता है. लेकिन यह केवल एक तरह का नहीं होता है. कुछ पॉलिसी कवर के साथ-साथ सेविंग्स व निवेश के जरिए रिटर्न पाने का भी विकल्प देती हैं. यानी यह बीमा कराने वाले के खुद के भी काम आता है. भारत में 8 तरह की लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी उपलब्ध हैं. बीमा कराने वाला अपनी जरूरत के मुताबिक अपने लिए पॉलिसी का चुनाव कर सकता है. आइए जानते हैं जीवन बीमा पॉलिसी के प्रकार-
1. टर्म इंश्योरेंस प्लान
यह प्लान एक निश्चित समय के लिए खरीदा जा सकता है, जैसे 10, 20 या 30 साल. इस प्लान में चुने गए एक टेनर यानी अवधि के लिए कवरेज मिलता है. ऐसी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में मैच्योरिटी बेनिफिट नहीं होता. ये सेविंग्स/प्रॉफिट कंपोनेंट के बिना लाइफ कवर उपलब्ध कराती हैं. लिहाजा ये अन्य पॉलिसी की तुलना में सस्ती होती हैं. टर्म इंश्योरेंस में पॉलिसी टर्म के दौरान पॉलिसी धारक की मृत्यु होने पर पॉलिसी के तहत एश्योर्ड सम यानी एक तय रकम बेनिफीशियरी को दी जाती है.
2. मनीबैक इंश्योरेंस पॉलिसी
ये पॉलिसी एक तरह की एंडोमेंट पॉलिसी ही है. इस पॉलिसी में भी निवेश और बीमा का मेल है. अंतर इतना है कि इस लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में बोनस के साथ एश्योर्ड सम पॉलिसी टर्म के दौरान ही किस्तों में वापस किया जाता है. आखिरी किस्त पॉलिसी खत्म होने पर मिलती है. अगर पॉलिसी टर्म के दौरान पॉलिसीधारक की मृत्यु हो जाती है तो पूरा एश्योर्ड सम बेनिफीशियरी को मिलता है. हालांकि इस पॉलिसी का प्रीमियम सबसे ज्यादा होता है.
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3. एंडोमेंट पॉलिसी
इस तरह की लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में बीमा और निवेश दोनों होते हैं. इस पॉलिसी में एक निश्चित अवधि के लिए रिस्क कवर होता है और उस अवधि के खत्म होने बोनस के साथ एश्योर्ड सम पॉलिसीधारक को वापस किया जाता है. पॉलिसीधारक की मौत होने या निर्धारित सालों के बाद एंडोमेंट पॉलिसी के तहत पॉलिसी अमाउंट की फेस वैल्यू का भुगतान किया जाता है. कुछ पॅलिसी गंभीर बीमारी के मामले में भी भुगतान करती हैं.
4. सेविंग्स एंड इन्वेस्टमेंट प्लान्स
इस तरह का लाइफ इंश्योरेंस प्लान बीमा लेने वाले और उसके परिवार को भविष्य के खर्चों के लिए एकमुश्त फंड का भरोसा दिलाता है. ऐसे प्लान शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म वित्तीय लक्ष्यों के लिए बेहतरीन सेविंग्स टूल तो उपलब्ध कराते ही हैं, साथ ही इंश्योरेंस कवर के रूप में आपके परिवार को एक निश्चित धनराशि का आश्वासन भी देते हैं. इस प्रकार की लाइफ इंश्योरेंस कैटेगरी में ट्रेडिशनल और यूनिल लिंक्ड दोनों तरह के प्लान्स कवर होते हैं.
5. यूलिप
इस प्लान में भी प्रोटेक्शन और निवेश दोनों रहते हैं. ट्रेडिशनल यानी एंडोमेंट इंश्योरेंस पॉलिसी और मनीबैक पॉलिसी में मिलने वाला रिटर्न एक हद तक पक्का होता है, वहीं यूलिप में रिटर्न की कोई गारंटी नहीं होती है. इसकी वजह है कि यूलिप में निवेश वाले हिस्से को बॉन्ड और शेयर में लगाया जाता है और म्यूचुअल फंड की तरह आपको यूनिट मिल जाती है. ऐसे में रिटर्न मार्केट के उतार-चढ़ाव पर बेस्ड होता है. हालांकि आप तय कर सकते हैं कि आपका कितना पैसा शेयर में लगे और कितना पैसा बॉन्ड में लगे.
6. आजीवन लाइफ इंश्योरेंस
आजीवन लाइफ इंश्योरेंस यानी Whole Life Insurance Plan में आपको जीवनभर प्रोटेक्शन मिलता है. यानी पॉलिसी का कोई टर्म नहीं होता. पॉलिसीधारक की मृत्यु होने पर, नॉमिनी इन्वेस्टमेंट प्लान के प्रकार को बीमा का क्लेम मिलता है. अन्य लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में उम्र की एक मैक्सिमम लिमिट होती है, जो आमतौर पर 65-70 साल होती है. उसके बाद मौत होने पर नॉमिनी डेथ क्लेम नहीं ले सकता. लेकिन आजीवन लाइफ इंश्योरेंस के तहत पॉलिसीधारक की मौत 95 साल की उम्र में ही क्यों न हुई हो, नॉमिनी क्लेम कर सकता है. इस पॉलिसी का प्रीमियम काफी ज्यादा रहता है. इस पॉलिसी के तहत पॉलिसीधारक के पास इंश्योर्ड सम को आंशिक रूप से इन्वेस्टमेंट प्लान के प्रकार विदड्रॉ करने का विकल्प रहता है. इसके अलावा वह पॉलिसी के एवज में पैसा लोन के तौर पर भी ले सकता है.
7. चाइल्ड इंश्योरेंस पॉलिसी
ये प्लान बच्चों की शिक्षा के खर्च और अन्य जरूरतों को देखते हुए डिजाइन किए गए हैं. चाइल्ड प्लान में पॉलिसीधारक की मृत्यु के बाद एकमुश्त रकम का भुगतान किया जाता है लेकिन पॉलिसी खत्म नहीं होती है. भविष्य के सारे प्रीमियम माफ कर दिए जाते हैं और इंश्योरेंस कंपनी पॉलिसीधारक की ओर से निवेश जारी रखती है. बच्चे को एक निश्चित अवधि तक पैसा मिलता है.
8. रिटायरमेंट प्लान
इस प्लान में लाइफ इंश्योरेंस कवर नहीं मिलता है. यह एक रिटायरमेंट सॉल्यूशन प्लान है. इसके तहत आप अपने रिस्क का आकलन कर एक रिटायरमेंट फंड बना सकते हैं. तय की गई एक अवधि के बाद आपको या आपके बाद बेनिफीशियरी को पेंशन के तौर पर एक निश्चित रकम का भुगतान किया जाएगा. यह भुगतान मासिक, छमाही या सालाना आधार पर हो सकता है.
Source: policybazaar.com, coverfox, HDFC Life
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SIP Return: 5 साल में 3 लाख के हुए 11 लाख, एसआईपी करने से पहले जानें सबकुछ
SIP Investment: म्युचुअल फंड में निवेश करने का सबसे सुरक्षित और बेहतर तरीका है सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी एसआईपी (SIP).
SIP Investment: म्युचुअल फंड में निवेश करने का सबसे सुरक्षित और बेहतर तरीका है सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी एसआईपी (SIP).
How to Start SIP: शेयर बाजार में तेजी के साथ ही म्यूचुअल फंडों का रिटर्न भी बेहतर होने लगा है. लॉकडाउन के बाद इक्विटी फंडों में जोरदार तेजी देखने को मिली है, जिससे एक्सपर्ट एक बार फिर म्यूचुअल फंड में निवेश को लेकर पॉजिटिव हुए हैं. म्युचुअल फंड में निवेश करने का सबसे सुरक्षित और बेहतर तरीका है सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी एसआईपी (SIP). एसआईपी में अपना पैसा एक मुश्त जमा करने की जगह हर महीने में तय किस्त के आधार पर जमा कर सकते हैं. छोटे रिटेल निवेशकों को यह एक बड़ी सुविधा है. क्योंकि इसमें समय समय पर अपने निवेश का आकलन कर एसआईपी की राशि बढ़ाई जा सकती है. एसआईपी में लंबी अवधि में हाई रिटर्न की संभावना भी ज्यादा होती है. बाजार में ऐसी बहुत सी एसआईपी स्कीम है जिनमें निवेशक 100 से 500 रुपये में भी अपना निवेश शुरु कर सकते हैं.
कैसा रहा है 5 साल का प्रदर्शन
बाजार में ऐसी कई म्यूचुअल फंड स्कीम हैं, जिनमें पिछले 5 साल में 15 से 25 फीसदी तक सालाना के हिसाब से रिटर्न मिला है.
PGIM इंडिया मिडकैप अपॉर्चुनिटी फंड
Post Office TD: ये सरकारी स्कीम 10 लाख पर देगी 3.8 लाख ब्याज, 1 साल से 5 साल तक निवेश के हैं विकल्प
Ujjivan Bank FD Interest Rate: उज्जीवन बैंक ने बढ़ाई एफडी दरें, 560 दिनों की FD पर मिलेगा 8.75% ब्याज
Best SIP for 5 Years Investment 2022: इस साल चुनें ये बेहतरीन एसआईपी, पांच साल में कमा सकते हैं बैंक एफडी से भी अधिक रिटर्न
5 साल का रिटर्न: 25%
5 साल में 5000 मंथली SIP की वैल्यू: 11 लाख रुपये
(कुल निवेश: 3 लाख रुपये)
मिनिमम SIP: 1000 रुपये
एसेट्स: 713 करोड़ (31 जनवरी, 2021)
एक्सपेंस रेश्यो: 0.64% (31 जनवरी, 2021)
कोटक स्मालकैप फंड
5 साल का रिटर्न: 23%
5 साल में 5000 मंथली SIP की वैल्यू: 10.54 लाख रुपये
(कुल निवेश: 3 लाख रुपये)
मिनिमम SIP: 1000 रुपये
एसेट्स: 2539 करोड़ (31 जनवरी, 2021)
एक्सपेंस रेश्यो: 0.60% (31 जनवरी, 2021)
मिरे एसेट्स इमर्जिंग ब्लूचिप
5 साल का रिटर्न: 23%
5 साल में 5000 मंथली SIP की वैल्यू: 10.47 लाख रुपये
(कुल निवेश: 3 लाख रुपये)
मिनिमम SIP: 1000 रुपये
एसेट्स: 14146 करोड़ (31 जनवरी, 2021)
एक्सपेंस रेश्यो: 0.75% (31 जनवरी, 2021)
SBI स्मालकैप फंड
5 साल का रिटर्न: 23%
5 साल में 5000 मंथली SIP की वैल्यू: 10.47 लाख रुपये
(कुल निवेश: 3 लाख रुपये)
मिनिमम SIP: 500 रुपये
एसेट्स: 6594 करोड़ (31 जनवरी, 2021)
एक्सपेंस रेश्यो: 0.90% (31 जनवरी, 2021)
Axis मिडकैप फंड
5 साल का रिटर्न: 23%
5 साल में 5000 मंथली SIP की वैल्यू: 10.44 लाख रुपये
(कुल निवेश: 3 लाख रुपये)
मिनिमम SIP: 500 रुपये
एसेट्स: 8608 करोड़ (31 जनवरी, 2021)
एक्सपेंस रेश्यो: 0.52% (31 जनवरी, 2021)
(source: value research)
SIP के फायदे
- एसआईपी इक्विटी या डेट फंड में निवेश शुरु करने वाले उन निवेशकों के लिए एक बेहतर विकल्प है जो बाजार की जोखिम को कम करना चाहते हैं.
- इसके जरिए कैपिटल मार्केट में छोटी राशि के साथ और आसान किस्तों में भी निवेश कर सकते हैं.
- एसआईपी में निवेशकों को कंपाउंडिंग का फायदा मिलता है. लंबी अवधि में ज्यादा रिटर्न की संभावना होती है.
- हर महीने किस्त जमा करने का फायदा है कि जब बाजार में रिटर्न बढ़ रहा हो तो टॉप अप एसआईपी के जरिए किस्त बढ़ा सकते हैं.
- बाजार में गिरावट आने और डर बढ़ने पर एसआईपी पॉज करने की भी सुविधा है, फिर बाजार सही होने पर इसे जारी रख सकते हैं.
- इसके तहत फंड हाउस को स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन देकर बैंक अकाउंट से ऑटो डेबिट की सुविधा भी ले सकते हैं, जिससे हर महीने आपके बैंक अकाउंट से अपने आप किश्त की राशि कट जाएगी.
SIP के लिए जरूरी डॉक्युमेंट्स
एसआईपी शुरू करने के लिए KYC की प्रक्रिया जरूरी होती है. इसके लिए पैनकॉर्ड, एड्रेसप्रूफ, पासपोर्ट आकार के फोटोग्रॉफ और चेकबुक आपके पास होने चाहिए. SIP पेमेंट के डेबिट के लिए आपको बैंक अकाउंट डिटेल भी देने होंगे. ऑनलाइन ट्रांसजैक्शन के लिए आपको एक यूजर नेम और पॉसवर्ड बनाना होगा. ऑनलाइन एसआईपी शुरु करने के लिए आप किसी फंड हाउस के वेबसाइड पर जाकर एसपीआई चुन सकते हैं.
(नोट: हमने यहां फंड की जानकारी उनके प्रदर्शन के आधार पर दी है. बाजार के अपने जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर एडवाइजर की सलाह लें.)
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बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए इन 7 चाइल्ड प्लान में निवेश करें, पढ़ाने से लेकर शादी की नहीं होगी चिंता
अगर आप अपने बच्चे के भविष्य में आने वाली के लिए निवेश करना चाहते हैं तो बाजार में विभिन्न कंपनियों के ढेरों चाइल्ड उपलब्ध हैं।
Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: November 14, 2022 12:22 IST
Photo:INDIA TV चिल्ड्रन डे
आपके बच्चे आने वाले कल के भविष्य हैं। हर माता-पिता अपने बच्चों के बेहतर भविष्य की कामना करता है। लेकिन, सिर्फ कामना करने से आप अपने बच्चे को बेहतर भविष्य नहीं दे सकते हैं। इसके लिए फाइनेंशियल प्लानिंग और निवेश का संतुलित रवैया अपनाना जरूरी है। आज चिल्ड्रन डे (Children's Day) के अवसर पर हम आपको बता रहे हैं कि कैसे आप अपने बच्चों का भविष्य सही समय पर निवेश शुरू कर बेहतर बना सकते हैं।
निवेश की योजना ऐसे बनाएं
मान लीजिए की आपको एक बेटी या बेटा है जिसकी उम्र 2 साल है। आप इसे 22 साल की उम्र में मास्टर इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए) करना चाहते हैं। वर्तमान में एमबीए की पढ़ाई का फीस 10 लाख रुपए है और 7 फीसदी सालाना महंगाई की दर है। यानि जब उसकी उम्र 22 साल की होगी तो मबीए का खर्च करीब 50 लाख रुपये होगा।
म्यूचुअल फंड निवेश का एक बेहतर विकल्प
अगर 2 साल की उम्र से ही आप म्युचुअल फंड में पैसा लगाते हैं और 12 फीसदी की दर से रिटर्न मिलता है तो आपको इस रकम के लिए करीब 5100 रुपये प्रतिमाह निवेश करना होगा। अगर 8 साल की उम्र से निवेश शुरू करते हैं, तो आपको करीब 11,271 रुपये प्रति माह निवेश करना होगा, वहीं 12 साल की उम्र में निवेश शुरू करते हैं तो आपको 20,805 रुपये प्रतिमाह निवेश करना होगा। इसलिए बच्चों के सुखद भविष्य के लिए उसके जन्म के बाद जल्द से जल्द शुरू करना चाहिए। इससे आपके बजट पर अधिक बोझ भी नहीं पड़ता है और फंड मैनेज में करने में भी आसानी होगी।
बच्चों के भविष्य संवारने के लिए ये विकल्प चुनें
- म्यूचुअल फंड्स: आप लंबी अवधि के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। आप एसआईपी के जरिये छोटी राशि से निवेश की शुरुआत कर सकते हैं। लंबी अवधि में आसानी से आप अपने निवश पर 12-15% का रिटर्न पा सकते हैं।
- यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूलिप): बच्चों के लिए आप इंश्योरेंस कंपनियों के यूनिट लिंक्ड का भी चयन कर सकते हैं। मार्केट को ध्यान में रखते हुए यूलिप के रिटर्न का औसत करीब 12-15% है।
- FD, NSCs और PPF: लंबी अवधि के लिए आप FD, NSCs और PPF जैसे पारंपरिक स्कीम्स में बच्चों के नाम निवेश कर सकते हैं। बिना जोखिम के साथ ये बच्चों का भविष्य संवारने में मदद करेंगे।
- चाइल्ड कैपिटल गारंटी सॉल्यूशन: ये यूनिट लिंक्ड और गारंटीड रिटर्न प्लान का एक कॉम्बिनेशन हैं। इन स्कीम्स में, निवेश की गई राशि का 50-60% गारंटीड रिटर्न हिस्से में जाता है। यह भी निवेश का एक बेहतरीन माघ्यम है।
- चाइल्ड एजुकेशन प्लान: भारत में चाइल्ड एजुकेशन प्लान एक प्रकार का इंश्योरेंस है जो आपके बच्चे के भविष्य को सुनिश्चित करते हुए आपकी बचत की सुरक्षा करता है। योजना आपको अपनी बचत का निवेश करने की अनुमति देती है और बाद में इसे अपने बच्चे इन्वेस्टमेंट प्लान के प्रकार की शिक्षा के लिए उपयोग करती है।
- पोस्ट ऑफिस आरडी स्कीम: अगर आप बच्चे के लिए शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट स्कीम की तलाश में हैं तो पोस्ट ऑफिस आरडी स्कीम एक शानदार निवेश विकल्प है। इस स्कीम आप हर महीने 100 रुपये का छोटा निवेश करके मोटा फंड बना सकते हैं।
- सुकन्या समृद्धि योजना: बेटियों के भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए यह एक शानदार स्कीम है। इस स्कीम के तहत आप अपनी बेटी के नाम से आप 250 रुपये से लेकर 1.5 लाख रुपये तक का निवेश कर सकते हैं।
- एलआईसी न्यू चिल्ड्रन्स मनी बैक प्लान: एलआईसी न्यू चिल्ड्रन्स मनी बैक प्लान LIC की न्यू चिल्ड्रन मनी बैक प्लान की पॉलिसी अवधि 25 साल की है। इसमें आपको मैच्योरिटी की रकम किस्तों में मिलती है। इसके तहत जब आपका बच्चा 18 साल का होता है तब पहली बार इसका भुगतान किया जाता है।
चाइल्ड प्लान में निवेश से पहले जानकारी जरूरी
अगर आप अपने बच्चे के भविष्य में आने वाली के लिए निवेश करना चाहते हैं तो बाजार में विभिन्न कंपनियों के ढेरों चाइल्ड उपलब्ध हैं। हालांकि, चाल्ड प्लान में निवेश करने से पहले कुछ पहलुओं को समझना जरूरी है। चाइल्ड प्लान चुनने से पहले अपनी आय और बचत की क्षमता को जरूर तौले। फिर जो चाइल्ड प्लान ले रहे उसमें यह देंखे की क्या वह आपके बच्चे की भविष्य में आने वाली जरूरत को पूरा करने में सक्षम है। क्या आपके साथ कोई अनहोनी होने की सुरत में यह आपके बच्चे की वित्तीय जरूरत को पूरा कर पाएगा।
आयकर में छूट का लाभ भी ले सकते
बच्चों के नाम पर आप कई चाइल्ड प्लान लेकर आयकर की धारा 80सी के तहत छूट प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा इनकम टैक्स की धारा 10 (10 डी) के तहत परिपक्वता पर मिलने वाली रकम आयकर से मुक्त होती है। अगर आपको एक से अधिक बच्चे हैं तो ऐसा प्लान ले सकते हैं जिसमें दोनों बच्चों के लिए पैसे की बचत की जा सकती हैं।
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