भारत में Compound (COMP) टोकन खरीदना: बुनियादी कदम-दर-चरण मार्गदर्शिका
Compound को समझने से पहले, हम Defi (विकेंद्रीकृत वित्त) के बारे में जानेंगे। क्रिप्टोकरेंसी को भुगतान के संबंध में विकेंद्रीकृत धन के रूप में कार्य करने के लिए जाना जाता है। बिटकॉइन बेशक पहला और सबसे अच्छा उदाहरण है।
हालांकि, वित्तीय सेवाएं चेकिंग और बचत, उधार और उधार, बीमा, कर और लेखांकन और जैसी सेवाओं के भुगतान से परे जाती हैं। DeFi के पीछे का विचार इस प्रकार काफी स्पष्ट है- क्रिप्टो सिग्नल का उपयोग करने के लाभ ब्लॉकचेन प्रोटोकॉल और क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करके सभी वित्तीय सेवाओं को विकेंद्रीकृत करने के लिए।
Compound एक विकेन्द्रीकृत blockchain प्रोटोकॉल है, जो मुख्य रूप से उधार और क्रिप्टो की वित्तीय सेवाओं से संबंधित है। Compound के साथ क्रिप्टो लॉक करना एक बचत खाते में पैसा लगाने की तरह है, लेकिन एक विकेंद्रीकृत, ब्लॉकचैन-आधारित प्रोटोकॉल के साथ।
रॉबर्ट लेशनर, एक पूर्व अर्थशास्त्री, Compound के संस्थापक और CEO हैं।
Compound टोकन का अर्थ
COMP Compound प्रोटोकॉल का शासन टोकन है और हर दिन प्रोटोकॉल पर सभी उधारदाताओं और उधारकर्ताओं को एक पूर्व निर्धारित राशि वितरित की जाती है। COMP वितरण हर बार होता है जब प्रत्येक संपत्ति में अर्जित ब्याज के आनुपातिक रूप से एक Ethereum ब्लॉक का खनन (प्रत्येक 15 सेकंड) किया जाता है।
COMP टोकन के माध्यम से यौगिक का प्रशासन एक महत्वपूर्ण, केंद्रीकृत, एकल बिंदु विफलता को दूर करना है | कुल COMP आपूर्ति का कम से कम 1% का मालिक कोई भी व्यक्ति प्रोटोकॉल को बदलने के प्रस्तावों पर प्रस्तुत और वोट कर सकता है। प्रत्येक COMP टोकन एक वोट का प्रतिनिधित्व करता है।
प्रस्ताव निष्पादन योग्य कोड हैं जो तीन दिवसीय मतदान अवधि के अधीन हैं। यदि प्रोटोकॉल में क्रिप्टो सिग्नल का उपयोग करने के लाभ एक शासन परिवर्तन समुदाय द्वारा पारित किया जाता है, तो यह दो दिन बाद प्रभावी होगा, किसी को भी किसी भी खुले पदों को बंद करने से पहले परिवर्तन में जाने का मौका देगा। इस तरह, कंपाउंड एक पूरी तरह से स्व-शासित ब्लॉकचेन है।
COM टोकन का उपयोग DeFi आंदोलन की एक मूलभूत विशेषता का प्रतिनिधित्व करता है- विभिन्न प्रोटोकॉल ब्लॉकों को अलग-अलग बिल्डिंग ब्लॉक के रूप में संयोजित करने की क्षमता – जिसे legos कहा जाता है।
COM tokens का उत्पादन कैसे किया जाता है?
जब भी कोई उपयोगकर्ता क्रिप्टो-संपत्तियों को Compound प्रोटोकॉल में जमा करता है, तो नए टोकन बनाए जाते हैं। यदि उपयोगकर्ता ETH का उपयोग संपार्श्विक के रूप में करना चाहते हैं, तो वे अपने जमा cETH के बदले में स्वचालित रूप से cETH प्राप्त करते हैं। यदि उपयोगकर्ता ब्याज अर्जित करने के लिए USDC (USD Coin) का उपयोग करना चाहते हैं, तो सिस्टम में यूएसडीसी जमा करने पर उन्हें COM USDC प्राप्त होता है।
CTokens के उदाहरणों में cETH, cBAT और cDAI शामिल हैं।
टोकन के लाभ
- CETH का उपयोग ऋण के लिए संपार्श्विक के रूप में किया जा सकता है और इसलिए जब वे ब्याज कमा रहे हों, तब धन खर्च किया जा सकता है।
- यह एक पारंपरिक वित्तीय मध्यस्थ से निपटने की लागत को विकसित करता है।
- उन्हें डीआईएफए इकोसिस्टम में अन्य डैप में कमाई (या भुगतान) करते समय अन्य एथेरियम टोकन की तरह स्थानांतरित, व्यापार या प्रोग्राम किया जा सकता है।
भारत में Compound टोकन कैसे खरीदें?
भारत में ऑनलाइन क्रिप्टो एक्सचेंजों जैसे BuyUcoin के माध्यम से आसानी से crypto सिक्के खरीदे जा सकते हैं। नीचे दिए गए चरणों का पालन करें-
- https://www.buyucoin.com/ पर जाएं और साइन अप करें।
- अपने बैंक खाते का विवरण जोड़ें
- अपने केवाईसी सत्यापित करें
- ओटीसी डेस्क पर जाएं और डायरेक्ट खरीदें पर क्लिक करें
- अब आप Compound सिक्का खरीद सकते हैं।
Compound Token खरीदने के लिए आप इस लिंक को क्लिक करे > Buy Compound Token in India.
और English में Guide के लिए आप ये article पढें > Buy Compound Token in India – Step by Step Guide for Beginners
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Radar Signal Trading System in Hindi: जानिए शेयर मार्केट में रडार सिग्नल ट्रेडिंग सिस्टम क्या है?
Radar Signal Trading System in Hindi: शेयर बाजार में निवेशकों को अधिक लाभ पहुंचाने के उदेश्य से पिछले कुछ वर्षों में अनेक प्रणालियों का विकस किया गया हैं।रडार सिग्नल ट्रेडिंग सिस्टम शेयर ट्रेडिंग की उन्ही तकनीकों में से एक है। इस तकनीक की मदत से ट्रेडर को थोड़ी ही देर में शेयर ट्रेडिंग के लिए शेयरों का विश्लेषण करने में मदद मिलती है। आइये जानते हैं शेयर मार्किट में रडार सिग्नल ट्रेडिंग सिस्टम क्या है? और Radar Signal Trading System कैसे कार्य करता है?
रडार सिग्नल ट्रेडिंग सिस्टम क्या है?
रडार सिग्नल ट्रेडिंग सिस्टम शेयर ट्रेडिंग की एक तकनीक हैं जो तार्किक विश्लेषण के माध्यम से कार्य कराती है। यह एक ऐसी विधि है जो विश्लेषण के माध्यम से उत्पन्न होती है। रडार सिग्नल ट्रेडिंग सिस्टम का प्रयोग शेयर्स खरीदने या बेचने के संकेत देने के लिए किया जाता है। Radar Signal Trading System उन निवेशकों के लिए है जो शेयर मार्किट की कम जानकारी रखते है या उसके बारे में कुछ नहीं जानते। ये तकनीक निवेशकों को उनकी निवेश की जरूरतों और लक्ष्यों पूरा करने में मदत कराती है। आइये जानते है इस तकनीक की पूरी जानकारी (Radar Signal Trading System in Hindi)
Radar Signal Trading System in Hindi
Radar Signal Trading System गणितीय एल्गोरिदम पर आधारित होता है। इसमें पूर्व निर्धारित सेट किए हुए गणितीय सूत्र होते हैं जिनके आधार पर शेयर के खरीदने या बेचने का सिग्नल भेजा जाता है। Radar Signal Trading System का उपयोग ट्रिगर को खरीदने या बेचने के अलावा, ट्रेड/व्यापार संकेतों के आधार पर अपने पोर्टफोलियों को संशोधित करने के लिए भी किया जाता है। इसके अलावां आप इस तकनीकी का इस्तेमाल से प्रकृति के संकेतकों का उपयोग करके मैनुअल विधियों के आधार पर शेयर का विश्लेषण कर सकते है।
कैसे काम करता है रडार सिग्नल ट्रेडिंग सिस्टम?
शेयर मार्केट में सिग्नल ट्रेडिंग ऑनलाइन ट्रेडिंग में उपयोग की जाने वाली एक बहुत ही सामान्य लेकिन महत्वपूर्ण प्रणाली है। रडार सिग्नल ट्रेडिंग सिस्टम अनिवार्य रूप से शेयर बाजार से अनावश्यक डेटा को हटा देता है। इससे निवेशकों को केवल उन्हीं शेयरों के बारे में जानकारी मिलती है जो उनकी निवेश आवश्यकताओं और उद्देश्यों के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस तकनीक में एक पैटर्न के आधार पर शेयर के खरीदने’ और ‘बेचने’ का सिग्नल दिया जाता है। अगर कोई शेयर अपना पैटर्न ब्रेक करता है तो इसका सिग्नल तुरंत आता है जिससे निवेशक सही समय पर फैसला ले सके।
सिग्नल ट्रेडिंग सिस्टम का आधार (Common Inputs)
तकनीकी विश्लेषण के लिए रडार सिग्नल ट्रेडिंग सिस्टम में अलग-अलग इनपुट लिए जाते है। इसमें प्रमुख घटक तकनीकी विश्लेषण है के साथ मौलिक विश्लेषण और मात्रात्मक विश्लेषण का भी इस्तेमाल किया जाता है। रडार सिग्नल ट्रेडिंग सिस्टम में निम्नलिखित सामान्य इनपुट को शामिल किया जाता है।
Importance of Radar Signal Trading System ( महत्त्व )
सिग्नल ट्रेडिंग सिस्टम आपके पोर्टफोलियो की कैसे मदद कर सकता है और कैसे आपको सही जानकारी दे सकता है इसे निचे विंदुवार समझाया गया है।
- रडार सिग्नल ट्रेडिंग सिस्टम निवेशकों को तुरन्त यह जानने में मदत करता है कि किस स्टॉक ने उच्च या निम्न स्तर पर शुरुआत की हैं।
- यह दर्शाता है कि कौन कौन से शेयर्स ने रेजिस्टेंस स्तर या सपोर्ट स्तर को तोड़ दिया है।
- Radar Signal Trading System से उतार-चढ़ाव के दिनों में वॉल्यूम बदलना आसानी से समझा जा सकता है।
- कई तकनीकी संकेतकों को ट्रैक करने के लिए एक व्यापक सिस्टम प्रदान करता है।
कितना सटीक है रडार सिग्नल ट्रेडिंग सिस्टम?
इस समय पूरी दुनिया में अधिकतर निवेशक सिग्नल ट्रेडिंग सिस्टम का उपयोग कर रहे हैं। रडार सिग्नल ट्रेडिंग सिस्टम निवेशकों को खरीदने या बेचने के संकेत देने के लिए तकनीकी विश्लेषण और मौलिक विश्लेषण का उपयोग करने में मदद करता है। मौजूदा समय में बड़ी संख्या में सूचीबद्ध शेयर के कारण सिग्नल ट्रेडिंग सिस्टम के बिना ट्रेडिंग या निवेश मुश्किल है। कहा जाता है कि इस तकनीक से मानवीय त्रुटि को दूर किया गया है लेकिन इनमें कई ऐसी विधियां है जो पूर्ण रूप से प्रमाणित नहीं हैं। इसलिए किसी भी सिग्नल ट्रेडिंग सिस्टम का इस्तेमाल करते समय सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
FAQs: Radar Signal Trading System in Hindi
Q: रडार सिग्नल ट्रेडिंग सिस्टम का उदेश्य क्या है?
Ans: रडार सिग्नल ट्रेडिंग सिस्टम शेयर ट्रेडिंग की उन्ही तकनीकों में से एक है जिसे निवेशकों को सही सिग्नल देने के उदेश्य से बनाया है।
Q: रडार सिग्नल ट्रेडिंग सिस्टम क्या है?
Ans: रडार सिग्नल ट्रेडिंग सिस्टम एक ऐसी तकनीक है जो विश्लेषण के माध्यम से उत्पन्न होती है और इसका प्रयोग खरीदने या बेचने के संकेत देने के लिए किया जाता है।
Q: रडार सिग्नल मेटाट्रेडर 4 क्या है?
Ans: रडार सिग्नल मेटाट्रेडर 4 एक रडार सिग्नल की तकनीक है जो सिग्नल तक उपयोगकर्ता की पहुंच प्रदान करता है। यह निवेशकों को अपने स्वंय के सिग्नल बनाने का विकल्प प्रदान करता है।
भारत में बिटकॉइन पर लग सकता है बैन, आरबीआई ला सकती है डिजिटल करेंसी
दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क के निवेश के बाद बिटकॉइन के भाव लगातार बढ़ रहे हैं. भारत में सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर नकेल कसने की कवायद कर रही है. हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साफ किया था कि सरकार द्वारा गठित की गई समिति ने सभी वर्चुअल करेंसी को भारत में बैन करने का सुझाव दिया है. उन्होंने कहा था कि क्रिप्टो एसेट्रस को अवैध गतिविधियों व पेमेंट सिस्टम से खत्म करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इस बयान के बाद निवेशक यह अनुमान लगा रहे हैं कि सरकार बिटकॉइन को बैन करने का फैसला कर सकती है. 9 फरवरी 2021 को वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने राज्यसभा में कहा था कि सरकार जल्द ही क्रिप्टो करेंसी के लिए एक नया बिल लेकर आने वाली है, क्योंकि मौजूदा कानून इनसे जुड़ी चिंताओं का समाधान करने में सक्षम नहीं हैं.
वित्त राज्यमंत्री ठाकुर ने बताया था कि सरकार ने एक अंतर-मंत्रालीय समिति का गठन किया है, जो वर्चुअल करेंसी पर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. ठाकुर ने कहा कि क्रिप्टो करेंसी पर एक बिल को अंतिम रूप दिया जा रहा है और इसे जल्द ही कैबिनेट के सामने रखा जाएगा. उन्होंने कहा, "हम जल्द ही नया बिल लाएंगे."
भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर बी पी कानूनगो ने इसे पहले कहा था कि आरबीआई की आंतरिक समिति केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा जारी करने के तौर तरीकों पर गौर कर रही है और यह जल्दी इस बारे में अपनी सिफारिश दे सकती है. फिलहाल आरबीआई यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि डिजिटल करेंसी को लाने से क्या फायदे होंगे और यह कितना उपयोगी होगा.
क्रिप्टोक्यूरेंसी एक डिजिटल मुद्रा है जिसका इस्तेमाल वस्तुओं और सेवाओं को खरीदने के लिए किया जाता है, लेकिन ऑनलाइन लेनदेन को सुरक्षित करने के लिए क्रिप्टोग्राफी के साथ एक ऑनलाइन लेजर का उपयोग होता है. इन अनियमित मुद्राओं में ब्याज से मिलने वाला अधिकांश लाभ व्यापार के लिए किया जाता है. कई बार इसकी कीमतें आसमान छू जाती है.
Crypto Trading : कैसे करते हैं क्रिप्टोकरेंसी में निवेश और कैसे होती है इसकी ट्रेडिंग, समझिए
Crypto Trading : क्रिप्टोकरेंसी ट्रेड ब्लॉकचेन तकनीक पर काम करती है और निवेश को सुरक्षित रखने के लिए एन्क्रिप्शन कोड का इस्तेमाल करती है. आप अपने क्रिप्टो टोकन या तो सीधे बायर को बेच सकते हैं या फिर ज्यादा सुरक्षित रहते हुए एक्सचेंज पर ट्रेडिंग कर सकते हैं.
Cryptocurrency Trading : क्रिप्टोकरेंसी में निवेश को लेकर है बहुत से भ्रम. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) एन्क्रिप्शन के जरिए सुरक्षित रहने वाली एक डिजिटल करेंसी है. माइनिंग के जरिए नई करेंसी या टोकन जेनरेट किए जाते हैं. माइनिंग का मतलब उत्कृष्ट कंप्यूटरों पर जटिल गणितीय समीकरणों को हल करने से है. इस प्रक्रिया को माइनिंग कहते हैं और इसी तरह नए क्रिप्टो कॉइन जेनरेट होते हैं. लेकिन जो निवेशक होते हैं, वो पहले से मौजूद कॉइन्स में ही ट्रेडिंग कर सकते हैं. क्रिप्टो मार्केट में उतार-चढ़ाव का कोई हिसाब नहीं रहता है. मार्केट अचानक उठता है, अचानक गिरता है, इससे बहुत से लोग लखपति बन चुके हैं, लेकिन बहुतों ने अपना पैसा भी उतनी ही तेजी से डुबोया है.
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अगर आपको क्रिप्टो ट्रेडिंग को लेकर कुछ कंफ्यूजन है कि आखिर यह कैसे काम करता है, तो आप अकेले नहीं हैं. बहुत से लोग यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि वर्चुअल करेंसी में कैसे निवेश करें. हम इस एक्सप्लेनर में यही एक्सप्लेन करने की कोशिश कर रहे हैं कि आप क्रिप्टोकरेंसी में कैसे निवेश कर सकते हैं, और क्या आपको निवेश करना चाहिए.
क्रिप्टोकरेंसी क्या है?
क्रिप्टोकरेंसी क्या है, ये समझने के लिए समझिए कि यह क्या नहीं है. यह हमारा ट्रेडिशनल, सरकारी करेंसी नहीं है, लेकिन इसे लेकर स्वीकार्यता बढ़ रही है. ट्रेडिशनल करेंसी एक सेंट्रलाइज्ड डिस्टिब्यूशन यानी एक बिंदु से वितरित होने वाले सिस्टम पर काम करती है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी को डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नॉलजी, ब्लॉकचेन, के जरिए मेंटेन किया जाता है. इससे इस सिस्टम में काफी पारदर्शिता रहती है, लेकिन एन्क्रिप्शन के चलते एनॉनिमिटी रहती है यानी कि कुछ चीजें गुप्त रहती हैं. क्रिप्टो के समर्थकों का कहना है कि यह क्रिप्टो सिग्नल का उपयोग करने के लाभ वर्चुअल करेंसी निवेशकों को यह ताकत देती है कि आपस में डील करें, न कि ट्रेडिशनल करेंसी की तरह नियमन संस्थाओं के तहत.
क्रिप्टो एक्सचेंज का एक वर्चुअल माध्यम है. इसे प्रॉडक्ट या सर्विस खरीदने के लिए इस्तेमाल में लिया जा सकता है. जो क्रिप्टो ट्रांजैक्शन होते हैं. उन्हें पब्लिक लेज़र यानी बहीखाते में रखा जाता है और क्रिप्टोग्राफी से सिक्योर किया जाता है.
क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग कैसे होती है?
इसके लिए आपको पहले ये जानना होगा कि यह बनता कैसे है. क्रिप्टो जेनरेट करने की प्रक्रिया को माइनिंग कहते हैं. और ये काम बहुत ही उत्कृष्ट कंप्यूटर्स में जटिल क्रिप्टोग्राफिक इक्वेशन्स यानी समीकरणों को हल करके किया जाता है. इसके बदले में यूजर को रिवॉर्ड के रूप में कॉइन मिलती है. इसके बाद इसे उस कॉइन के एक्सचेंज पर बेचा जाता है.
कौन कर सकता है ट्रेडिंग?
ऐसे लोग जो कंप्यूटर या टेक सैवी नहीं हैं, वो कैसे क्रिप्टो निवेश की दुनिया में प्रवेश कर सकते हैं? ऐसा जरूरी नहीं है कि हर निवेशक क्रिप्टो माइनिंग करता है. अधिकतर निवेशक बाजार में पहले से मौजूद कॉइन्स या टोकन्स में ट्रेडिंग करते हैं. क्रिप्टो इन्वेस्टर बनने के लिए माइनर बनना जरूरी नहीं है. आप असली पैसों से एक्सचेंज पर मौजूद हजारों कॉइन्स और टोकन्स में से कोई भी खरीद सकते हैं. भारत में ऐसे बहुत सारे एक्सचेंज हैं तो कम फीस या कमीशन में ये सुविधा देते हैं. लेकिन यह जानना जरूरी है कि क्रिप्टो में निवेश जोखिम भरा है और मार्केट कभी-कभी जबरदस्त उतार-चढ़ाव देखता है. इसलिए फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स निवेशकों से एक ही बार में बाजार में पूरी तरह घुसने की बजाय रिस्क को झेलने की क्षमता रखने की सलाह देते हैं.
यह समझना भी जरूरी है कि सिक्योर इन्वेस्टमेंट, सेफ इन्वेस्टमेंट नहीं होता है. यानी कि आपका निवेश ब्लॉकचेन में तो सुरक्षित रहेगा लेकिन बाजार में उतार-चढ़ाव का असर इसपर होगा ही होगा, इसलिए निवेशकों को पैसा लगाने से पहले जरूरी रिसर्च करना चाहिए.
क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल क्या है?
यह डिजिटल कॉइन उसी तरह का निवेश है, जैसे हम सोने में निवेश करके इसे स्टोर करके रखते हैं. लेकिन अब कुछ कंपनियां भी अपने प्रॉडक्ट्स और सर्विसेज़ के लिए क्रिप्टो में पेमेंट को समर्थन दे रही हैं. वहीं, कुछ देश तो इसे कानूनी वैधता देने पर विचार कर रहे हैं.
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