डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होने से भारतीय निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो रिटर्न को बढ़ाने में मदद मिलती है.

डेली न्यूज़

विदेशी मुद्रा भंडार का उच्चतम स्तर: कारण और महत्त्व

  • 08 Sep 2020
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विदेशी मुद्रा भंडार

मेन्स के लिये:

विदेशी मुद्रा भंडार वृद्धि के कारण, महत्त्व

चर्चा में क्यों?

भारतीय स्टॉक और विदेशी मुद्रा समाचार रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा 4 सितंबर को जारी आँकड़ों के अनुसार, सप्ताह के अंत में भारत का विदेशी मुद्रा (फॉरेक्स) का भंडार $ 3.883 बिलियन बढ़ कर $ 541.431 बिलियन के उच्चतम स्तर पर पहुँच गया। 5 जून, 2020 को समाप्त सप्ताह में पहली बार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार $ 500 बिलियन को पार कर गया।

स्टॉक और विदेशी मुद्रा समाचार

चीन राष्ट्रीय विदेशी मुद्रा प्रशासन: चीन के विदेशी मुद्रा बाजार में अच्छा लचीलापन

21 नवम्बर को आयोजित 2022 वित्तीय मंच के वार्षिक सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में चीनी जन बैंक के उपाध्यक्ष, चीनी राष्ट्रीय विदेशी मुद्रा प्रशासन के प्रधान फान कोंगशंग ने स्टॉक और विदेशी मुद्रा समाचार कहा कि इस वर्ष उच्च मुद्रास्फीति और सिकुड़न मुद्रा नीति के प्रभाव से विदेशी मुद्रा समेत अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय बाजार की डांवाडोल स्थिति को एक साल हो चुका है। इसके बावजूद चीनी विदेशी मुद्रा के बाजार में लचीलापन दिखता है।

फान कोंगशंग ने कहा कि इस वर्ष वैश्विक स्टॉक, बॉन्ड और अन्य वित्तीय संपत्ति की कीमतें बड़े पैमाने पर गिर चुकी हैं। यूएस डॉलर तेजी से मजबूत हो गया है और 20 वर्षों की एक नयी ऊंचाई पर पहुंचा है।

फान कोंगशंग ने कहा कि चीन की विदेशी मुद्रा के बाजार में नयी विशेषताएं दिख रही हैं और लचीलापन निरंतर मजबूत हो रहा है। वैश्विक दायरे में प्रमुख विकसित और नवोदित बाजार में मुद्राओं की तुलना में चीनी मुद्रा आरएमबी की अवमूल्यन दर औसत स्तर पर रही है। सीमा पार फंड के प्रवाह में उतार -चढ़ाव होने के बावजूद यह आम तौर पर स्थिर और व्यवस्थित रहा है।

साथ ही चीनी वित्तीय विभागों ने वित्तीय समर्थन की कई नीतियां जारी कीं, जिन्होंने बंदोबस्त की भूमिका अदा की है और बाजार में सक्रिय प्रभाव पड़ा है। भविष्य में चीनी राष्ट्रीय विदेशी मुद्रा प्रशासन वित्तीय खुलेपन और सुरक्षा का समायोजन कर उच्च स्तरीय खुले विदेशी मुद्रा प्रबंध तंत्र की स्थापना करेगा, विदेशी मुद्रा के सुधार और खुलेपन को गहरा करेगा, सीमा पार व्यापार और निवेश के सुविधाकरण के स्तर को उन्नत करेगा और विदेशी मुद्रा बाजार के स्वस्थ प्रचलन और राष्ट्रीय आर्थिक वित्तीय सुरक्षा की रक्षा करेगा।

Sri Lanka को संकट से स्टॉक और विदेशी मुद्रा समाचार उबारने का ये है प्लान, भारत समेत 10 देशों की 24 कंपनियां आईं आगे

Sri Lanka Crisis: श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) लगभग खत्म होने के चलते देश में यह भीषण आर्थिक संकट गहरा गया है. ईंधन का आयात और पर्याप्त आपूर्ति बुरी तरह बाधित हुई है. गौरतलब है कि श्रीलंका की सरकारी तेल कंपनी सीपीसी की आपूर्ति जून 2022 के मध्य में ही बंद हो गई थी.

Sri Lanka को संकट से उबारेंगे भारत समेत ये 10 देश

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 अगस्त 2022,
  • (अपडेटेड 29 अगस्त 2022, 5:27 PM IST)

इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट (Financial Crisis) से जूझ रहे श्रीलंका (Sri Lanka) की मदद के लिए 10 देश आगे आए हैं. देश के बिजली और ऊर्जा मंत्रालय की ओर से जानकारी साझा करते हुए कहा गया कि भारत सहित 10 देशों की 24 कंपनियों ने यहां पेट्रोलियम उत्पाद बेचने में रुचि दिखाई है.

भारत समेत ये देश लिस्ट में शामिल
कोलंबो पेज नामक समाचार पोर्टल पर श्रीलंका ऊर्जा मंत्रालय के हवाले से छपी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. इसमें बिजली और ऊर्जा मंत्री कंचना विजेसेकेरा ने कहा कि संयुक्त अरब अमीरात (UAE), सऊदी अरब (Saudi Arabia), अमेरिका (America), चीन (China), भारत (India), रूस (Russia), ब्रिटेन (Britain), मलेशिया (Malaysia), नॉर्वे (Norway) और फिलीपींस (Philippines) की 24 कंपनियों ने अभिरुचि पत्र (EOI) जमा किए हैं. इन कंपनियों ने देश के ऊर्जा क्षेत्र में अपनी गहरी दिलचस्पी दिखाई है.

6 हफ्तों में किया जाएगा फाइनल
श्रीलंका में पेट्रोलियम उत्पादों की किल्लत का आलम ये है कि देश के पेट्रोल पंप सूखे पड़े हैं. जिन पंपों पर कुछ ईंधन बचा है तो वहां पर स्थानीय लोगों को घंटों लाइन में लगना पड़ रहा है, लेकिन फिर भी उनके हाथ मायूसी ही लग रही है. रिपोर्ट के अनुसार, ऊर्जा मंत्रालय की नियुक्त समिति अब इन 10 देशों के प्रस्तावों का मूल्यांकन करेगी, और 6 हफ्तों में प्रक्रिया को अंतिम रूप देगी. ईंधन की किल्लत के चलते श्रीलंका में बीते कुछ समय में पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) की कीमतों स्टॉक और विदेशी मुद्रा समाचार में बेतहाशा बढ़ोतरी की गई है.

Rupee Against Dollar: डॉलर के मुकाबले रुपये में बढ़ रही है कमजोरी, ज्‍यादा रिटर्न के लिए कैसे तैयार करें पोर्टफोलियो

डॉलर के मुकाबले रुपये के मजबूत होने में अभी थोड़ा वक्त लग सकता है. ऐसे में अगर आप अपने बच्चों को किसी विदेशी स्कूल में भेजने के बारे में सोच रहे हैं, तो आप अमेरिकी शेयर मार्केट में निवेश करने या विदेशी बैंक खाते में पैसा रखने के बारे में सोच सकते हैं.

Rupee Against Dollar: डॉलर के मुकाबले रुपये में बढ़ रही है कमजोरी, ज्‍यादा रिटर्न के लिए कैसे तैयार करें पोर्टफोलियो

डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होने से भारतीय निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो रिटर्न को बढ़ाने में मदद मिलती है.

Rupee Against Dollar: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में गिरावट आज भी जारी रही. शुरूआती कारोबार बाजार में डॉलर के मुकाबले में रुपया 82.66 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गया. एक्सपर्ट्स की माने तो ग्लोबल मार्केट में जारी अनिश्चितता की वजह डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा में आगे भी गिरावट जारी रह सकती है. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि अगले कुछ दिनों में रुपया 83.50 के स्तर तक गिर सकता है. इस अनिश्चितता का असर न सिर्फ भारतीय करेंसी पर हो रहा, बल्कि दुनिया भर के देश इससे प्रभावित हो रहे हैं.

अब तक के न्यूनतम स्तर पर पहुंचा रुपया

इससे पहले सोमवार को रुपया 82.40 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गया था. गिरावट का यह दौर इस साल जनवरी 2022 से जारी है. डॉलर लगातार रुपये के मुकाबले मजबूत हो रहा है और आने वाले दिनों में भी ऐसा ही जारी रह सकता है. रुपये को कमजोर होने से बचाने के लिए आरबीआई द्वारा विदेशी मुद्रा भंडार में पिछले 2 सालों से कमी की जा रही है. इस साल अब तक विदेशी मुद्रा भंडार में 11 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है.

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यूएस फेड की सख्त आर्थिक नीतियो का असर

डॉलर में मजबूती के पीछे यूएस फेड अपनाई गए सख्त आर्थिक नीति को माना जा सकता है. इसके साथ ही अमेरिकी में जॉब की बढ़ती संख्या भी इसकी एक बड़ी वजह हो सकती है. फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में अभी और भी इजाफा किये जाने की उम्मीद है. डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती आने में अभी थोड़ा वक्त लग सकता है. ऐसे में अगर आप अपने बच्चों को किसी विदेशी स्कूल में भेजने के बारे में सोच रहे हैं, तो आप अमेरिकी शेयरों में निवेश करने या विदेशी बैंक खाते में पैसा रखने के बारे में सोच सकते हैं. विदेशों में स्टॉक और विदेशी मुद्रा समाचार भेजे गए पैसो पर RBI द्वारा Liberalized Remittance Scheme अपनाई जाती है. इस नीति के तहत नाबालिगों सहित सभी निवासियों को किसी भी वैध चालू या पूंजी खाता लेनदेन या दोनों के संयोजन के लिए हर फाइनेंशियल ईयर में 2,50,000 अमेरिकी डॉलर तक टैक्स फ्री ट्रांजेक्शन की परमिशन दी गई है.

अमेरिकी शेयर मार्केट में निवेश करने पर होता है फायदा

भारतीय मुद्रा के कमजोर होने का सीधा असर उन लोगों पर पड़ता है, जो पैसे भेजने या विदेश में निवेश करने के लिए रुपये से डॉलर खरीदते हैं. जब डॉलर को रूपये में बदला जाता है तो निवेशकों को फायदा होता है. 2017 में डॉलर की कीमत 74 रुपये थी, जो अब बढ़कर 82.40 रुपये हो गई है. इसलिए भारतीय मुद्रा के कमजोर होने पर भारतीय निवेशकों के पोर्टफोलियो के लिए रिटर्न में इजाफा होता है, जो उसे अमेरिकी स्टॉक रखने में मदद करता है. उदाहरण के लिए मान लीजिए कि दस साल पहले जब रुपया डॉलर के मुकाबले 52 रुपये पर कारोबार कर रहा था, तब आप ने शेयरों में 100 डॉलर का निवेश किया था. जिसमें आपने कुल 5,200 रुपये का निवेश किया था. पिछले दस वर्षों में स्टॉक से लगभग 12% सीएजीआर का फायदा हुआ है. जिसकी वजह से आपका निवेश 100 डॉलर से बढ़कर 311 डॉलर हो गया है. अगर आप डॉलर के निवेश को भारतीय रुपये में बदलना चाहते हैं तो आप को आज की मौजूदा कीमत के हिसाब रिटर्यान हासिल होगा. दूसरे शब्दो में कहें तो 81.5 रुपये के हिसाब से आप के निवेश की कीमत या वैल्यू 5,200 से बढ़कर 25,000 स्टॉक और विदेशी मुद्रा समाचार रुपये हो गई है. ऐसे में आप को 17 फीसदी का वास्तविक रिटर्न प्राप्त होगा.

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