लेकिन रूस पर लगे प्रतिबन्ध से यह सवाल उठता है कि क्या वाकई विदेशी मुद्रा भंडार के तौर पर डॉलर का इस्तेमाल करना उचित है? डॉलर को विदेशी मुद्रा भंडार के तौर पर इस्तेमाल करने का मतलब कहीं आख़िर डॉलर कैसे बना दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा अप्रत्यक्ष तौर पर अमेरिका की गुलामी स्वीकारना तो नहीं है?
Business News : 7 पैसे गिरकर 80 के पार पहुंचा रुपया, आम आदमी पर मार…ऐसे समझिए
कुल मिलाकर देखा जाए तो रुपये में जैसे-जैसे कमजोरी बढ़ेगी आम आदमी की मुसीबत भी बढ़ती ही जाएगी। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि हमारा देश बहुत सारी चीजों के लिए आयात पर निर्भर है। ज्यादातर आयात-निर्यात अमेरिकी डॉलर में ही होता है इसलिए बाहरी देशों से कुछ भी खरीदने के लिए हमें अधिक मात्रा में रुपये खर्च करने पड़ेंगे। ऐसे में पेट्रोल-डीजल समेत अन्य आयातित वस्तुएं देश मे महंगी होती जाएंगी।
डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचा
अमेरिकी डॉलर इस साल अब तक भारतीय रुपये के मुकाबले 7.5% ऊपर है। डॉलर इंडेक्स सोमवार को एक सप्ताह के निचले स्तर पर फिसलकर 107.338 पर पहुंच गया। पिछले हफ्ते डॉलर इंडेक्स बढ़कर 109.2 हो गया था, जो सितंबर 2022 के रुपया आज बाद सबसे ज्यादा है।
ये रुपया का अबतक का रिकॉर्ड निचला स्तर है, जो डॉलर के मुकाबले 80 के पार खुला है। पिछले एक महीने में रुपया 2 फीसदी से भी ज्यादा टूट चुका है। वहीं, एक साल में रुपया डॉलर के सामने एक साल में 7.4 फीसदी नीचे गिर गया है।
इस वजह से डॉलर हुआ महंगा
दरअसल डॉलर कभी इतना महंगा (Business News) नहीं था , इसे बाजार की भाषा में कहा जा रहा हैं कि आख़िर डॉलर कैसे बना दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा रुपया रिकॉर्ड लो पर यानी अब तक के सबसे निचले आख़िर डॉलर कैसे बना दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा स्तर पर पहुंच गया है। मुद्रा का दाम हर रोजाना घटता बढ़ता रहता है। डॉलर की जरूरत बढ़ती चली गई। इसकी तुलना में बाक़ी दुनिया में हमारे सामान या सर्विस की मांग नहीं बढ़ी, इसी कारण डॉलर महंगा होता चला गया।
बता दें कि रुपया का स्तर रिकॉर्ड निचले लेवल आख़िर डॉलर कैसे बना दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा पर पहुंच गया है। रुपये में कमजोरी के कई कारण हैं। डॉलर इंडेक्स में पिछले एक हफ्ते के निचले स्तर से रिकवरी देखने को मिली है। इसके अलावा कच्चे तेल में तेजी का दोहरा दबाव देखने को मिला।
आख़िर डॉलर आख़िर डॉलर कैसे बना दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा क्यों है ग्लोबल करेंसी?
जैसा की हम सभी जानते है कि इन दिनों भारत की करेंसी रुपया अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गई है इसे पहले आज तक रुपया डॉलर के मुकाबले कभी इतना कमजोर नहीं हुआ। आज एक रुपये की कीमत 75 डॉलर हो गई आख़िर डॉलर कैसे बना दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा है। हालांकि सिर्फ भारत ही नहीं दुनियाभर की कई करेंसी डॉलर के मुकाबले गिरी है जिसका एक मुख्य कारण तेल की बढ़ती कीमत और विश्व बाजार की स्थिति है।
लेकिन आज हम इस बारे में बात नहीं करने वाले है कि रुपया क्यों कमजोर हो रहा है या विश्व बाजार में ऐसी स्थिति क्यों पैदा हो रही है बल्कि आख़िर डॉलर कैसे बना दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा आज हम इस बारे में जानकारी देने वाले है कि अमेरिका की करेंसी डॉलर को ही वैश्विक मुद्रा का दर्जा आख़िर डॉलर कैसे बना दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा प्राप्त क्यों है यानी कि किसी भी देश की करेंसी को डॉलर के साथ ही क्यों मापा जाता है? क्या इसकी वजह ये है कि अमेरिका इस समय दुनिया का सबसे विकसित देश है या फिर कोई ओर वजह है चलिए आपको बताते है।
आख़िर डॉलर क्यों है ग्लोबल करेंसी? – Why the Dollar is the Global Currency
डॉलर आज के समय में एक वैश्विक मुद्रा – Global Currency बन गई है। जिसकी एक बड़ी वजह ये है कि दुनियाभर के केंद्रीय बैंको में अमेरिकी डॉलर स्वीकार्य है। और रिपोर्टस की माने तो दुनियाभर में देशों के बीच दिए जाने वाले 39 फीसदी कर्ज डॉलर में ही दिए जाते है। हालांकि डॉलर को हमेशा से वैश्विक मुद्रा का दर्जा प्राप्त नहीं था।
साल 1944 से पहले गोल्ड को मानक माना जाता था। यानी की दुनियाभर के देश अपने देश की मुद्रा को सोने की मांग मूल्य के आधार पर ही तय करते थे। लेकिन साल 1944 में ब्रिटेन में वुड्स समझौता हुआ। जिसमें ब्रिटेन के वुड्स शहर में दुनियाभर के विकसित देशों की एक बैठक हुई जिसमें ये तय किया गया कि अमरीकी डॉलर के मुकाबले सभी मुद्राओँ की विनिमय दर तय की जाएगी।
ऐसा इसलिए क्योंकि उस समय अमेरिका के पास दुनिया में सबसे ज्यादा सोने के भंडार थे। जिस वजह से बैठक मे शामिल हुए दूसरे देशों ने भी सोने की जगह डॉलर को वैश्विक मुद्रा बनाने और डॉलर के अनुसार उनकी मुद्रा का तय करने की अनुमति दी।
आख़िर डॉलर कैसे बना दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा
ढाई महीने से ज्यादा हो चुके रूस और यूक्रेन की लड़ाई दुनिया के सामने हर दिन कई तरह के सवाल खड़ा कर रही है। एक अहम सवाल डॉलर की ग्लोबल करेंसी के तौर पर मान्यता से जुड़ा है। रूस के तकरीबन 300 बिलियन डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है। रूस के सेंट्रल बैंक पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है। यानी रूस चाहकर भी डॉलर में जमा किये गए अपने पैसे का इस्तेमाल नहीं कर सकता है। रूस अपने सेंट्रल बैंक के जरिये दूसरे देश के साथ लेन देन नहीं कर सकता है।
Sawal Public Ka: मोदी के इंडिया की तुलना श्रीलंका से करना अफवाह है या इसमें सच्चाई है?
Sawal Public Ka: मजबूत लोकतंत्र में मजबूत विपक्ष जरूरी होता है क्योंकि उसके मुद्दों से देश को मजबूती मिलती है। लेकिन मुद्दे तभी दमदार होते हैं जब उसमें fact हो । नहीं तो वो सिर्फ कहने का विरोध भर रह जाता है। आख़िर डॉलर कैसे बना दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा क्या श्रीलंका के हालात से मोदी शासन के इंडिया की तुलना करने वाले विरोधी नेता भी सच्चाई से आंख मूंद रहे हैं? श्रीलंका के हालात बिगड़े हुए हैं। वहां इमरजेंसी लगने का दावा किया जा रहा है। आज प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के दफ्तर पर धावा बोल दिया। सरकारी टीवी स्टेशन पर कब्जे के बाद वहां Broadcasting रोकनी पड़ी। राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे देश छोड़कर भाग चुके हैं और उन्हें आज ही इस्तीफा देना है। कुछ दिनों पहले ही गोटाबाया के घर पर भी प्रदर्शनकारियों ने कब्जा जमा लिया था।
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