कुछ इंडेक्स पर महत्वपूर्ण समर्थन और प्रतिरोध निर्धारित करने के लिए इसकी जांच करते हैं। कुछ लोग इसकी जांच करते हैं कि बाजार उचित जोखिम-से-इनाम अनुपात के साथ व्यापार को डिजाइन करने के लिए कैसे स्थित क्या कॉल या पुट अधिक पैसा कमाते हैं? है।

फ्यूचर्स और ऑप्शंस क्या हैं?

वायदा और विकल्प (Futures & Options contracts), डेरिवेटिव हैं जिनका स्टॉक एक्सचेंज में कारोबार होता है और उनकी कीमत अंतर्निहित परिसंपत्ति से प्राप्त होती है। सट्टेबाजों और आर्बिट्राजर्स इन अनुबंधों का उपयोग मुनाफा कमाने या अंतर्निहित परिसंपत्ति के साथ जोखिम को कम करने के लिए करते हैं। एक वायदा और विकल्प अनुबंध एक परिसंपत्ति की कीमत को सुरक्षित करने में मदद करता हैवायदा अनुबंध जिसे “वायदा” कहा जाता है, एक प्रकार का अनुबंध होता है जिसमें एक निवेशक अनुबंध समाप्त होने की तारीख से पहले या उससे पहले एक निश्चित मूल्य पर एक विशिष्ट संख्या में संपत्ति खरीदने या बेचने के लिए सहमत होता है। अंतर्निहित परिसंपत्ति के मूल्य आंदोलन से लाभ का प्रयास करने के लिए निवेशक वायदा का उपयोग करते हैं। फ्यूचर्स में निवेश करने और उनके व्यापार के फायदे और नुकसान शामिल हैं। फ्यूचर्स में निवेश करने के लिए इन निवेशों के बारे में अधिक से अधिक सीख कर निवेश करे ।

Stock Market Trading: इन तरीकों से बढ़ा सकते हैं स्टॉक मार्केट से कमाई, जानिए कैसे घट जाता है वास्तविक मुनाफा

Stock Market Trading: इन तरीकों से बढ़ा सकते हैं स्टॉक मार्केट से कमाई, जानिए कैसे घट जाता है वास्तविक मुनाफा

स्टॉक मार्केट में जब आप पैसे लगाते हैं तो ब्रोकरेज, एसटीटी (सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन फीस), एक्सचेंज ट्रांजैक्शन चार्ज, जीएसटी, सेबी चार्ज, स्टांप ड्यूटी जैसे टैक्स व चार्जेज चुकाने होते हैं और इन्हें काटकर ही शुद्ध मुनाफा या नुकसान आपको हासिल होता है. (Image- Pixabay)

Stock Market Trading: अगर आप स्टॉक मार्केट में कारोबार करते हैं और शेयरों की सक्रिय रूप से खरीद-बिक्री करते हैं तो इससे जुड़े चार्जेज के बारे में पहले से कैलकुलेशन कर लेना चाहिए. यह कैलकुलेशन इसलिए जरूरी है क्योंकि इससे मुनाफा बढ़ाने में मदद मिलती है. इक्विटी में जब आप पैसे लगाते हैं तो यह इंट्रा-डे होता है या डिलीवरी या फ्यूचर या ऑप्शंस, इन सभी तरीकों में पैसे लगाने पर मुनाफा अलग-अलग हासिल होता है. स्टॉक मार्केट में जब आप पैसे लगाते हैं तो ब्रोकरेज, एसटीटी (सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन फीस), एक्सचेंज ट्रांजैक्शन चार्ज, जीएसटी, सेबी चार्ज, स्टांप ड्यूटी जैसे टैक्स व चार्जेज चुकाने होते हैं और इन्हें काटकर ही शुद्ध मुनाफा या क्या कॉल या पुट अधिक पैसा कमाते हैं? नुकसान आपको हासिल होता है.

इन चार तरीकों से होती है ट्रेडिंग

  • Intra-Day Equity: जब आप शेयर की खरीद-बिक्री यानी लांग या शॉर्ट पोजिशन सिर्फ एक ही दिन के लिए लेते हैं यानी कि आज ही खरीदकर बेच दिया तो यह इंट्रा-डे के तहत माना जाता है. इसमें इक्विटी की होल्डिंग नहीं मिलती है.
  • Delivery Equity: इंट्रा-डे के विपरीत डिलीवरी ट्रेडिंग में आप जो शेयर खरीदते हैं, उसे डीमैट खाते में रखा जाता है और इसकी होल्डिंग कुछ समय के लिए मिलती है. इंट्रा-डे में चाहे घाटा हो या फायदा, पोजिशन को स्क्वॉयर ऑफ करना जरूरी होता है, जबकि डिलीवरी इक्विटी ट्रेडिंग में अपने हिसाब से जब चाहें किसी भी कारोबारी समय पर शेयरों की बिक्री कर सकते हैं.
  • Future: यह खरीदार और विक्रेता के बीच एक वायदा है जिसके तहत एक खास दिन निश्चित प्राइस पर स्टॉक्स का लेन-देन होता है. सौदा हो जाने के बाद दोनों ही पार्टियों को इस सौदे को पूरा करना अनिवार्य है और कोई भी पक्ष मुकर नहीं सकता है.
  • Options: ऑप्शंस के तहत किसी खास दिन निश्चित प्राइस पर लेन-देन के लिए एक क्या कॉल या पुट अधिक पैसा कमाते हैं? सौदा होता है जिसमें कुछ प्रीमियम चुकाना होता है. ऑप्शंस के तहत कॉल और पुट दो विकल्प मिलते हैं. कॉल ऑप्शंस के तहत खरीदार को खरीदने का अधिकार मिलता है और पुट ऑप्शंस के तहत बेचने का.

मुनाफे पर ऐसे पड़ता है असर

ऊपर चार तरीकों के बारे में जानकारी दी गई जिससे आप शेयर मार्केट के जरिए पैसे कमाते हैं. अब नीचे देखते हैं कि आपको सभी तरीके से कितना मुनाफा हो रहा है-

  • मान लेते हैं कि आप किसी कंपनी के 1 हजार रुपये के 400 शेयरों को खरीदकर इंट्रा-डे में ही 1100 रुपये में बेच देते हैं तो कुल टर्नओवर 8.40 लाख रुपये का हुआ. इस पर ब्रोकरेज, एसटीटी, एक्सचेंज ट्रांजैक्शन फीस, जीएसटी, सेबी शुल्क और स्टांप ड्यूटी मिलाकर करीब 202.24 रुपये टैक्स व चार्जेज के रूप में चुकाने होंगे. इस ट्रेडिंग में आपको 39795.76 रुपये का मुनाफा होगा.
  • अगर आप 1 हजार रुपये के 400 शेयरों को खरीदकर डिलीवरी लेते हैं यानी कि उनकी बिक्री किसी और दिन 1100 रुपये के भाव पर करते हैं तो कुल टर्नओवर 8.40 लाख रुपये का हुआ लेकिन टैक्सेज व चार्जेज के रूप में 935.04 रुपये चुकाने होंगे. इसमें 39064.96 रुपये का मुनाफा हुआ जो इंट्रा-डे ट्रेडिंग से कम है. हालांकि इंट्रा-डे में बहुत रिस्क है क्योंकि इसमें मुनाफा हो या नुकसान, पोजिशन को स्क्वॉयर ऑफ करना ही होगा.

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nifty

तकनीकी चार्ट का मतलब
शेयर बाजार के कारोबार के लिहाज से पिछला हफ्ता बहुत महत्वपूर्ण रहा है। अगर तकनीकी नजरिए से देखें तो यह और भी महत्वपूर्ण रहा है। पिछले 5 दिन से पहले निफ्टी के चाल से कई बातें सीखने को मिल सकती है। निफ्टी का 18600 का लेवल शेयर मार्केट के लिए इंटरमीडिएट टॉप बन गया है। अगर निफ्टी इस पॉइंट से आगे निकलता है तभी निफ्टी में लंबी तेजी देखी जा क्या कॉल या पुट अधिक पैसा कमाते हैं? सकती है। निफ्टी ने 18000 अंक के लेवल पर सपोर्ट लिया है। इसका मतलब यह है कि जब तक निफ्टी 18000 के लेवल से ऊपर टिका रहता है, तब तक इसमें बहुत अधिक कमजोरी की आशंका नहीं है। इसका मतलब यह भी है कि शेयर बाजार अब 18000 से 18600 अंकों के बीच रह सकता है।

ओपन इंटरेस्ट में बदलाव-

ओपन इंटरेस्ट में बदलाव को उसके पिछले कारोबारी दिन से किसी विशेष स्ट्राइक मूल्य के अनुबंधों की संख्या में वृद्धि/कमी के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।

कॉल राइटिंग कॉल सेलिंग के अलावा और कुछ नहीं है, यानी हर विकल्प खरीदार के लिए जो एक विकल्प खरीदता है, उसके विपरीत एक विकल्प विक्रेता होता है जो उस विकल्प को बेचता है, और उन व्यापारियों के बीच लेनदेन होता है।

अनवाइंडिंग कॉल करें-

कॉल अनइंडिंग कुछ भी नहीं है, लेकिन आपके द्वारा शुरू में खरीदी गई कॉलों को बेचकर अपनी लंबी कॉल स्थिति को कवर करना है। कॉल अनवाइंडिंग कई कारणों से हो सकती है, जैसे आप अपनी शुरुआती लॉन्ग कॉल पोजीशन से लाभ या हानि बुक करना चाहते हैं या बाजार में कोई बुरी खबर हो सकती है जिसके कारण लोग सभी लॉन्ग पोजीशन को खोल देते हैं।

शॉर्ट कवरिंग और कुछ नहीं बल्कि बाजार में आपकी शुरुआती शॉर्ट पोजीशन को कवर या स्क्वेर करना है। एक शॉर्ट कवरिंग हो सकती है क्योंकि व्यापारी अपने शुरुआती शॉर्ट पोजीशन से उन्हें चुकता करके लाभ या हानि बुक करना चाहते हैं। जब भी लोग अपने शॉर्ट पोजीशन को कवर करना शुरू करते हैं तो यह बाजार को ऊपर की ओर ले जा सकता है।

लांग बिल्ड अप –

लांग बिल्ड अप तब हो सकता है जब अधिक व्यापारी कीमतों में वृद्धि करने में रुचि रखते हैं और इससे लाभ उठाने के लिए व्यापारी बाजार में लंबी स्थिति लेते हैं।

शॉर्ट बिल्ड अप तब होता है जब ट्रेडर एक डाउनट्रेंड में रुचि रखते हैं और बाजार में शॉर्ट पोजीशन लेते हैं

अक्सर, कई विकल्प व्यापारी ओपन इंटरेस्ट का विश्लेषण करके समर्थन और प्रतिरोध को परिभाषित करते हैं। यहां, मैं यह समझाने की कोशिश करूंगा कि हम विकल्प श्रृंखला की सहायता से समर्थन और प्रतिरोध की पहचान कैसे कर सकते हैं।

ऑप्शन चेन और ओपन इंटरेस्ट क्या है?| Option Chain,Open Interest analysis

गौर कीजिए, आज शुक्रवार है और बाजार बंद होने के बाद बैंकनिफ्टी की ऑप्शन चेन कुछ इस तरह दिखती है-
बैंकनिफ्टी के महत्वपूर्ण प्रतिरोध का पता लगाने के लिए, कॉल स्ट्राइक मूल्य का पता लगाएं, जिसमें अधिकतम ओपन इंटरेस्ट है और हमारे मामले में, यह 37000 सीई है जिसमें लगभग 74,350 खुले अनुबंध हैं।

Stock Market Trading: इन तरीकों से बढ़ा सकते हैं स्टॉक मार्केट से कमाई, जानिए कैसे घट जाता है वास्तविक मुनाफा

Stock Market Trading: इन तरीकों से बढ़ा सकते हैं स्टॉक मार्केट से कमाई, जानिए कैसे घट जाता है वास्तविक मुनाफा

स्टॉक मार्केट में जब आप पैसे लगाते हैं तो ब्रोकरेज, एसटीटी (सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन फीस), एक्सचेंज ट्रांजैक्शन चार्ज, जीएसटी, सेबी चार्ज, स्टांप ड्यूटी जैसे टैक्स व चार्जेज चुकाने होते हैं और इन्हें काटकर ही शुद्ध मुनाफा या नुकसान आपको हासिल होता है. (Image- Pixabay)

Stock Market Trading: अगर आप स्टॉक मार्केट में कारोबार करते हैं और शेयरों की सक्रिय रूप से खरीद-बिक्री करते हैं तो इससे जुड़े चार्जेज के बारे में पहले से कैलकुलेशन कर लेना चाहिए. यह कैलकुलेशन इसलिए जरूरी है क्योंकि इससे मुनाफा बढ़ाने में मदद मिलती है. इक्विटी में जब आप पैसे लगाते हैं तो यह इंट्रा-डे होता है या डिलीवरी या फ्यूचर या ऑप्शंस, इन सभी तरीकों में पैसे लगाने पर मुनाफा अलग-अलग हासिल होता है. स्टॉक मार्केट में जब आप पैसे लगाते हैं तो ब्रोकरेज, एसटीटी (सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन फीस), एक्सचेंज ट्रांजैक्शन चार्ज, जीएसटी, सेबी चार्ज, स्टांप ड्यूटी जैसे टैक्स व चार्जेज चुकाने होते हैं और इन्हें काटकर ही शुद्ध मुनाफा या नुकसान आपको हासिल होता है.

इन चार तरीकों से होती है ट्रेडिंग

  • Intra-Day Equity: जब आप शेयर की खरीद-बिक्री यानी लांग या शॉर्ट पोजिशन सिर्फ एक ही दिन के लिए लेते हैं यानी कि आज ही खरीदकर बेच दिया तो यह इंट्रा-डे के तहत माना जाता है. इसमें इक्विटी की होल्डिंग नहीं मिलती है.
  • Delivery Equity: इंट्रा-डे के विपरीत डिलीवरी ट्रेडिंग में आप जो शेयर खरीदते हैं, उसे डीमैट खाते में रखा जाता है और इसकी होल्डिंग कुछ समय के लिए मिलती है. इंट्रा-डे में चाहे घाटा हो या फायदा, पोजिशन को स्क्वॉयर ऑफ करना जरूरी होता है, जबकि डिलीवरी इक्विटी ट्रेडिंग में अपने हिसाब से जब चाहें किसी भी कारोबारी समय पर शेयरों की बिक्री कर सकते हैं.
  • Future: यह खरीदार और विक्रेता के बीच एक वायदा है जिसके तहत एक खास दिन निश्चित प्राइस पर स्टॉक्स का लेन-देन होता है. सौदा हो जाने के बाद दोनों ही पार्टियों को इस सौदे को पूरा करना अनिवार्य है और कोई भी पक्ष मुकर नहीं सकता है.
  • Options: ऑप्शंस के तहत किसी खास दिन निश्चित प्राइस पर लेन-देन के लिए एक सौदा होता है जिसमें कुछ प्रीमियम चुकाना होता है. ऑप्शंस के तहत कॉल और पुट दो विकल्प मिलते हैं. कॉल ऑप्शंस के तहत खरीदार को खरीदने का अधिकार मिलता है और पुट ऑप्शंस के तहत बेचने का.

मुनाफे पर ऐसे पड़ता है असर

ऊपर चार तरीकों के बारे में जानकारी दी गई जिससे आप शेयर मार्केट के जरिए पैसे कमाते हैं. अब नीचे देखते हैं कि आपको सभी तरीके से कितना मुनाफा हो रहा है-

  • मान लेते हैं कि आप किसी कंपनी के 1 हजार रुपये के 400 शेयरों को खरीदकर इंट्रा-डे में ही 1100 रुपये में बेच देते हैं तो कुल टर्नओवर 8.40 लाख रुपये का हुआ. इस पर ब्रोकरेज, एसटीटी, एक्सचेंज ट्रांजैक्शन फीस, जीएसटी, सेबी शुल्क और स्टांप ड्यूटी मिलाकर करीब 202.24 रुपये टैक्स व चार्जेज के रूप में चुकाने होंगे. इस ट्रेडिंग में आपको 39795.76 रुपये का मुनाफा होगा.
  • अगर आप 1 हजार रुपये के 400 शेयरों को खरीदकर डिलीवरी लेते हैं यानी कि उनकी बिक्री किसी और दिन 1100 रुपये के भाव पर करते हैं तो कुल टर्नओवर 8.40 लाख रुपये का हुआ लेकिन टैक्सेज व चार्जेज के रूप में 935.04 रुपये चुकाने होंगे. इसमें 39064.96 रुपये का मुनाफा हुआ जो इंट्रा-डे ट्रेडिंग से कम है. हालांकि इंट्रा-डे में बहुत रिस्क है क्योंकि इसमें मुनाफा हो या नुकसान, पोजिशन को स्क्वॉयर ऑफ करना ही होगा.
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