सुरक्षित रिटर्न में निवेश करने वालों के लिए अच्छा विकल्प है ग्रीन बॉन्ड, पर्यावरण और जेब दोनों के लिए फायदेमंद
देश में शेयर बाजार और म्यूच्यूअल फंड जैसे बाजारों में निवेश करने का चलन तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन ऐसे लोगों की संख्या भी अधिक है, जो इन बाजारों की बजाय किसी अधिक सुरक्षित रिटर्न में निवेश करना चाहते हैं। ऐसे निवेशकों के लिए ग्रीन बॉन्ड एक अच्छा विकल्प है।
भारत ने चालू वित्त वर्ष के अंत तक 160 अरब रुपये के सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड कमोडिटी विकल्प क्या हैं जारी करने की योजना बनाई है। यह बॉन्ड सरकार के बॉरोइंग प्रोग्राम के तहत जारी किया जाएगा। ग्रीन बॉन्ड एक तरह का निवेश है जिसके जरिए सरकार की पर्यावरण के क्षेत्र के लिए पैसे जुटाने की प्लानिंग है।
आइए आपको बताते हैं क्या है ग्रीन बॉन्ड और क्या हैं इसमें निवेश के फायदे
ग्रीन बॉन्ड फिक्स्ड इनकम का एक तरह का निवेश है। यह बॉन्ड एसेट से लिंक्ड होता है और जारी करने वाले की बैलेंस शीट (Balance Sheet) से भी जुड़ा होता है। इस तरह के बॉन्ड कमोडिटी विकल्प क्या हैं निवेशकों के बीच में पहले भी बहुत फेमस रहे हैं। सरकारों को भी यह बॉन्ड इसलिए पसंद आते हैं क्योंकि बेहद आसानी से किसी भी प्रोजेक्ट के लिए पैसे जुटाए जा सकते हैं।
वहीं निवेशकों को इन बॉन्ड के जरिए कम समय में बेहतर और सेफ रिटर्न (Safe Return Investment) मिलते हैं। आपको बता दें कि सरकारी बॉन्ड से जुटाए हुए पैसे प्राइवेट बॉन्ड/ कॉरपोरेट बॉन्ड के लिए बेंचमार्क की तरह ही होते हैं। इन बॉन्ड में सरकार को कितना फायदा मिला है इसके आधार पर कॉरपोरेट भी इसी तरह के बॉन्ड जारी करते हैं।
ग्रीन बॉन्ड जारी करने के पीछे का कारण?
ग्रीन बॉन्ड के जरिए सरकार उन निवेशकों को आकर्षित करना चाह रही है जो पहले भी सरकारी बॉन्ड (Government Bonds) में पैसे लगाते रहे है। इस बॉन्ड को जारी करने से सरकार पर्यावरण और जलवायु प्रोजेक्ट (Fund for Environment) के लिए पैसे जुटा पाएगी। इसके साथ ही किसी भी तरह की पर्यावरण केंद्रित परियोजनाओं को तेजी मिलेगी और सरकार के पास फंड की कमी नहीं रहेगी।
इससे निवेशकों को क्या फायदा मिलेगा ?
ग्रीन बॉन्ड में टैक्स छूट की सुविधाएं मिलती हैं, जिस कारण इसमें निवेश करना बाकी बॉन्ड के मुकाबले ज्यादा लाभकारी होता है। इससे पहले भी जर्मनी, डेनमार्क ने हाल के कुछ सालों में अपने देश कमोडिटी विकल्प क्या हैं में ग्रीन बॉन्ड जारी किया है। सरकार इसे वित्त वर्ष 2022-2023 (Financial Year 2022-2023) में जारी करेगी।
कमोडिटी बाजार से कमाई करने से पहले इन 7 बातों को जानना है जरूरी
कमोडिटी मार्केट में मार्जिन शेयर बाजार के मुकाबले काफी कम है
सवाल नंबर 1- कमोडिटी एक्सचेंजों पर कच्चा तेल, सोना, चीनी और खाद्य तेलों जैसी कमोडिटीज में कैसे निवेश कर सकते हैं ?
जवाब-किसी भी ब्रोकर के साथ एक ट्रेडिंग अकाउंट या डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं (यदि आप डिलीवरी की इच्छा रखते हैं). आप यह खाता किसी भी कमोडिटी विकल्प क्या हैं ब्रोकर के यहां खोल सकते हैं. कई ब्रोकर इस तरह की सुविधाएं देते हैं.
सवाल नंबर 2. क्या वे वही ब्रोकर्स हैं जो शेयर बाजार में भी ब्रोकिंग की सेवा देते हैं?
जवाब: आमतौर पर नहीं, लेकिन इक्विटी में ब्रोकिंग की पेशकश करने वाले कई ब्रोकर्स ने कमोडिटी ब्रोकिंग सेवाओं के लिए सहायक कंपनी बनाई हैं. उदाहरण के तौर पर एंजेल कमोडिटीज, कार्वी कमोडिटीज जैसी कंपनियां कमोडिटी एफएंडओ (फ्यूचर एवं ऑप्शन) ब्रोकिंग की पेशकश अपनी सहायक कंपनियों के जरिए करती हैं. इसका मतलब है कि यदि आप ट्रेड करना चाहते हैं तो आपको अपने इक्विटी खाते से अलग डीमैट / ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होगा.
सवाल नंबर 3. क्या कमोडिटीज की डिलीवरी अनिवार्य है?
जवाब: ज्यादातर कृषि वायदा, जैसे खाद्य तेल, मसाले, आदि की डिलीवरी अनिवार्य है. लेकिन आप डिलीवरी से पहले पोजीशन खत्म कर सकते हैं. गैर-कृषि नॉन एग्री कमोडिटीज में, अधिकांश वस्तुओं जैसे सोने और चांदी में नॉन डिलीवरी आधारित हैं.
सवाल कमोडिटी विकल्प क्या हैं नंबर 4. क्या कमोडिटी में यह ट्रेडिंग शेयरों में एफएंडओ ट्रेडिंग जैसी है?
जवाब: हां. उसमें, कमोडिटी विकल्प क्या हैं मार्क-टू-मार्केट दैनिक आधार पर तय किया जाता है, लेकिन मार्जिन शेयर बाजार के मुकाबले काफी कम है.
सवाल नंबर 5. ट्रेडिंग करने के लिए मार्जिन क्या हैं?
जवाब: आम तौर पर 5-10 फीसदी, लेकिन कृषि वस्तुओं में, जब उठापटक आती है, एक्सचेंज अतिरिक्त मार्जिन लगा देते हैं. एक्सचेंज लॉन्ग या शॉर्ट साइड में स्पेशल मार्जिन लगा देते हैं, जो मौजूदा मार्जिन का कभी-कभी 30-50 फीसदी अधिक हो सकता है.
सवाल नंबर 6.कमोडिटी एफएंडओ बाजार को कौन नियंत्रित करता है?
जवाब:सेबी मेटल्स और एनर्जी मार्केट के शीर्ष कमोडिटी एक्सचेंज मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज यानी एमसीएक्स और कृषि कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स जैसे एक्सचेंजों को रेगुलेट करता है.
सवाल नंबर 7. किन कमोडिटीज में ज्यादा ट्रेड होता है ?
जवाब: नॉन-एग्री कमोडिटीज में सबसे ज्यादा ट्रेडिंग सोने, चांदी, कच्चा तेल, कॉपर आदि जैसी कमोडिटीज में होती है, जबकि नॉन एग्री कमोडिटीज की बात करें तो सोयाबीन, सरसों, जीरा, ग्वारसीड जैसे काउंटर्स में ठीक-ठाक ट्रेडिंग होती है.
MFs के जरिए कमोडिटी में निवेश, जाने कैसे करें निवेश और क्या है इसके फायदे
Mutual Funds के जरिए कमोडिटी मार्केट में निवेश करके भी आप शानदार मुनाफा बना सकते हैं।
Mutual Funds के जरिए इक्विटी में निवेश काफी पॉपुलर है, लेकिन Mutual Funds के जरिए कमोडिटी मार्केट में निवेश करके भी आप शानदार मुनाफा बना सकते हैं। दरअसल कमोडिटी मार्केट में ज्यादा जोखिम होने की वजह से ज्यादातर निवेशक कमोडिटी में पैसा बनाने का मौका चूक जाते हैं, लेकिन Mutual Funds के जरिए ना सिर्फ सोना-चांदी कमोडिटी विकल्प क्या हैं बल्कि दूसरे कमोडिटी में भी निवेश का विकल्प मौजूद है। आज कमोडिटी की चर्चा के इस खास एपिसोड में हम कमोडिटी मार्केट में Mutual Funds के जरिए कैसे निवेश किया जाए, इसे समझेंगे।
MFs के जरिए कमोडिटी में निवेश
MFs के जरिए कमोडिटी में निवेश करना बेहतर विकल्प है। इससे निवेशक सोना-चांदी समेत दूसरे कमोडिटी में रिटर्न कमाने का मौका पा सकता है। जिन निवेशक को कमोडिटी की बारीक जानकारी नहीं कमोडिटी विकल्प क्या हैं है वह भी म्युचुअल फंड के जरिए कमोडिटी मार्केट में निवेश कर सकते है। MF के जरिए कमोडिटी में निवेश पर जोखिम कम होता है। दरअसल कमोडिटी में जोखिम ज्यादा होने से लोग इसमें निवेश करने से से बचते हैं। जानकारों का कहना है कि कमोडिटी में एक मुश्त रकम ना लगाकार SIP के जरिए निवेश करना बेहतर होगा। कमोडिटी में भी बाजार के उतार-चढ़ाव के मुताबिक फंड में बदलाव होता है। MFs के जरिए कमोडिटी में लॉन्ग टर्म के साथ शॉर्ट टर्म में भी निवेश का विकल्प मिलता है
कमोडिटी MFs में निवेश क्यों?
कमोडिटी MFs में से निवेशकों को पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन का फायदा मिलता है। बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव से निवेशकों की रकम की सुरक्षा रहती है। फंड मैनेजर के हाथ में पैसा सुरक्षित रहता है।
इतना ही नहीं बढ़ते इनफ्लेशन के मुताबिक मुनाफे की गारंटी भी मिलती है। SIP के जरिए पैसा लगाने पर जोखिम कम होता है।
यदि रास नहीं आ रहे हैं शेयर खरीदने-बेचने के बारीक नियम तो कमोडिटी मार्केट से बनाएं बड़ा मुनाफा
अब अगर हम शेयर मार्केट की बात करें तो इक्विटी मार्केट में लिस्टेड कंपनियों के शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं जिसमें शेयरहोल्डर को आंशिक रूप से कंपनी का मालिक भी माना जाता है। इक्विटी शेयरों की कोई समाप्ति तिथि नहीं होती है जबकि कमोडिटी में ऐसा संभव नहीं है।
ब्रांड डेस्क, नई दिल्ली। शेयर मार्केट इन दिनों काफी चर्चा में है। बीते कुछ महीनों में इस बाजार की ओर रुख करने वाले लोगों की संख्या में भी लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है। निवेशकों की संख्या में हर दिन होने वाली इस बढ़त ने पिछले दिनों में एक रिकॉर्ड भी बनाया है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2022 के अगस्त महीने में डीमैट अकाउंट की संख्या पहली बार करीब 10 करोड़ के पार कमोडिटी विकल्प क्या हैं पहुंच चुकी है। ऐसे में शेयर बाजार में अब आम लोगों का भी दिलचस्पी साफ दिखाई देने लगी है।
अक्सर आप भी यह नाम दिन में तकरीबन चार से पांच बार तो सुन ही लेते होंगे, कमोडिटी विकल्प क्या हैं कई बार तो इसमें आपकी रुचि भी बढ़ जाती होगी, लेकिन फिर इस बाजार के तौर-तरीकों, खरीद-फरोख्त के नियमों व शेयरों में होने वाले उतार-चढ़ाव की बातों को लेकर परेशान हो जाते हैं और आत्मविश्वास में कमी आ जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शेयर बाजार में शेयर में पैसा लगाने के अलावा भी कई शानदार विकल्प हैं। जिनमें कोई भी शख्स आसानी से पैसे लगाकर कमोडिटी विकल्प क्या हैं बड़ा प्रॉफिट कमा सकता है।
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शेयर के अलावा कैसे बना सकते हैं बड़ा मुनाफा
क्या आपको पता है कि शेयर मार्केट के अलावा भी एक मार्केट है, जिसमें ठोस वस्तुओं में पैसे लगाकर बड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है। इस मार्केट को कहते हैं कमाोडिटी मार्केट। जब कभी शेयर बाजार में कमजोरी का ट्रेंड रहता है तो लोग ऐसे समय में कमोडिटी मार्केट में सोने और चांदी जैसी चीजों में अधिक पैसा लगाने लगते हैं जिससे इसकी मांग में भी तेजी देखने को मिलने लगती है। लेकिन अब सवाल है कि क्या आप कमोडिटी मार्केट और इक्विटी यानी शेयर मार्केट के बीच के अंतर को समझते हैं?
शेयर मार्केट व कमोडिटी कमोडिटी विकल्प क्या हैं मार्केट में अंतर क्या है?
कमोडिटी मार्केट (Commodity Market) ऐसा मार्केटप्लेस है जहां निवेशक मसाले, कीमती मेटल्स यानी धातुओं, बेस मेटल्स, एनर्जी , कच्चे तेल जैसी कई अन्य कमोडिटीज की ट्रेडिंग करते हैं। यह मूलत: दो तरह की होती हैं , जिनमें से एक है एग्री कमोडिटीज इसे सॉफ्ट कमोडिटी भी कहते हैं, इसके अंतर्गत मसाले जैसे काली मिर्च, धनिया, इलायची, जीरा, हल्दी और लाल मिर्च, सोया बीज, मेंथी ऑयल, गेहूं, और चना जैसी वस्तुएं आती हैं। वहीं नॉन-एग्री या हार्ड कमोडिटीज में सोना, चांदी, कॉपर, जिंक, निकल, लेड, एन्युमिनियम, क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस शामिल हैं।
अब अगर हम शेयर मार्केट की बात करें तो इक्विटी मार्केट में लिस्टेड कंपनियों के शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं जिसमें शेयरहोल्डर को आंशिक रूप से संबंधित कंपनी का मालिक भी माना जाता है। इसके अलावा इक्विटी शेयरों की कोई समाप्ति तिथि नहीं होती है,जबकि कमोडिटी में ऐसा संभव नहीं है। इक्विटी मार्केट में शेयरहोल्डर डिविडेंड के योग्य भी माना जाता है।
आज ही पोर्टफोलियों में जोड़ें कमोडिटी उत्पाद
अक्सर कई लोगों को शेयर का गुणा - गणित आसानी से समझ में नहीं आता है या जब कभी शेयर मार्केट में मंदी आने लगती है तो निवेशक कमोडिटी मार्केट की ओर रुख कर लेते हैं। ऐसे में अगर आप एक Beginner हैं और आपको शेयरों की कम समझ हैं तो परेशान होने की जरुरत नहीं है, बस आपको आज ही अपने पोर्टफोलियों में कई अलग- अलग कमोडिटी को जोड़ना होगा और इस बाजार में हाथ आजमाने होंगे। एक बेहतर और लाभदायक कमोडिटी का चुनाव करने के लिए आप 5paisa ऐप की भी मदद ले सकते हैं।
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