वर्चुअल एसेट पर 30 परसेंट टैक्स का एलान होते ही कई लोगों ने ये मान लिया कि जो चीज टैक्स के दायरे में आ गई वो तो लीगल हो गई. जबकि ऐसा नहीं है. इनकम टैक्स एक्ट के मुताबिक आपकी आय कहीं से भी हो, सरकार उस पर टैक्स वसूलती है. इससे आपके आय के लीगल होने की गारंटी नहीं मिल जाती. टैक्स एक्सपर्ट वेद जैन (Tax Expert Ved Jain) के मुताबिक, इनकम टैक्स प्रोविजन में साफ है कि आपकी कहीं से भी कमाई हुई है, उस पर टैक्स स्लैब के मुताबिक टैक्स की देनदारी बनेगी. चाहे इनकम सोर्स वैध हो या फिर अवैध. सुप्रीम कोर्ट ने भी काफी वक्त पहले स्मगलिंग बिजनेस के मामले में ऐसा ही फैसला सुनाया था. इसलिए ऐसी कोई एसेट पर लगने वाले टैक्स को लीगल कहना सही नहीं है.

what is bitcoin crypto currency

History of bitcoin साल 2012 के जून में Brain Armstrong (Airbnb engineer) की Coinbase कंपनी अमेरिका के कैलिफोर्निया में Stock-exchange में रजिस्टर्ड किया इस कंपनी का काम था cryptocurrency को dollar में बदलना यानि bitcoin को खरीदने और बेचने की सेवा देना आगे चल के Fred Ehrsam (Goldman Sachs trader) कंपनी के सह-संस्थापक बने|

कारोबार के पहले ही दिन कंपनी का share 100 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर दिया और बहुत तेजी से बढ़ रहे थे अप्रैल 2021 में bitcoin में अचानक 60 हजार डॉलर चला गया यहीं से bitcoin मार्केट में तेजी से फैलने लगा|

Bitcoin Mining: बिना खरीदे क्रिप्टो माइनिंग कैसे करते हैं? बने बिटकॉइन इन्वेस्टर, जानें माइनिंग के बारे में डिटेल्स

Bitcoin Mining in hindi: वर्ष 2021 में भारत सहित पूरी दुनिया में क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) ने काफी महत्वपूर्ण जगह बनाई. भारत देश में बीते दो सालों में क्रिप्टोकरेंसी बाजार (cryptocurrency market) से लाखों निवेशक जुड़े. बीते वर्ष क्रिप्टोकरेंसी और बिटकॉइन मेनस्ट्रीम का हिस्सा बन रहे, लेकिन ये एक नया कॉन्सेप्ट है जो अभी भी बहुत से लोगों को कन्फ्यूज कर रहा है. क्रिप्टो इकोसिस्टम एक वर्चुअल वर्ल्ड है, लेकिन ये चलती है रियल वैल्यू पर. अब आप बिना खरीदे भी बिटकॉइन के मालिक बन सकते हैं, कैसे? माइनिंग से. जी हाँ! चलिए आपको बताते है क्या है बिटकॉइन माइनिंग और इससे जुड़े दूसरे पहलू:

क्या है माइनिंग?

बिटकॉइन माइनिंग एक ऐसी क्रिया है जिसमें डिजिटल कॉइन को बिना खरीदे प्राप्त किया ज सकता है. माइनिंग के माध्यम से नई बिटकॉइन तैयार की जा सकती है, जिसका युज बिटकॉइन के लेनदेन में किया जा सकता है इसके साथ साथ इसे ब्लॉकचेन के लेजर से भी जोड़ा जा सकता है. दुनिया की सबसे पुरानी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन की माइनिंग करना और बिटकॉइन स्टोर करना कोई कठिन काम नहीं. माइनिंग करने के लिए आपको इस्तेमाल करना होगा ब्लॉकचेन तकनीक का. आपको बस माइनिंग क्रिप्टोग्राफिक इक्वेशन को हल करना है और प्राप्त करना है क्रिप्टोकरेंसी. इसके लिए उच्च क्षमता वाले कंप्यूटर होने चाहिए. अगर उकक क्षमता वाले कंप्यूटर है तो कोई भी बिटकॉइन माइनिंग कर सकता. माइनिंग करने के लिए पर्याप्त एलेक्ट्रिसिटी की आपूर्ति भी होनी चाहिए.

बिटकॉइन माइनिंग एक टेक्निकल प्रोसेस है और इसमें ज्यादा प्रोसेसिंग पॉवर की आवश्यकता होती है. कंप्यूटर की प्रोसेसिंग पॉवर जितनी अधिक होगी, माइनिंग भी क्रिप्टो माइनिंग कैसे करते हैं? उतनी ही बेहतर तरीके से की सकेगी. माइनिंग के लिए बहुत ज्यादा बिजली की आवश्यकता होती है. सिस्टम ज्यादा ओवरहीट न करे इससे बचने के लिए सिस्टम को समय समय पर कूल भी करना पड़ता है. बिटकॉइन माइनिंग या क्रिप्टो माइनिंग का अर्थ है पजल्स को सॉल्व करना और या बिटकॉइन बनाना। क्रिप्टोकरंसी के संदर्भ में कॉइन भेजने वाले सेंडर उसे रिसीव करने वाले रिसीवर के मध्य कोई बैंक नहीं होता है, सिर्फ कंप्यूटर्स का काम होता हैं। कुछ लोगों द्वारा इन कंप्यूटर्स को ऑपरेट किया जाता है, जो हर ट्रांजेक्शन वैलिडेट करते है। इसके बदले उन्हें बिटकॉइन मिलते हैं। इसी को ही बिटकॉइन माइनिंग कहा जाता हैं।

तो क्या क्रिप्टो करेंसी लीगल हो गई?

बजट में हुए इस ऐलान के बाद ज्यादातर लोगों के मन में ये सवाल है कि क्या सरकार ने डिजिटल करेंसी पर टैक्स लगा कर इसे लीगल कर दिया है? जवाब है- नहीं. इसे ऐसे समझिए, सरकार सिर्फ उस डिजिटल करेंसी (Digital Currency) को लीगल यानी वैध मानती है, जिसे Reserve Bank of India-RBI जारी करता है या करेगा. मतलब अभी जो Bitcoin जैसी Crypto Currency हैं, वो वैध नहीं है. बजट भाषण के बाद पत्रकारों से सवाल-जवाब में वित्तमंत्री ने साफ किया कि क्रिप्टो की वैधता को लेकर सरकार में चर्चा जारी है लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि सेंट्रल बैंक के फ्रेमवर्क के बाहर जो भी क्रिप्टोकरेंसी हैं, वे करेंसी नहीं हैं. अगर कोई आपसे कहे कि ये लीगल हो गई हैं तो जब तक सरकार नहीं कहती, मानिएगा नहीं. यहां पर गौर करने की बात ये भी है कि सरकार अप्रैल से शुरू होने वाले कारोबारी साल में अपनी डिजिटल करेंसी लाने की भी तैयारी में है जिसका जिक्र वित्तमंत्री ने अपने भाषण में किया. जाहिर है ये करेंसी पूरी तरह लीगल होगी.

वर्चुअल एसेट से वित्तमंत्री का मतलब क्या है?

आसान तरीके से समझें तो आप जो सोना खरीदते हैं या जो घर खरीदते हैं, वो आपकी Assets होती है. मतलब आपकी सम्पत्ति, ना कि ये करेंसी है. ठीक इसी तरह Crypto Currency भारत सरकार के लिए एक Asset होगी और इस पर लोगों से टैक्स वसूला जाएगा. अगर आप ये सोच रहे हैं कि Bitcoin, Ethereum, Tether, Ripple जैसी डिजिटल करेंसी को लीगल माना गया है तो तकनीकी तौर पर बिल्कुल सही नहीं है. हालांकि, लोग इसमें निवेश कर सकेंगे.

सरकार के प्रतिनिधियों ने ये भी बताया कि देश में क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन साल 2017 से ही सरकार के राडार पर है. इस पर टैक्स लगाने से सरकारी खजाने में मोटी रकम पहुंचनी तय है. अभी अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, Netherlands और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में वर्चुअल करेंसी (Virtual Currency) पर वहां की सरकारें टैक्स लगाती हैं. सरकार के इस फैसले के पीछे एक बड़ी वजह ये हो सकती है कि, हमारे देश में जितने लोगों ने CryptoCurrency में निवेश किया है, वो देश की आबादी का लगभग 8% हैं. RBI के आंकड़ों के मुताबिक, इन लोगों ने अपने 70 हजार करोड़ रुपए इस समय ऐसी Virtual Currency में लगाए हुए हैं. पूरी दुनिया में CryptoCurrency में ट्रेड करने के मामले में भारतीय सबसे आगे हैं. सरल शब्दों में कहें तो ये 30 प्रतिशत टैक्स, सीधे तौर पर 70 हजार करोड़ रुपए के निवेश को एक गारंटी देगा और हो सकता है कि भारत में इसका इस्तेमाल बढ़ जाए.

गिफ्ट पर भी लगेगा टैक्स, ऐसे होगा कैलकुलेट

बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने वर्चुअल एसेट्स (Virtual Assets) के ट्रांजैक्शन से हुई कमाई पर 30% टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया. क्रिप्टोकरेंसी गिफ्ट करने को भी ट्रांजेक्शन माना जाएगा. मतलब अगर आप क्रिप्टोकरेंसी किसी को गिफ्ट में देते हैं तब भी 30 फीसदी टैक्स की देनदारी बनेगी. गिफ्ट किए जाने के मामले में उस समय की वैल्यू पर टैक्स लगेगा. इस वैल्यू को Recipient का इनकम माना जाएगा और उसे वैल्यू पर टैक्स देना होगा.

एक और बात जो नोटिस करने वाली है कि ये नया टैक्स आने वाले कारोबारी साल यानी 1 अप्रैल से लागू होगा. यानी क्रिप्टो में कारोबार करने वालों के पास फिलहाल 31 मार्च तक की मोहलत है. वित्त मंत्री ने यह भी प्रस्ताव किया कि डिजिटल एसेट्स के दायरे में क्रिप्टोकरेंसी के अलावा NFT समेत सारे टोकन आते हैं, जो सेंट्रल बैंक के फ्रेमवर्क में नहीं हैं. वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी आने आने वाली है. ये सारे बदलाव बजट पर कैबिनेट की मुहर लगने के बाद 1 अप्रैल 2022 से लागू हो जाएंगे.

मेथड 3. नई क्रिप्टोकरेंसी बनाने के लिए मौजूदा ब्लॉकचेन का उपयोग करना

क्रिप्टोकरेंसी निर्माता के पास अपना ब्लॉकचेन बनाए बिना या मौजूदा ब्लॉकचेन को मॉडिफाई किए बिना नई क्रिप्टोकरेंसी बनाने का ऑप्शन हमेशा होता है। उदाहरण के लिए इथेरियम ब्लॉकचेन को देखते ही साफ़ हो जाता है कि इसे कई तरह के डेवलपर्स द्वारा बनाई गई क्रिप्टोकरेंसी को होस्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। बनाई गई क्रिप्टो माइनिंग कैसे करते हैं? नई करेंसी टोकन की श्रेणी में आती है क्योंकि यह डिजिटल पैसा है जो उस ब्लॉकचेन की नेटिव नहीं है जिस पर वह काम करती है।

टोकन बनाने के लिए कुछ हद तक टेक्निकल विशेषज्ञता की ज़रुरत होती है, ज्यादातर मामलों में ठीक-ठाक सा कंप्यूटर नॉलेज बिना किसी मुश्किल के टोकन बनाने के लिए काफी होता है। टोकन कैसे बनता है, यह समझने के लिए नीचे दिए स्टेप पर गौर करें।

स्टेप 1. कोई ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म चुनें (उदाहरण के लिए बिनेंस स्मार्ट चेन या इथेरियम प्लेटफॉर्म लें) जिस पर आप अपना टोकन होस्ट करना चाहते हैं।

मेथड 4. अपनी क्रिप्टोकरेंसी बनाने के लिए एक ब्लॉकचेन डेवलपर सूचीबद्ध करें

नया टोकन या करेंसी बनाने के लिए आप किसी ब्लॉकचेन डेवलपमेंट कंपनी की मदद ले सकते हैं। ऐसे एंटरप्राइज को ब्लॉकचेन-एज़-ए-सर्विस (या बीएएस) कंपनी कहा जाता है जो क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन नेटवर्क डेवलप करने और इसे बनाए रखने का काम करते हैं। इनमें से कुछ कंपनियां कस्टमाइज्ड ब्लॉकचेन बनाती हैं, अन्य अपने ब्लॉकचेन इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग कर सकती हैं जो पहले से मौजूद हैं।

अपनी क्रिप्टोकरेंसी बनाकर, आप इसे वैसे कस्टमाइज़ कर सकते हैं जैसा आपको ठीक लगता है और इस प्रक्रिया में, आप ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के बारे में अधिक जानकारी हासिल कर पाते हैं। इसके अलावा, आपकी क्रिप्टोकरेंसी को वैल्यू मिल सकता है जो आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। मतलब, क्रिप्टोकरेंसी तभी बनानी चाहिए जबकि आपके पास पर्याप्त टेक्निकल नॉलेज हो या फिर आपके पास बीएएएस कंपनी की सर्विस लेने लिए पैसा हो। यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि क्रिप्टोकरेंसी बनाने में बहुत समय लग सकता है और यह महंगी पहल है क्योंकि आपको इसका हमेशा रखरखाव करना होगा है ताकि यह सफल हो।

मेथड 1. किसी नेटिव क्रिप्टोकरेंसी के सपोर्ट के लिए ब्लॉकचेन बनाना

अपने लिए इसका कोड लिखकर और इसके लिए किसी नेटिव क्रिप्टोकरेंसी सपोर्ट हासिल कर अपना ब्लॉकचेन बनाना संभव है। हालांकि क्रिप्टोकरेंसी निर्माण को आगे बढ़ाने के लिए, व्यापक टेक्निकल प्रशिक्षण की ज़रुरत होगी ताकि आपके पास पर्याप्त कोडिंग कौशल हो। इन कौशलों का लाभ उठाकर और अपने फायदे के लिए ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी की समझ के साथ आप डिजाइन के साथ खेल सकते हैं। यह मेथड आपके लिए एक अच्छा ऑप्शन है यदि आप ऐसी क्रिप्टोकरेंसी बनाना चाहते हैं जिसमें इसका कोई बिल्कुल नया पहलू हो या क्षमता के हिसाब से इनोवेटिव हो।

अपने नेटिव क्रिप्टोकरेंसी के लिए पूरी तरह से नया ब्लॉकचेन बनाने के लिए, आपको इन स्टेप से गुज़रना होगा।

स्टेप 1. एक कन्सेंसस मैकेनिज्म चुनकर शुरू करें जो अनिवार्य रूप से ब्लॉकचेन का ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल है। प्रूफ ऑफ स्टेक (या पीओएस) और प्रूफ ऑफ वर्क (पीओडब्ल्यू) कुछ सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले कन्सेंसस मैकेनिज्म हैं।

मेथड 2. मौजूदा ब्लॉकचेन के कोड को बदलें

एक नया ब्लॉकचेन विकसित करने और अपनी नेटिव करेंसी का उपयोग करने के लिए आपके पास हमेशा किसी अन्य ब्लॉकचेन से संबंधित स्रोत कोड का उपयोग करने का ऑप्शन होता है। यह इस तथ्य पर ध्यान देने योग्य है कि आपको अभी भी इसके टेक्निकल पहलुओं में पारंगत होना होगा क्योंकि आपको उस डिज़ाइन को बनाने के लिए स्रोत कोड में बदलाव करना होगा जिस पर आपने अपनी जगहें सेट की हैं।

पहले से मौजूद ब्लॉकचेन के उक्त स्रोत कोड को डाउनलोड और मॉडिफाई कर लेते हैं, तो आपको खामियों की जाँच के लिए ब्लॉकचेन ऑडिटर की सेवाओं को लिस्ट करना होगा। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कहीं आपने किसी कानून का उल्लंघन तो नहीं किया है, आपको पेशेवर कानूनी सलाह भी लेनी होगी। इन सारी प्रक्रियाओं से गुज़रने के बाद आप नई क्रिप्टोकरेंसी बना सकेंगे।

मेथड 3. नई क्रिप्टोकरेंसी बनाने के लिए मौजूदा ब्लॉकचेन का उपयोग करना

क्रिप्टोकरेंसी निर्माता के पास अपना ब्लॉकचेन बनाए बिना या मौजूदा ब्लॉकचेन को मॉडिफाई किए बिना नई क्रिप्टोकरेंसी बनाने का ऑप्शन हमेशा होता है। उदाहरण के लिए इथेरियम ब्लॉकचेन को देखते ही साफ़ हो जाता है कि इसे कई तरह के डेवलपर्स द्वारा बनाई गई क्रिप्टोकरेंसी को होस्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। बनाई गई नई करेंसी टोकन की श्रेणी में आती है क्योंकि यह डिजिटल पैसा है जो उस ब्लॉकचेन की नेटिव नहीं है जिस पर वह काम करती है।

टोकन बनाने के लिए कुछ हद तक टेक्निकल विशेषज्ञता की ज़रुरत होती है, ज्यादातर मामलों में ठीक-ठाक सा कंप्यूटर नॉलेज बिना किसी मुश्किल के टोकन बनाने के लिए काफी होता है। टोकन कैसे बनता है, यह समझने के लिए नीचे दिए स्टेप पर गौर करें।

स्टेप 1. कोई ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म चुनें (उदाहरण के लिए बिनेंस स्मार्ट चेन या इथेरियम प्लेटफॉर्म लें) जिस पर आप अपना टोकन होस्ट करना चाहते हैं।

मेथड 4. अपनी क्रिप्टोकरेंसी बनाने के लिए एक ब्लॉकचेन डेवलपर सूचीबद्ध करें

नया टोकन या करेंसी बनाने के लिए आप किसी ब्लॉकचेन डेवलपमेंट कंपनी की मदद ले सकते हैं। ऐसे एंटरप्राइज को ब्लॉकचेन-एज़-ए-सर्विस (या बीएएस) कंपनी कहा जाता है जो क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन नेटवर्क डेवलप करने और इसे बनाए रखने का काम करते हैं। इनमें से कुछ कंपनियां कस्टमाइज्ड ब्लॉकचेन बनाती हैं, अन्य अपने ब्लॉकचेन इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग कर सकती हैं जो पहले से मौजूद हैं।

अपनी क्रिप्टोकरेंसी बनाकर, आप इसे वैसे कस्टमाइज़ कर सकते हैं जैसा आपको ठीक लगता है और इस प्रक्रिया में, आप ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के बारे में अधिक जानकारी हासिल कर पाते हैं। इसके अलावा, आपकी क्रिप्टोकरेंसी को वैल्यू मिल सकता है जो आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। मतलब, क्रिप्टोकरेंसी तभी बनानी चाहिए जबकि आपके पास पर्याप्त टेक्निकल नॉलेज हो या फिर आपके पास बीएएएस कंपनी की सर्विस लेने लिए पैसा हो। यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि क्रिप्टोकरेंसी बनाने में बहुत समय लग सकता है और यह महंगी पहल है क्योंकि आपको इसका हमेशा रखरखाव करना होगा है ताकि यह सफल हो।

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