लेखांकन क्या है- Accounting In Hindi

एक बिज़नेस तभी सक्सेस हो सकता है जब वह बिज़नेस जगत के सभी नियमो के अनुसार कार्य करे । इसके लिए बिज़नेस मैन को चाइये की लेखांकन के एक -एक कड़ी को जाने । आज के इस पोस्ट में आप जानेगे की लेखांकन क्या है , इसकी अवधारणा , चरण , विशेषता तथा उदेश्य

लेखांकन क्या है?

लेखांकन दो शब्दों से मिलकर बना है- ‘ लेख ‘ और ‘ अंकन ‘। जहां लेख का अर्थ “ लिखने ” से हैं और अंकन का अर्थ “ अंक ” से लगाया जाता है। इस प्रकार से व्यवसाय में जितने भी लेन-देन होते हैं उनको एक बही(Book) के रूप में लिखना ही “लेखांकन” (Accounting) कहलाता है। लेखांकन व्यवसाय की भाषा है। लेखांकन को लेखाकर्म के नाम से भी जाना जाता है ।

लेखांकन की अवधारणा

लेखांकन वह शास्त्र है जिसका संबंध मुख्य रूप से वित्तिय स्वभाव वाले लेन-देनों तथा घटनाओं के अभिलेखन, वर्गीकरण व विश्लेषण करने से हैं । व्यवसाय हो या फिर कोई कार्य जहां भी मुद्रा से संबंधित लेन-देन किए जाते हैं तो वहां लेखांकन की आवश्यकता पड़ती है । बिना एकाउंटिंग के व्यवसाय का कार्य अधूरा माना जाता है। आज लेखांकन लेनदेन संबंधी विश्लेषण के उद्देश्य का प्रयोग सभी प्रकार के व्यवसाय में किया जा रहा है- जैसे व्यापारिक संस्थाएं, गैर- व्यापारिक संस्थाएं,कंपनी तथा साझेदारी व्यापार आदि।

एकाउंटिंग क्या है हिंदी में

एकाउंटिंग एक अंग्रेजी शब्द है जिसका हिंदी ‘ लेखांकन’ होता है । लेखांकन को व्यवसाय की भाषा कहा गया है। बहुत से लोग लेखांकन का अर्थ क्या होता है यह नहीं जानते हैं ।यहाँ बहुत से लोग कहने का अर्थ व्यापारी से हैं जो व्यापारिक लेखांकन को नहीं जानता, नहीं समझता तो उसको इस बात की कभी जानकारी ही नहीं होगा कि बिजनेस में कितना लाभ हुआ या हानि तथा अब उसकी व्यापार की आर्थिक स्थिति कैसी हैं ।

ऐसे तो लाभ- हानि तथा आर्थिक स्थिति (Balance Sheet) वित्तीय विवरण में तैयार किए जाते हैं लेकिन जब वह लेखांकन ही नहीं करेगा तो अंतिम खाता तैयार कैसे होगा ।

किसी भी व्यवसाय का मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक लाभ कमाना होता है । इसके लिए व्यपारी को कई बार माल(Goods) खरीदना होता है तथा माल की बिक्री भी करनी होती है। व्यापारी का खर्च भी होता है और व्यवसाय से आमदनी भी प्राप्त होता है व्यापारी यह जाना चाहता है कि उसने व्यापार में कितने रुपए निवेश किए और उससे कितना आमदनी प्राप्त हुआ । किन-किन लोगों से पैसा लेना है और किसको- किसको पैसा देना है। यह सभी बातों को याद नहीं रखा जा सकता है इसलिए सभी लेन- देनों को एक बहीखाता में तिथिवार , क्रमबद्ध तरीके से लिखा जाता है । व्यवसाय में यही लिखने की क्रिया को ही “लेखांकन” कहा जाता है।

लेखांकन के प्रारंभिक क्रियाओं में शामिल होने वाले चरण

लेखांकन के प्रारंभिक क्रियाओं में निम्नलिखित चरणों को शामिल किया गया है-

  1. अभिलेखन (Recording) : व्यवसाय में जो भी लेन-देन होते हैं उनको पहली बार जिस बही में लिखा जाता है उसे ‘अभिलेखन’ कहते हैं । यह लिखने की क्रिया ही रोजनामचा है जिसे अंग्रेजी में Journal कहा जाता है।
  2. वर्गीकरण (Classification) : रोजनामचा में लिखे सभी लेनदेन को अलग-अलग भागों में विभाजित करके लिखना है ‘वर्गीकरण’ कहलाता है, क्योंकि व्यवसाय में एक ही तरह के लेन-देन नहीं होते हैं। जैसे – नगद, उधार, नगद वापसी, उधार वापसी,माल का क्रय , विक्रय, विक्रय वापसी आदि।
  3. संक्षेपण(Summarising) : वर्गीकृत लेनदेन को एक ही स्थान पर लिखा जाना है ‘संक्षेपण’ है इसे तलपट(Trail Balance) के नाम से भी जाना जाता है। जो कि जांच करने का कार्य करता है।

लेखांकन की विशेषताएं क्या है?

  1. लेखांकन की विशेषताएं व्यावसायिक लेन-देन की पहचान करना और इसे नियमित तथा सुव्यवस्थित ढंग से लेखा पुस्तकों में लिखना है ।
  2. लेखा बहियों में केवल उन्हीं लेन- देन का लेखा किया जाता है जिसे मुद्रा में व्यक्त किया जा सकता है ।
  3. ऐसी घटनाओं तथा लेनदेन जिन्हें मुद्रा में व्यक्त नहीं किया जा सकता हो, लेखा नहीं किया जाता है ।
    लेखांकन की विशेषताएं वित्तीय व्यवहारों एवं घटनाओं को इस प्रकार से प्रस्तुत करना है जिससे कि लेन-देन का विश्लेषण तथा व्याख्या आसानी से हो सके
  4. लेखांकन व्यवसायिक लेन-देन की एक कला है ।
  5. लेखांकन के अंतर्गत लेन-देन का संक्षेपण किया जाता है। लेखांकन की विशेषताएं सभी पक्षकारों को उनके द्वारा वांछित सूचनाएं प्रदान करता है ।

लेखांकन के उद्देश्य :

लेखांकन के उद्देश्य प्रत्येक व्यवसाय के लिए आवश्यक है। लेखांकन के उद्देश्य निम्नलिखित है। जो कि नीचे इस प्रकार से दिए गए हैं –

लेनदेन संबंधी विश्लेषण के उद्देश्य

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"transactional analysis" शब्दकोश में अंग्रेज़ी का अर्थ

लेनदेन संबंधी विश्लेषण, मनोविज्ञान और मनोचिकित्सा के सिद्धांत के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण है। इसे समेकित के रूप में वर्णित किया गया है क्योंकि इसमें मनोवैज्ञानिक, मानवतावादी और संज्ञानात्मक दृष्टिकोण के तत्व हैं। टीए को पहली बार कनाडा के पैदा हुए अमेरिकी मनोचिकित्सक एरिक बर्न द्वारा विकसित किया गया था, जो 1 9 50 के दशक के उत्तरार्ध में शुरू हुआ था। Transactional analysis, is an integrative approach to the theory of psychology and psychotherapy. It is described as integrative because it has elements of psychoanalytic, humanist and cognitive approaches. TA was first developed by Canadian-born US psychiatrist Eric Berne, starting in the late 1950s.

अंग्रेज़ीशब्दकोश में transactional analysis की परिभाषा

शब्दकोश में लेनदेन के विश्लेषण की परिभाषा मनोचिकित्सा का एक रूप है जो न्यूरॉस को बच्चे, वयस्क और माता-पिता के परस्पर विरोधी अहंकार-राज्यों के बीच व्यक्तित्व में संतुलन की कमी का गुण देता है।

The definition of transactional analysis in the dictionary is a form of psychotherapy that attributes neuroses to lack लेनदेन संबंधी विश्लेषण के उद्देश्य of balance in the personality between the conflicting ego-states of child, adult, and parent.

ध्यान दें: परिभाषा का अंग्रेज़ीमें स्वचालित अनुवाद किया गया है। अंग्रेज़ी में «transactional analysis» की मूल परिभाषा देखने के लिए क्लिक करें।

अंग्रेज़ी शब्द जो TRANSACTIONAL ANALYSIS के जैसे शुरू होते हैं

अंग्रेज़ी शब्द जो TRANSACTIONAL ANALYSIS के जैसे खत्म होते हैं

अंग्रेज़ी में transactional analysis के पर्यायवाची और विलोम

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«transactional analysis» शब्द का 25 भाषाओं में अनुवाद

online translator

का अनुवाद TRANSACTIONAL ANALYSIS

इस अनुभाग में प्रस्तुत अंग्रेज़ी इस अनुभाग में प्रस्तुत transactional analysis अनुवाद स्वचालित सांख्यिकीय अनुवाद के माध्यम से प्राप्त किए गए हैं; जहां आवश्यक अनुवाद लेनदेन संबंधी विश्लेषण के उद्देश्य इकाई अंग्रेज़ी में «transactional analysis» शब्द है।

लेनदेन संबंधी विश्लेषण के उद्देश्य

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लेन देने का अभिलेखन-1

प्रत्येक लेन-देन का विश्लेषण क .

प्रत्येक लेन-देन का विश्लेषण कर यह दिखाइए कि हर स्थिति में परिसंपत्तियाँ, देयताएँ व पूँजी पर क्या प्रभाव पड़ा? तथा लेखांकन समीकरण A = L+C संतुलित ही रहा।
(1) 8,00,000 रु. की पूँजी व 50,000 रु. के माल के स्टॉक से व्यवसाय प्रारंभ किया।
(2) 15,000 रु. का अग्रिम भुगतान कर 3,00,000 रु. मूल्य के प्लांट का क्रय किया जिसकी शेष राशि का भुगतान बाद में होगा।
(3) बैंक खाते में 6,00,000 रु. जमा करवाया।
(4) ऑफिस के लिए 1,00,000 रु. मूल्य का फर्नीचर खरीदा व चेक से भुगतान किया।
(5) 80.000 रु. मूल्य का नकद माल व 35,000 रु. का उधार माल खरीदा।
(6) 45.000 रु. मूल्य का माल 60,000 रु. नकद पर बेचा।
(7) 80,000 रु. मूल्य की लेनदेन संबंधी विश्लेषण के उद्देश्य वस्तुओं का 1,25,000 रु. में उधार विक्रय किया।
(8) वस्तुओं/माल के पूर्तिकारों को भुगतान के लिए 35,000 रु. मूल्य के चेक जारी किए।
(9) ग्राहक से 75,000 रु. का चेक प्राप्त किया।
(10) व्यक्तिगत प्रयोग के लिए 25,000 रु. की राशि आहरित की।

Solution : (1) सौदे का प्रभाव परिसंपत्तियों में रोकड़ व स्टॉक पर पड़ेगा व दूसरी ओर पूँजी पर पड़ेगा। रोकड़ में 8,00,000 रु. से स्टॉक में 50,000 रु. से वृद्धि प्रदर्शित होगी तथा कुल पूँजी की राशि 8,50,000 रु., होगी

(2) सौदे का प्रभाव परिसंपत्ति की ओर रोकड़ व प्लांट तथा मशीनरी पर दिखाई देगा तथा देयताओं पर भी अंतर दृष्टिगोचर होगा। प्लाट व मशीनरी 3,00,000 रु. से बढ़ जाएंगे। रोकड़ में 15,000 रु से कमी आएगी तथा देयताओं में प्लांट व मशीनरी का उधार विक्रय करने वाली पार्टी के प्रति व्यवसाय की देयताओं में 2,85,००० रु. की वृद्धि होगी।

(3) सौदे का प्रभाव केवल परिसंपत्तियों पर ही पड़ेगा । इसके फलस्वरूप परिसंपत्तियों के संयोजन में परिवर्तन आ जाएगा । रोकड़ में 6,00,000 रु. की कमी आ जाएगी जबकि बैंक खाता इसी राशि से बढ़ जाएगा।

(4) सौदे के प्रभावस्वरूप भी परिसंपत्तियों के संयोजन में परिवर्तन आ जाएगा और परिणामत: फर्नीचर में 1,00,000 रु. की वृद्धि व बैंक खाते में इसी राशि से कमी प्रदर्शित की जाएगी।

(5) सौदे का प्रभाव परिसंपत्तियों व देयताओं दोनों ओर परिलक्षित होगा । स्टॉक में कुल 1,15,000 रु. के माल की वृद्धि होगी। रोकड़ में नकद क्रय किए गए माल के मूल्य के बराबर 8,000 रु. की राशि की कमी होगी तथा देयताओं में उधार खरीदे गए माल के मूल्य के बराबर की राशि अर्थात् 35,000 रु. से वृद्धि होगी।

(6) सौदे का प्रभाव जहाँ एक ओर रोकड़ व स्टॉक नामक परिसंपत्तियों पर दिखाई देगा वहीं दूसरी ओर पूँजी पर भी दिखाई देगा। रोकड़ में 60,000 रु. से वृद्धि होगी तथा माल के स्टॉक में 45,000 रु से कमी तथा पूँजी में 15,000 रु. के लाभ से वृद्धि हो जाएगी।

(7) (7) सौदे से भी परिसंपत्तियां व पूँजी दोनों ही पक्ष प्रभावित होगे। माल के स्टॉक में 80,000 रु. से कमी आएगी तथा देनदारों में 1,25,000 रु. से वृद्धि होगी तथा पूंजी में लाभ के 45,000 रु. जोड दिए जाएंगे।

(8) सौदे के प्रभावस्वरूप परिसंपत्ति पक्ष में बैंक खाता व देयताओं पर असर पड़ेगा। बैंक खाते व देयताओं दोनों में 35,000 रु. की कमी होगी।

(9) सौदे से केवल परिसंपत्तियों के संयोजन में परिवर्तन आएगा क्योंकि बैंक खाता 75,000 रु. से बढ़ जाएगा व देनदार इसी राशि से कम हो जाएँगे।

(10) सौदे का प्रभाव लेखांकन समीकरण के दोनों पक्षों पर पड़ेगा । जहाँ एक ओर रोकड़ में 25,000 रु की कमी आएगी वहीं पूँजी में भी 25,000 रु. की कमी आएगी।

लेनदेन संबंधी विश्लेषण के उद्देश्य

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लेन देने का अभिलेखन-1

प्रत्येक लेन-देन का विश्लेषण क .

प्रत्येक लेन-देन का विश्लेषण कर यह दिखाइए कि हर स्थिति में परिसंपत्तियाँ, देयताएँ व पूँजी पर क्या प्रभाव पड़ा? तथा लेखांकन समीकरण A = L+C संतुलित ही रहा।
(1) 8,00,000 रु. की पूँजी व 50,000 रु. के माल के स्टॉक से व्यवसाय प्रारंभ किया।
(2) 15,000 रु. का अग्रिम भुगतान कर 3,00,000 रु. मूल्य के प्लांट का क्रय किया जिसकी शेष राशि का भुगतान बाद में होगा।
(3) बैंक खाते में 6,00,000 रु. जमा करवाया।
(4) ऑफिस के लिए 1,00,000 रु. मूल्य का फर्नीचर खरीदा व चेक से भुगतान किया।
(5) 80.000 रु. मूल्य का नकद माल व 35,000 रु. का उधार माल खरीदा।
(6) 45.000 रु. मूल्य का माल 60,000 रु. नकद पर बेचा।
(7) 80,000 रु. मूल्य की वस्तुओं का 1,25,000 रु. में उधार विक्रय किया।
(8) वस्तुओं/माल के पूर्तिकारों को भुगतान के लिए 35,000 रु. मूल्य के चेक जारी किए।
(9) ग्राहक से 75,000 रु. का चेक प्राप्त किया।
(10) व्यक्तिगत प्रयोग के लिए 25,000 रु. की राशि आहरित की।

Solution : (1) सौदे का प्रभाव परिसंपत्तियों में रोकड़ व स्टॉक पर पड़ेगा व दूसरी ओर पूँजी पर पड़ेगा। रोकड़ में 8,00,000 रु. से स्टॉक में 50,000 रु. से वृद्धि प्रदर्शित होगी तथा कुल पूँजी की राशि 8,50,000 रु., होगी

(2) सौदे का प्रभाव परिसंपत्ति की ओर रोकड़ व प्लांट तथा मशीनरी पर दिखाई देगा तथा देयताओं पर भी अंतर दृष्टिगोचर होगा। प्लाट व मशीनरी 3,00,000 रु. से बढ़ जाएंगे। रोकड़ में 15,000 रु से कमी आएगी तथा देयताओं में प्लांट व मशीनरी का उधार विक्रय करने वाली पार्टी के प्रति व्यवसाय की देयताओं में 2,85,००० रु. की वृद्धि होगी।

(3) सौदे का प्रभाव केवल परिसंपत्तियों पर ही पड़ेगा । इसके फलस्वरूप परिसंपत्तियों के संयोजन में परिवर्तन आ जाएगा । रोकड़ में 6,00,000 रु. की कमी आ जाएगी जबकि बैंक खाता इसी राशि से बढ़ जाएगा।

(4) सौदे के प्रभावस्वरूप भी परिसंपत्तियों के संयोजन में परिवर्तन आ जाएगा और परिणामत: फर्नीचर में 1,00,000 रु. की वृद्धि व बैंक खाते में इसी राशि से कमी प्रदर्शित की जाएगी।

(5) सौदे का प्रभाव परिसंपत्तियों व देयताओं दोनों ओर परिलक्षित होगा । स्टॉक में कुल 1,15,000 रु. के माल की वृद्धि होगी। रोकड़ में नकद क्रय किए गए माल के मूल्य के बराबर 8,000 रु. की राशि की कमी होगी तथा देयताओं में उधार खरीदे गए माल के मूल्य के बराबर की राशि अर्थात् 35,000 रु. से वृद्धि होगी।

(6) सौदे का प्रभाव जहाँ एक ओर रोकड़ व स्टॉक नामक परिसंपत्तियों पर दिखाई देगा वहीं दूसरी ओर पूँजी पर भी दिखाई देगा। रोकड़ में 60,000 रु. से लेनदेन संबंधी विश्लेषण के उद्देश्य वृद्धि होगी तथा माल के स्टॉक में 45,000 रु से कमी तथा पूँजी में 15,000 रु. के लाभ से वृद्धि हो जाएगी।

(7) (7) सौदे से भी परिसंपत्तियां व पूँजी दोनों ही पक्ष प्रभावित होगे। माल के स्टॉक में 80,000 रु. से कमी आएगी तथा देनदारों में 1,25,000 रु. से वृद्धि होगी तथा पूंजी में लाभ के 45,000 रु. जोड दिए जाएंगे।

(8) सौदे के प्रभावस्वरूप परिसंपत्ति पक्ष में बैंक खाता व देयताओं पर असर पड़ेगा। बैंक खाते व देयताओं दोनों में 35,000 रु. की कमी होगी।

(9) सौदे से केवल परिसंपत्तियों के संयोजन में परिवर्तन आएगा क्योंकि बैंक खाता 75,000 रु. से बढ़ जाएगा व देनदार इसी राशि से कम हो जाएँगे।

(10) सौदे का प्रभाव लेखांकन समीकरण के दोनों पक्षों पर पड़ेगा । जहाँ एक ओर रोकड़ में 25,000 रु की कमी आएगी वहीं पूँजी में भी 25,000 रु. की कमी आएगी।

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