• भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), जो प्रतिभूतियों और वस्तुओं के बाजार को नियंत्रित करता है, सेबी ने कथित तौर पर जयंत सिन्हा के नेतृत्व वाले वित्त को लेकर संसदीय स्थायी समिति से कहा है कि प्रौद्योगिकी की प्रकृति को देखते हुए क्रिप्टो परिसंपत्तियों का विनियमन मुश्किल होगा जो उन्हें बनाए रखता है।

'मुख्य आर्थिक सलाहकार'

मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने आगे कहा कि वर्ष 2022-2023 में हमारी अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटते हुए 6.8-7 फीसदी के विकास दर से आगे बढ़ रही है.

मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी अनंत नागेश्वरन ने उम्मीद जताई है कि घरेलू अर्थव्यवस्था मौजूदा दशक के शेष वर्षों में 6.5 प्रतिशत और उससे अधिक की दर से बढ़ती रहेगी. उन्होंने निजी क्षेत्र के विश्लेषकों, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) जैसी अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के अनुमानों का हवाला देते हुए कहा कि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 से सात प्रतिशत के बीच रहेगी.

मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था के समक्ष कई चुनौतियां हैं और मौजूदा वैश्विक स्थिति में विदेशी निवेशक सतर्क रुख अपनाए हुए हैं.

मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन (Ananth Nageswaran) ने आज कहा किह चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था सात प्रतिशत की दर से बढ़ने की स्थिति में है.

पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम (Arvind Subramanian) आज "मुफ्त की रेवड़ी" को लेकर चल रही बहस का हिस्सा बन गए. उन्होंने मुफ्त उपहार (Freebies) के मुद्दे को लेकर स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास और बुनियादी ढांचे जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में विफल रहने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की आलोचना की. उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक सीमाओं से परे मुफ्त उपहार के वादे किए जाते हैं और इसलिए इस मुद्दे पर "किसी भी पार्टी के पास नैतिक आधार नहीं है."

निर्मला सीतारमण ने नासा की नयी अंतरिक्ष दूरबीन द्वारा ब्रह्मांड का अब तक का सबसे गहरा रूप प्रस्तुत किये जाने से जुड़े कुछ ट्वीट रीट्वीट किये थे. इसी को लेकर चिदंबरम ने उन पर कटाक्ष किया.

हाल ही में मुख्य आर्थिक सलाहकार V Anantha Nageswaran ने कहा था कि क्रिप्टो सेगमेंट के लिए सेंट्रलाइज्ड रेगुलेटरी अथॉरिटी नहीं होने की वजह से यह कैरिबियाई समुद्री डाकुओं के कब्जे वाले क्षेत्र के समान है

हाल ही में मुख्य आर्थिक सलाहकार V Anantha Nageswaran ने कहा था कि क्रिप्टो सेगमेंट के लिए सेंट्रलाइज्ड रेगुलेटरी अथॉरिटी नहीं होने की वजह से यह कैरिबियाई समुद्री डाकुओं के कब्जे वाले क्षेत्र के समान है

फिएट करेंसी सरकार द्वारा समर्थित मुद्रा है, और यह किसी कीमती धातु की जगह सरकार में भरोसे पर टिकी होती है. उन्होंने आगे कहा कि फिएट करेंसी के विपरीत, क्रिप्टो मुद्राएं निहित मूल्य, व्यापक स्वीकार्यता और मौद्रिक इकाई जैसी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकती हैं.

केंद्रीय बजट से चं​द दिन पहले सरकार ने आज डॉ वी अनंत नागेश्वरन को अपना मुख्य आर्थिक सलाहकार नियुक्त किया है. हर साल बजट से पहले जारी होने वाले आर्थिक सर्वेक्षण का मुख्य सूत्रधार सलाहकार ही होता है. डॉ नागेश्वरन केवी सुब्रमण्यम का स्थान लेंगे, जिन्होंने अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद दिसंबर 2021 में सीईए का पद छोड़ दिया था. गौरतलब है कि 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में आम बजट पेश करने वाली हैं.

फिएट क्रिप्टोकरेंसी के पक्ष में नहीं है आरबीआई

क्रिप्टोकरेंसी के बारे में सेबी की चिंता

विषय- अर्थव्यवस्था

स्रोत- द हिंदू

संदर्भ

  • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), जो प्रतिभूतियों और वस्तुओं के बाजार को नियंत्रित करता है, सेबी ने कथित तौर पर जयंत सिन्हा के नेतृत्व वाले वित्त को लेकर संसदीय स्थायी समिति से कहा है कि प्रौद्योगिकी की प्रकृति को देखते हुए क्रिप्टो परिसंपत्तियों का विनियमन मुश्किल होगा जो उन्हें बनाए रखता है।

क्रिप्टोकरेंसी क्या है?

  • यह एक डिजिटल मुद्रा है जिसका उपयोग पारंपरिक धन के स्थान पर किया जा सकता है।
  • क्रिप्टोकरेंसी में, क्रिप्टोग्राफी का उपयोग लेनदेन को सुरक्षित और सत्यापित करने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग क्रिप्टोकरेंसी की आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिए भी किया जाता है।
  • यह एक विकेंद्रीकृत पीयर-टू-पीयर नेटवर्क द्वारा समर्थित है जिसे ब्लॉकचेन कहा जाता है।
  • पहली क्रिप्टोकरेंसी: बिटकॉइन, 2009 में सतोशी नाकामोटो द्वारा लॉन्च किया गया था।

क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सेबी की चिंताएं

  • डिजिटल उपकरणों की विकेंद्रीकृत प्रकृति के कारण क्रिप्टो परिसंपत्तियों पर किसी भी नियामक व्यवस्था का उपभोक्ता संरक्षण और प्रवर्तन चुनौतीपूर्ण होगा।
  • अनधिकृत ट्रेडों के निष्पादन की एक बड़ी संभावना है जो किसी भी नियामक ढांचे के अनुरूप नहीं है।
  • क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी रूप से प्रतिभूतियों के रूप में परिभाषित किया जा सकता है या नहीं, इस पर स्पष्टता लाने की जरूरत है।

क्रिप्टोकरेंसी की विशेषताएं

  • क्रिप्टोकरेंसी एक प्रकार की डिजिटल करेंसी (मुद्रा) होती है, जिसमें लेन-देन संबंधी सभी जानकारियों को कूटबद्ध (Encrypt) तरीके से विकेंद्रित डेटाबेस (Decentrelised Database) में सुरक्षित रखा जाता है।
  • इसे (आसानी से) चोरी या जब्त नहीं किया जा सकता है और इसे दुनिया में कहीं भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

कुछ सिक्कों का उपयोग क्रेडिट या पारंपरिक साधनों का उपयोग करने की तुलना में मूल्य (डॉलर जैसी मुद्रा में मापा जाता है) को सस्ता और तेज़ स्थानांतरित करने के लिए किया जाता है।

CRYPTOCURRENCY क्या है? क्यों इसने दुनिया भर की सरकारों के नाक में दम कर रखा है ? क्या कदम उठाए है 2022 मे INDIA ने इसके संबंध में ?

Cryptocurrency एक डिजिटल पैसा है जो टोकन या सिक्कों के रूप में डिजीटल तौर पर मौजूद होता है। यह जटिल क्रिप्टोग्राफी की मदद से डिजीटल रूप में व्यवस्थित होता है जो एक चैन श्रंखला के रूप में सुरक्षित होता है।

Cryptocurrency

क्या भारत में अब Cryptocurrency कानूनी है?

एक घोषणा ने कई लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया है कि क्या वित्त मंत्री ने भारत में Cryptocurrency के वैधीकरण की ओर संकेत किया है। इसका उत्तर सरल हां या नहीं में नहीं है। वित्त मंत्री फिएट क्रिप्टोकरेंसी के पक्ष में नहीं है आरबीआई ने अपने बजट के बाद की प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट रूप से कहा था कि “मुद्रा” कहलाने वाली किसी भी चीज़ को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समर्थन होना चाहिए। तो जैसा उन्होंने कहा कि जिसे हम क्रिप्टो-मुद्रा कहते हैं वह वास्तव में एक क्रिप्टो-एसेट है न कि करेंसी। निर्मला सीतारमन ने आगे कहा कि क्रिप्टो-मुद्रा शब्द सही शब्द नहीं है।

2022-23 में आरबीआई द्वारा डिजिटल मुद्रा शुरू की जाएगी ।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने घोषणा की है कि 2022-23 में आरबीआई द्वारा ब्लॉकचेन तकनीक द्वारा संचालित एक नया डिजिटल रुपया जारी किया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा की शुरुआत से डिजिटल अर्थव्यवस्था को बड़ा बढ़ावा मिलेगा। इसी के साथ डिजिटल मुद्रा से अधिक कुशल और सस्ती मुद्रा प्रबंधन प्रणाली भी बनेगी।

भारत में सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा ।

यह सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) फिएट करेंसी का एक डिजिटल रूप है जिसे ब्लॉकचेन द्वारा समर्थित वॉलेट का उपयोग करके लेन-देन किया जा सकता है और केंद्रीय बैंक द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। सीबीडीसी डिजीटल मुद्राओं और क्रिप्टो संपत्तियों से अलग है जो राज्य द्वारा जारी नहीं की जाती हैं और यह उपयोगकर्ता को घरेलू और सीमा पार दोनों तरह के लेनदेन करने में सक्षम बनाता है जिसके लिए किसी तीसरे पक्ष या बैंक की आवश्यकता नहीं होती है।

Cryptocurrency पर आरबीआई की गंभीर चिंता।

वर्तमान में सरकार देश में क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग को नियमित करने के लिए एक कानून तैयार कर रही है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस आधार पर निजी Cryptocurrency के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की है कि इससे वित्तीय अस्थिरता हो सकती है।

क्यों माना जाता है Cryptocurrency को नुकसानदायक?

आइए जानते है। क्यों है cryptocurrency एक चिंता का विषय ।

  1. कीमतो में अस्थिरता।

Cryptocurrency की कीमतों में उतार चढ़ाव मुख्य कारण है कि निवेशक Cryptocurrency खरीदने से डरते हैं। बाजार अभी भी बहुत नाजुक और अस्थिर है। वास्तव में कोई भी सिक्का 24 फिएट क्रिप्टोकरेंसी के पक्ष में नहीं है आरबीआई घंटे से भी कम समय में बड़े उतार चढ़ाव का अनुभव कर सकता है। यह crypto व्यवसाय को बेहद जोखिम भरा बनाता है खासकर की शुरुआती स्तर के व्यापारियों के लिए जिनके पास इसके बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है। वर्ष 2017 की शुरुआत में बिटकॉइन की कीमत 1000 डॉलर से भी कम थी। उसके बाद बिटकॉइन साल के अंत तक बढ़कर 20000 डॉलर से अधिक हो गया। यदि यह सबसे महत्वपूर्ण CRYPTOCURRENCY क्या है? क्यों इसने दुनिया भर की सरकारों के नाक में दम कर रखा है ? क्या कदम उठाए है INDIA ने इसके संबंध में ?CRYPTOCURRENCY क्या है? क्यों इसने दुनिया भर की सरकारों के नाक में दम कर रखा है ? क्या कदम उठाए है INDIA ने इसके संबंध में ?Cryptocurrency के साथ हो सकता है तो कौन कह सकता है कि यह किसी अन्य डिजिटल सिक्के के साथ नहीं दोहराएगा?

जैसा कि आप शायद पहले से ही जानते हैं यह मुद्रा पूरी तरह से विकेन्द्रीकृत यानी के decentralized संपत्ति है। इसलिए बाजार को नियंत्रित करने के लिए कोई केंद्रीय व्यवस्था नहीं है। हालांकि यह सुविधा कई व्यवसायों को आकर्षित करती है लेकिन इसका किसी भी प्रकार की स्थिति या विवाद में पालन करने के लिए कोई नियम नहीं हैं।

अब हर दूसरे ऑनलाइन व्यवसाय की तरह Crypto ट्रेडिंग भी सुरक्षा मुद्दों के अधीन हो सकती है। वास्तव में अध्ययनों से पता चलता है कि साल 2018 बाजार धोखाधड़ी के लिए एक रिकॉर्ड ब्रेकिंग वर्ष था इसी के साथ हैकर्स हर दिन एक्सचेंजों से इस मुद्रा के कारण $ 2.7 मिलियन की चोरी करते हैं। और इसका decentralized होना आपराधिक गतिविधियों को भी जन्म देता है।

4.बाजार में हेरफेर।

आपको बता दे की Crypto ट्रेडिंग का अंतिम खतरा बाजार में हेरफेर के रूप में आता है। केवल कुछ मुट्ठी भर व्यापारी ही वास्तव में समझते हैं कि Crypto की दुनिया में चीजें कैसे काम करती हैं। इसीलिए वे आसानी से कृत्रिम रूप से किसी भी सिक्के को बड़ा बना सकते हैं और लगभग किसी भी डिजिटल सिक्के की लोकप्रियता को बढ़ा सकते हैं।

वे ऐसा कीमत बढ़ाने के लिए करते हैं तथा इससे वह अपनी crypto संपत्ति को महंगे तरीके से बेचते हैं और कुछ ही घंटों या दिनों में एक बड़ा पैसा कमाते हैं। इसमें अनुभवहीन खिलाड़ियों के लिए कोई जगह नहीं होती है।

बिटकॉइन के दाम 2020 में 200% उछले, फिर भी आपको इससे क्‍यों रहना चाहिए दूर?

वैसे तो सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2020 में स्‍पष्‍ट किया था कि बिटकॉइन गैर-कानूनी नहीं हैं. लेकिन, अभी ऐसे कानूनी प्रावधान नहीं हैं जिनके जरिये एसेट के तौर पर इनकी खरीद-फरोख्‍त होती हो.

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सप्‍लाई सीमित रहने के फीचर के चलते बिटकॉइन के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. छोटे निवेशकों के साथ बड़े संस्‍थागत निवेशक भी इनमें पैसा लगा रहे हैं. यह बात भी इनकी कीमतों में हवा फूंक रही है. सोने की तरह सीमित आपूर्ति होने के कारण बिटकॉइन को डॉलर, यूरो, पाउंड जैसी फिएट करेंसी में उठापटक से बचाव के तौर पर देखा जाता है. फिएट करेंसी का मतलब ऐसी मुद्रा से है जिसका फिजिकल तरीके से लेनदेन हो सकता है.

दुनिया के केंद्रीय बैंक सिस्‍टम में भारी मात्रा में लिक्विडिटी बढ़ा रहे हैं. यह बात बिटकॉइन के पक्ष में जा रही है. बिटकॉइन की सप्‍लाई लगातार कम हो रही है. इसे फिएट क्रिप्टोकरेंसी के पक्ष में नहीं है आरबीआई देखते हुए निवेशकों में इसे खरीद लेने की होड़ है. यहां तक कुछ निवेशक सोने से पैसा निकालकर इसमें लगा रहे हैं.

कॉइनडीसीएक्‍स के सह-संस्‍थापक और सीईओ सुमित गुप्‍ता कहते हैं कि पहले इसे लेकर संदेह था. लेकिन, दुनियाभर में इसकी स्‍वीकार्यता बढ़ी है. यही वजह है कि लोग इसे मजबूत निवेश विकल्‍प के तौर पर देख रहे हैं.

बिटकॉइन के दामों में रही है जबर्दस्‍त अस्थिरता

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2017 में क्रिप्‍टोकरेंसी की लहर देखने को मिली थी. कई प्‍लेटफॉर्मों ने इन्‍हें आसानी से खरीदने-बेचने की सुविधा उपलब्‍ध करानी शुरू की थी. लेकिन, बिटकॉइन का गुब्‍बारा फूटने के बाद इनमें से ज्‍यादातर प्‍लेटफॉर्म खत्‍म हो गए थे. बिटकॉइन में निवेश करना आसान और सस्‍ता है. इसे 100 रुपये में खरीदा जा सकता है. हालांकि, निवेशकों को इनमें पैसा लगाने से पहले कुछ बातों का ध्‍यान रखना चाहिए.

पहला, अभी इन पर निगरानी की कोई व्‍यवस्‍था नहीं है. इसलिए क्रिप्‍टोकरेंसी एक्‍सचेंज से बिटकॉइन खरीदने वाले निवेशक के लिए गारंटी नहीं है कि वे इन्‍हें अपनी मर्जी होने पर बेच पाएंगे. इसके लिए कोई क्‍लीयरिंग और सेटेलमेंट सिस्‍टम नहीं है. ऐसे में एक्‍सचेंज सेटेलमेंट की गारंटी नहीं दे सकते हैं.

वैसे तो सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2020 में स्‍पष्‍ट किया था कि बिटकॉइन गैर-कानूनी नहीं हैं. लेकिन, अभी ऐसे कानूनी प्रावधान नहीं हैं जिनके जरिये एसेट के तौर पर इनकी खरीद-फरोख्‍त होती हो.

इक्विरस कैपिटल के सीईओ (वेल्‍थ मैनेजमेंट) अंकुर माहेश्‍वरी जोर देकर कहते हैं, ''किसी संस्‍थागत फ्रेमवर्क के न होने से इसके ऑपरेशनों को लेकर डर बना रहता है.''

इसके अलावा बिटकॉइन में बहुत ज्‍यादा अस्थिरता रहती है. दिसंबर 2017 में बिटकॉइन के दाम 18,000 डॉलर से ज्‍यादा थे. दिसंबर 2018 में ये घटकर 3,200 डॉलर रह गए. इससे कई निवेशकों को काफी ज्‍यादा नुकसान हुआ. इसके अतिरिक्‍त बढ़ते साइबर खतरे के चलते भी इसने सुरक्षा की चिंता बढ़ाई है.

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