विदेशी झटकों को झेलने के लिहाज से चीन से बेहतर हालत में भारत
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के मानकों के हिसाब से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के पास विदेशी मुद्रा भंडार को लेकर ऐसी सहूलियत है, जो चीन के पास नहीं है। आईएमएफ के ‘रिजर्व एडिक्वेसी’ के मानक पर भारत की स्थिति चीन और दक्षिण विदेशी मुद्रा कोष की नई चिंताएं अफ्रीका से बेहतर है।
गायत्री नायक, मुंबई
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के मानकों के हिसाब से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के पास विदेशी मुद्रा भंडार को लेकर ऐसी सहूलियत है, जो चीन के पास नहीं है। आईएमएफ के ‘रिजर्व एडिक्वेसी’ के मानक पर भारत की स्थिति चीन और दक्षिण अफ्रीका से बेहतर है। रिजर्व एडिक्वेसी में रिजर्व, विदेशी कर्ज, आयात और इन्वेस्टमेंट फ्लो को शामिल किया जाता है। रिजर्व बैंक ने हाल में 20 अरब डॉलर बेचे हैं, लेकिन अर्थशास्त्रियों के अनुमान के मुताबिक रुपये को सपॉर्ट देने के लिए वह 8-10 प्रतिशत विदेशी मुद्रा भंडार का और इस्तेमाल कर सकता है।
Q1 में इंडिया इंक का शानदार परफॉर्मेंस
भारत के पास अभी 402 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है। उसका रिजर्व एडिक्वेसी 150.7 प्रतिशत है, जबकि चीन के लिए यह 85.9 प्रतिशत और दक्षिण अफ्रीका के लिए 64.2 प्रतिशत है। इस बारे में डीबीएस की चीफ इंडिया इकॉनमिस्ट राधिका राव ने एक नोट में लिखा है, ‘इस पैमाने के हिसाब से भारत आरामदायक स्थिति में है।’ इसमें लिखा गया है कि एक्सटर्नल चैलेंज बढ़ने भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में और 5-8 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है, लेकिन उससे एडिक्वेसी पर बहुत फर्क नहीं पड़ेगा।
रिजर्व एडिक्वेसी के 100-150 प्रतिशत रहने पर माना जाता है कि देश बाहरी झटकों का सामना आसानी से कर सकता है। आईएमएफ के मुताबिक, इस रिजर्व से मुश्किल हालात में कितनी विदेशी मुद्रा की जरूरत पड़ सकती है, इसका पता चलता है। वहीं, रिजर्व के एक हिस्से को बफर के तौर पर रखना होता है।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अप्रैल के 426 अरब डॉलर से विदेशी मुद्रा कोष की नई चिंताएं घटकर अगस्त की शुरुआत में 403 अरब डॉलर रह गया था। इस बीच रिजर्व बैंक ने रुपये को स्थिर बनाए रखने के लिए 23 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा का इस्तेमाल किया। हालांकि, इसके बावजूद डॉलर के मुकाबले रुपया 70 के नए निचले स्तर पर पहुंच गया है। राव ने बताया कि पूंजी का प्रवाह कम रहने की वजह से इस साल भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी की संभावना नहीं दिख रही है। इससे चालू खाते (करंट अकाउंट) पर दबाव बन सकता है।
एक्सटर्नल सेक्टर के इंडिकेटर्स से लग रहा है कि भारत के लिए फिर 2013 जैसे हालात बन रहे हैं। तब रिजर्व बैंक को स्पेशल स्कीम का ऐलान करके विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी करनी पड़ी थी। जेपी मॉर्गन के चीफ इंडिया इकॉनमिस्ट साजिद चिनॉय ने कहा, ‘इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बाहरी झटकों को झेलने के लिहाज से 2013 के मुकाबले आज भारत कहीं बेहतर स्थिति में है। महंगाई दर कम है। चालू खाता घाटा बढ़ रहा है, लेकिन यह 2013 के लेवल तक नहीं पहुंचा है। विदेशी मुद्रा भंडार भी अधिक है। हालांकि, हम विदेशी झटकों के असर से बचे नहीं रहेंगे।’
लगातार तीसरे हफ्ते बढ़ा विदेशी मुद्रा भंडार, 550 अरब डॉलर को किया पार
मुंबईः देश का विदेशी मुद्रा भंडार में 25 नवंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान लगातार तीसरे हफ्ते बढ़त में रहा। सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 2.9 अरब डॉलर बढ़कर 550.14 अरब डॉलर पर पहुंच गया। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, 18 नवंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.54 अरब डॉलर बढ़कर 547.25 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। अगस्त, 2021 के बाद देश के विदेशी मुद्रा भंडार में इस सप्ताह सबसे तेज वृद्धि हुई है।
गौरतलब है कि अक्टूबर, 2021 में विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गया था। वैश्विक घटनाक्रमों के बीच केंद्रीय बैंक के रुपए की विनियम दर में तेज गिरावट को रोकने के लिए मुद्रा भंडार का उपयोग करने की वजह से इसमें कमी आई है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि कुल मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा माने जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 25 नवंबर को समाप्त सप्ताह में तीन अरब डॉलर बढ़कर 484.28 अरब डॉलर हो गईं। इसके अलावा स्वर्ण भंडार का मूल्य आलोच्य सप्ताह में 7.3 करोड़ डॉलर की गिरावट के साथ 39.938 अरब डॉलर रह गया।
आंकड़ों के अनुसार, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 2.5 करोड़ डॉलर घटकर 17.88 अरब डॉलर रह गया। आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में रखा देश का मुद्रा भंडार भी 1.4 करोड़ डॉलर घटकर 5.03 अरब डॉलर रह गया।
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लगातार 9वें हफ्ता घटा विदेशी मुद्रा भंडार, क्या होगा घटते रिजर्व का असर
30 सितंबर को समाप्त सप्ताह में भंडार 4.854 अरब डॉलर घटकर 532.664 अरब डॉलर रह गया है. देश की विदेशी मुद्रा भंडार अक्टूबर 2021 में 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का सिलसिला लगातार 9वें दिन भी जारी रहा है. गिरावट के साथ अब देश का भंडार 2 साल के निचले स्तरों पर पहुंच गया है. रिजर्व बैंक पहले ही कह चुका है कि देश के रिजर्व में आ रही गिरावट का अधिकांश हिस्सा एक्सचेंज रेट की वजह से है. डॉलर के मुकाबले रुपया फिलहाल रिकॉर्ड निचले स्तरों पर पहुंच गया है. रिजर्व में लगातार आ रही गिरावट की वजह से चिंताएं बढ़ी हैं. हालांकि रिजर्व बैंक कह चुका है कि गिरावट के बावजूद विदेशी मुद्रा के मामले में भारत की स्थिति काफी मजबूत है. जानिए अगर रिजर्व एक सीमा से ज्यादा गिरता है तो अर्थव्यवस्था पर इसका क्या असर पड़ता है.
कहां पहुंचा विदेशी मुद्रा भंडार
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का सिलसिला जारी रहने के बीच 30 सितंबर को समाप्त सप्ताह में यह 4.854 अरब डॉलर घटकर 532.664 अरब डॉलर रह गया है. भंडार इससे पिछले सप्ताह में 8.134 अरब डॉलर कम होकर 537.518 अरब डॉलर पर रहा था. माना जा रहा है कि डॉलर के मुकाबले रुपये दर में गिरावट को रोकने के जारी प्रयासों के बीच विदेशी मुद्रा भंडार में यह कमी आई है. देश की विदेशी मुद्रा भंडार अक्टूबर 2021 में 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था.
आरबीआई की तरफ से शुक्रवार को जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा आस्तियों (एफसीए) में गिरावट के कारण 30 सितंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है. एफसीए दरअसल पूरे भंडार का एक प्रमुख हिस्सा होता है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान एफसीए 4.406 अरब डॉलर घटकर 472.807 अरब डॉलर रह गया. डॉलर के संदर्भ में एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में वृद्धि या मूल्यह्रास का प्रभाव शामिल है.
आंकड़ों के अनुसार, सोने के भंडार का मूल्य 28.1 करोड़ डॉलर घटकर 37.605 अरब डॉलर पर आ गया है. समीक्षाधीन सप्ताह में, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 16.7 करोड़ डॉलर बढ़कर 17.427 अरब डॉलर हो गया. आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि समीक्षाधीन सप्ताह में आईएमएफ के पास सुरक्षित देश का मुद्रा भंडार 4.826 अरब डॉलर पर अपरिवर्तित रहा.
क्या है कमजोर रिजर्व का असर
उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए घटता हुआ विदेशी मुद्रा भंडार बेहद चिंता का विषय है.दरअसल विदेशी मुद्रा की मदद से केंद्रीय बैंक घरेलू करंसी में तेज गिरावट के नियंत्रित कर सकते हैं. जब उतार-चढ़ाव का दौर रहता है तो तेज गिरावट की स्थिति में बैंक अपने भंडार का इस्तेमाल कर करंसी को संभाल सकते हैं. इससे अनिश्चितता के बीच करंसी को नियंत्रित दायरे में रखा जा सकता है. और आयात बिल देश के नियंत्रण में रहता है. हालांकि रिजर्व घटने ये क्षमता खत्म हो जाती है और करंसी में तेज गिरावट अर्थव्यवस्था में दबाव बढ़ा देती है.
वहीं मजबूत रिजर्व से विदेशी कारोबारियों और निवेशकों के बीच अर्थव्यवस्था को लेकर भरोसा बढ़ता है. क्योंकि इससे संकेत जाता है कि अर्थव्यवस्था किसी छोटे मोटे झटके को आसानी से सहन कर सकती है. मजबूत रिजर्व विदेशी निवेश बढ़ाने और क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों का भरोसा जीतने में काफी मददगार साबित होता है. ऐसे जितने भी देश जिनका भंडार खत्म होने के करीब पहुंच गये हैं वहां से न केवल निवेशकों ने दूरी बना ली है साथ ही क्रेडिट रेटिंग घटने से नए कर्ज जुटाने में भी समस्या आ रही हैं.
अभी नहीं थमेगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का सिलसिला ! एक साल में 100 अरब डॉलर कम हुआ कोष
LagatarDesk : देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. भारत का कोष 2 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है. 16 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह में यह 5.22 अरब डॉलर घटकर 545.652 अरब डॉलर पर पहुंच गया. इस बीच रॉयटर्स की रिपोर्ट ने भारत की चिंता और बढ़ा दी है. रिपोर्ट में विदेशी मुद्रा कोष की नई चिंताएं कहा गया है कि देश के भंडार में गिरावट का सिलसिला जारी रहेगा. इतना ही नहीं 2022 के आखिरी यानी दिसंबर तक विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 523 अरब डॉलर तक आ सकता है. यह बात रॉयटर्स के पोल से सामने आयी है. यह पोल 26-27 सितंबर को कराया गया था. जिसमें 16 अर्थशास्त्रियों ने भाग लिया था.
एक साल में विदेशी मुद्रा भंडार में 100 अरब डॉलर की आयी कमी
दरअसल डॉलर के मुकाबले रुपये हर विदेशी मुद्रा कोष की नई चिंताएं रोज गिर रहा है. आरबीआई इस गिरावट को थामने के लिए भारत लगातार डॉलर को बेच रहा है. डॉलर को बेचने के कारण विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आ रही है. बताते चलें कि सितंबर 2021 यानी एक साल पहले देश का विदेशी मुद्रा भंडार 642 अरब डॉलर था. जो एक साल बाद यानी सितंबर 2022 में 545.652 अरब डॉलर रह गया. इस तरह एक साल में भारत का कोष 100 अरब डॉलर कम हुआ है.
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2008 में जिस गति से कम हुआ था भंडार, इस बार भी वैसे ही घट रहा है कोष
रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशी मुद्रा भंडार में आयी गिरावट 2008 की आर्थिक मंदी की याद दिला सकता है. 2008 में भी डॉलर के मुकाबले रुपया में भारी गिरावट आयी थी. जिसके बाद देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 20 फीसदी की गिरावट देखी गयी थी. इस बार भी जब रुपया गिर रहा है तो विदेशी मुद्रा भंडार में उसी तेज गति से गिरावट आ रही है.
आरबीआई के उपायों का रुपया पर कोई असर नहीं
कहा जा रहा है कि रुपये की साख को बचाने के लिए आरबीआई लगातार डॉलर को बेच रहा है. हालांकि आरबीआई के यह उपाय कारगर साबित नहीं हो रहा है. डॉलर को बेचने के बावजूद भारतीय करेंसी लगातार गिर रही है. बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया अपने रिकॉर्ड लो 81.95 तक पहुंच गया था. हालांकि आज डॉलर की तुलना में रुपया 35 पैसे मजबूत होकर 81.58 पर पहुंच गया है.
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