Mutual fund investments are subject to market risks. Please read the scheme information and other related documents carefully before investing. Past performance is not indicative of future returns. Please consider your specific investment requirements before choosing a fund, or designing a portfolio that suits your needs.

बाजार संकेतक

मंडी संकेतक बाजार की चाल का पूर्वानुमान लगाने के लिए वित्तीय या स्टॉक इंडेक्स डेटा की व्याख्या करना चाहते डबल नीचे संकेतक हैं। वे प्रकृति में मात्रात्मक हैं और तकनीकी संकेतकों का एक हिस्सा हैं जो आमतौर पर सूत्रों और अनुपातों से बने होते हैं। ये संकेतक निवेशकों के लिए उनके व्यापार और निवेश निर्णयों में सहायक होते हैं।

Market Indicators

दूसरे शब्दों में, मौजूदा बाजार संकेतक तकनीकी संकेतकों के समान हैं। वे दोनों निष्कर्ष निकालने के लिए डेटा बिंदुओं की एक श्रृंखला के लिए आँकड़ों को लागू करते हैं। बाजार संकेतक कई डबल नीचे संकेतक प्रतिभूतियों के डेटा बिंदुओं का उपयोग करते हैं, न कि केवल एकल सुरक्षा से। ये बाजार संकेतक अक्सर एक सूचकांक मूल्य चार्ट के ऊपर या नीचे प्रदर्शित होने के बजाय एक अलग चार्ट में रखे जाते हैं।

शेयर बाजार संकेतक के प्रकार

बाजार संकेतक दो सामान्य प्रकार के होते हैं, जैसे:

1. बाजार की चौड़ाई

इसके तहत बाजार संकेतक प्रवृत्ति के समान दिशा में चलने वाले शेयरों की संख्या की तुलना करते हैं।

2. बाजार की भावना

बाजार की भावना एक संकेतक है जो यह निर्धारित करने के लिए कीमत और मात्रा की तुलना करती है कि क्या निवेशक बाजार में तेजी या मंदी के रूप में दिखाई देते हैं।

प्रसिद्ध बाजार संकेतक

आज दुनिया भर के सूचकांकों को कवर करने वाले विभिन्न बाजार संकेतक हैं। कुछ प्रसिद्ध बाजार संकेतक NYSE, AMEX, NASDAQ, TSX, TSX-V, आदि हैं।

बाजार संकेतक उदाहरण

सबसे लोकप्रिय बाजार संकेतक नीचे डबल नीचे संकेतक उल्लिखित हैं:

1. नई ऊंचाई-नई चढ़ाव

बाजार में किसी भी बिंदु पर नई ऊंचाई-नई चढ़ाव हो सकती है। ध्यान दें कि जब कई नई ऊंचाइयां होती हैं, तो यह संकेत दे सकता है कि बाजार में झाग आ रहा है। नए चढ़ाव यह संकेत दे सकते हैं कि बाजार में गिरावट आ रही है।

2. अग्रिम-अस्वीकार

एडवांस एंड डिक्लाइन का मतलब बाजार में उतार-चढ़ाव से है। बाजार में किसी भी समय गिरती हुई प्रतिभूतियों की ओर बढ़ना हो सकता है। इंडेक्स को बाजार पूंजीकरण द्वारा भारित किया जाता है जो एक इंडेक्स में बड़ी कंपनियों के प्रदर्शन को देखने के बजाय निकासी की भावना को समझने में सहायक होता है।

3. मूविंग एवरेज

यह बाजार में औसत को संदर्भित करता है। बाजार संकेतक प्रमुख मूविंग एवरेज सेक्टर 50 और 200 के ऊपर या नीचे शेयरों का प्रतिशत देखते हैं।

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डबल नीचे संकेतक

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Q. Which of the following data are used in GDP calculations:

1. Annual Survey of Industries
2. Annual Survey of Industries
3. SENSEX Index
4. MCA-21
5. Manufacturing Purchasing Managers' Index (PMI)

Select the correct answer using the codes given below:

Q. जीडीपी गणना में निम्नलिखित में से कौन से डेटा का प्रयोग किया जाता है?

1. उद्योगों का वार्षिक सर्वेक्षण।
2. औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी)।
3. सेंसेक्स सूचकांक।
4. एमसीए -21।
5. विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई)।

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सब्जियों के दाम घटने से अप्रैल में कम हुई महंगाई, 2 महीने बाद रिटेल इन्फ्लेशन रेट 5% से नीचे!

अप्रैल में खाने-पीने की चीजों के दाम में भी गिरावट देखी गई. इससे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर अप्रैल में गिरी है. फरवरी और मार्च में रिटेल इन्फ्लेशन रेट के 5% से ऊपर रहने के बाद ये फिर एक बार इससे नीचे है. जानें पूरी खबर.

अप्रैल में सब्जियां सस्ती, फल महंगे (सांकेतिक फोटो)

राहुल श्रीवास्तव

  • नई दिल्ली,
  • 12 मई 2021,
  • (अपडेटेड 12 मई 2021, 9:24 PM IST)
  • ‘शहरों में 50% से अधिक गिरी खाद्य महंगाई’
  • ‘सब्जियां सस्ती, लेकिन फलों के दामों में तेजी’
  • ‘पेट्रोल-डीजल, बिजली ने बनाए रखा जेब पर दबाव’

अप्रैल में खाने-पीने की चीजों के दाम में भी गिरावट देखी गई. विशेषकर सब्जियों के दाम तेजी से गिरे जिससे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर में बीते दो महीनों के मुकाबले गिरावट देखी गई. फरवरी और मार्च में रिटेल इन्फ्लेशन रेट के 5% से ऊपर था और अप्रैल में ये एक बार फिर इससे नीचे रहा.

सांख्यिकी मंत्रालय ने जारी किए आंकड़े
सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने बुधवार को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index-CPI) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) के आंकड़े जारी किए. अप्रैल में रिटले इन्फ्लेशन दर घटकर 4.29% पर आ गई. यह शहरी इलाकों में 4.77% रही जबकि ग्रामीण इलाकों में मात्र 3.82% रही.

मार्च और फरवरी में थी 5% से ऊपर
इससे पहले मार्च और फरवरी में रिटेल इन्फ्लेशन दर क्रमश: 5.52% और 5.03% थी. इससे पहले जनवरी में ये 4.06% थी जो अक्टूबर 2019 के बाद सबसे निचला स्तर था. फरवरी और मार्च में रिटेल इन्फ्लेशन दर में बढ़त की एक बड़ी वजह पेट्रोल और डीजल की कीमतों का बेहताशा बढ़ना भी था.

गिरा है फूड प्राइस इंडेक्स
मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक खाने-पीने की चीजों में महंगाई दर अप्रैल में काफी तेजी से कम हुई है. अप्रैल में खाद्य मुद्रास्फीति दर 2.02% पर आ गई जो मार्च में 4.87% पर थी. इसमें भी शहरों में ये दर 3.15% और ग्रामीण इलाकों में 1.45% रही जो मार्च में क्रमश: 6.64% और 3.94% थी.

सब्जियों के दाम में भारी गिरावट
खाने-पीने की चीजों में भी देखें तो सब्जियों के दाम में भारी गिरावट अप्रैल में दर्ज की गई. इस मद में मुद्रास्फीति की दर में 14.18% की गिरावट दर्ज की गई. इसके अलावा अनाज की महंगाई दर में 2.96% और चीनी में 5.99% की गिरावट रही. वहीं दूसरी तरफ फलों के दाम में तेजी रही और इसकी महंगाई दर 9.81% रही. यह अंडे में 10.55% और मांस एवं मछली कैटेगरी में 16.68% बढ़ गई.

तेल-बिजली रुलाते रहे
अप्रैल में भले पेट्रोल-डीजल के दाम लगभग स्थिर रहे हों लेकिन फिर भी बीते साल के मुकाबले इसने आम जनता की जेब अधिक ढीली ही की. ईंधन और बिजली कैटेगरी में अप्रैल में महंगाई दर 7.91% रही. महंगाई दर से जुड़े ये सभी आंकड़े अभी अस्थाई हैं. हालांकि भारतीय जीवन बीमा निगम अपने महंगाई लक्ष्य को तय करने के लिए सीपीआई पर बेस्ड महंगाई दर पर निर्भर होता है.

सब्जियों के दाम घटने से अप्रैल में कम हुई महंगाई, 2 महीने बाद रिटेल इन्फ्लेशन रेट 5% से नीचे!

अप्रैल में खाने-पीने की चीजों के दाम में भी गिरावट देखी गई. इससे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर अप्रैल में गिरी है. फरवरी और मार्च में रिटेल इन्फ्लेशन रेट के 5% से ऊपर रहने के बाद ये फिर एक बार इससे नीचे है. जानें पूरी खबर.

अप्रैल में सब्जियां सस्ती, फल महंगे (सांकेतिक फोटो)

राहुल श्रीवास्तव

  • नई दिल्ली,
  • 12 मई 2021,
  • (अपडेटेड 12 मई 2021, 9:24 PM IST)
  • ‘शहरों में 50% से अधिक गिरी खाद्य महंगाई’
  • ‘सब्जियां सस्ती, लेकिन फलों के दामों में तेजी’
  • ‘पेट्रोल-डीजल, बिजली ने बनाए रखा जेब पर दबाव’

अप्रैल में खाने-पीने की चीजों के दाम में भी गिरावट देखी गई. विशेषकर सब्जियों के दाम तेजी से गिरे जिससे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर में बीते दो महीनों के मुकाबले गिरावट देखी गई. फरवरी और मार्च में रिटेल इन्फ्लेशन रेट के 5% से ऊपर था और अप्रैल में ये एक बार फिर इससे नीचे रहा.

सांख्यिकी मंत्रालय ने जारी किए आंकड़े
सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने बुधवार को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index-CPI) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) के आंकड़े जारी किए. अप्रैल में रिटले इन्फ्लेशन दर घटकर 4.29% पर आ गई. यह शहरी इलाकों में 4.77% रही जबकि ग्रामीण इलाकों में मात्र 3.82% रही.

मार्च और फरवरी में थी 5% से ऊपर
इससे पहले मार्च और फरवरी में रिटेल इन्फ्लेशन दर क्रमश: 5.52% और 5.03% थी. इससे पहले जनवरी में ये 4.06% थी जो अक्टूबर 2019 के बाद सबसे निचला स्तर था. फरवरी और मार्च में रिटेल इन्फ्लेशन दर में बढ़त की एक बड़ी वजह पेट्रोल और डीजल की कीमतों का बेहताशा बढ़ना भी था.

गिरा है फूड प्राइस इंडेक्स
मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक खाने-पीने की चीजों में महंगाई दर अप्रैल में काफी तेजी से कम हुई है. अप्रैल में खाद्य मुद्रास्फीति दर 2.02% पर आ गई जो मार्च में 4.87% पर थी. इसमें भी शहरों में ये दर 3.15% और ग्रामीण इलाकों में 1.45% रही जो मार्च में क्रमश: 6.64% और 3.94% थी.

सब्जियों के दाम में भारी गिरावट
खाने-पीने की चीजों में भी देखें तो सब्जियों के दाम में भारी गिरावट अप्रैल में दर्ज की गई. इस मद में मुद्रास्फीति की दर में 14.18% की गिरावट दर्ज की गई. इसके अलावा अनाज की महंगाई दर में 2.96% और चीनी में 5.99% की गिरावट रही. वहीं दूसरी तरफ फलों के दाम में तेजी रही और इसकी महंगाई दर 9.81% रही. यह अंडे में 10.55% और मांस एवं मछली कैटेगरी में 16.68% बढ़ गई.

तेल-बिजली रुलाते रहे
अप्रैल में भले पेट्रोल-डीजल के दाम लगभग स्थिर रहे हों लेकिन फिर भी बीते साल के मुकाबले इसने आम जनता की जेब अधिक ढीली ही की. ईंधन और बिजली कैटेगरी में अप्रैल में महंगाई दर 7.91% रही. महंगाई दर से जुड़े ये सभी आंकड़े अभी अस्थाई हैं. हालांकि भारतीय जीवन बीमा निगम डबल नीचे संकेतक अपने महंगाई लक्ष्य को तय करने के लिए सीपीआई पर बेस्ड महंगाई दर पर निर्भर होता है.

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