दुनिया भर में खुले जंगल में रहने वाले करीब 3000 बाघ हैं. उनमें से करीब 120 चितवन पार्क में हैं और उनकी संख्या बढ़ रही है. चितवन नेशनल पार्क के जीवविज्ञानी आशीष अधिकारी बताते हैं, "यहां टाइगर के लिए पर्याप्त जगह है, इतनी कि हम इनकी संख्या दोगुनी कर सकते हैं. यह पूरे नेपाल के लिए लागू होता है." नेपाल के नेशनल पार्क में प्रजाति सुरक्षा इसलिए भी काम कर रही है कि आस पास रहने वाले लोग पशुओं के निवासस्थान का आदर करते हैं. यदि पार्क सफल रहता है तो इसका फायदा उन्हें भी होगा. वे चूल्हा जलाने के लिए जंगल क्या ब्रोकर आपका पैसा चुरा सकते हैं? में लकड़ी इकट्ठा कर पाएंगे. लेकिन सिर्फ जंगल में उसके लिए अलग से बने इलाके में. और उन्हें हर साल नेशनल पार्क देखने आने वाले एक लाख सैलानियों से भी फायदा होता है, जिन्हें कभी कभी गैंडों के भी दर्शन हो जाते हैं. पार्क के लिए लगने वाले करीब 1500 रुपये के टिकट का आधा हिस्सा स्थानीय लोगों पर खर्च होता है. इसका भी फायदा है क्योंकि गांव के लोग शिकारियों के बारे में सुराग देते हैं. गैंडे की सींघ का इस्तेमाल शक्तिवर्द्धक दवाओं और कैंसर की दवाओं में होता है. अवैध शिकार के लिए 15 साल की कैद हो सकती है. नेशनल पार्क के जानवरों और इलाके के निवासियों के लिए शिकारियों का क्या ब्रोकर आपका पैसा चुरा सकते हैं? पकड़ा जाना अच्छी खबर होता है.क्या ब्रोकर आपका पैसा चुरा सकते हैं?
नेपाल का चितवन नेशनल पार्क
चितवन नेशनल पार्क नेपाल के लोकप्रिय आकर्षणों में शामिल है. 1973 में उसे देश का पहला राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया था. आज वह विश्व धरोहर साइट हो गया है.
माओवादी विद्रोह के दिनों में वहां अवैध शिकार के कारण बहुत सारे पशु खत्म हो गए थे. अब पर्यटन के लिए इसके महत्व को देखते हुए उसे फिर से पुरानी रौनक देने की कोशिश हो रही है. यहां गैंडों को बचाने की मुहिम भी चल रही है. गैंडे खतरे में हैं. शिकारी उन्हें मार डालते हैं. दुनिया भर में उनकी तादाद सिर्फ 2500 रह गई है. उनमें से करीब 20 फीसदी चितवन नेशनल पार्क में रहते हैं. यह पार्क करीब 1000 वर्ग किलोमीटर में फैला है और यह देश का सूबसे बड़ा संरक्षित इलाका है.
स्मार्ट पेट्रोलिंग
वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड नेपाल के जैविक विविधता विशेषज्ञ दिवाकर चपगाईं बताते हैं कि कीचड़ में रहने वाले घड़ियाल कम होते जा रहे हैं. अक्सर उनके अंडे चुरा लिए जाते हैं, "पार्क में एक ब्रीडिंग सेंटर है, जहां दो तीन साल के होने तक जानवरों का पालन पोषण होता है. उसके बाद उन्हें जंगल में छोड़ दिया जाता है." नेपाल का कहना है कि उसने पिछले सालों में शिकार की वजह से कोई महत्वपूर्ण जानवर नहीं खोया है. इस बीच यह देश जैविक विवधता की सुरक्षा का मॉडल बन गया है. यह सफलता पर्यावरण संरक्षण में बड़े पैमाने पर सेना के इस्तेमाल के बाद आई है. चितवन पार्क में जहां रोजाना 1500 सैनिक शिकारियों की खोज में रहते हैं. जीपीएस से लैस सेलफोन रजिस्टर करते हैं कि किस इलाके का निरीक्षण कब किया गया. शिकार रोकने के लिए मोबाइल फोन और डिजिटल कैमरे का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस सब का और सैनिकों को ट्रेनिंग देने का खर्च नेपाल के वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड ने उठाया है.
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