Primary Market in Hindi

NSE और BSE क्या है?

शेयर बाजार आप सबने इसके बारे में कभी न कभी सुना होगा, साथ ही इनसे जुड़े दो शब्द NSE और BSE भी सुना ही होगा। पर आप आज भी कहीं न कहीं न कहीं कुछ लोग ऐसे हैं जो ऐसी दुविधा में होंगे की आखिर NSE और BSE है क्या? दोनों में अंतर क्या है? और ये दोनों काम करिसे करते हैं? इस लेख के माध्यम से आपकी ऐसी सारी दुविधा दूर हो जाएगी।

लेख में मौजूद सामग्री

NSE क्या है?

NSE स्टॉक एक्सचेंज भारत की एक सबसे बड़ी वित्तीय बाजार है, जिसकी शुरुआत वर्ष 1992 में इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम आधारित बाजार के रूप में की गयी थी। इक्विटी वॉल्यूम के मामले में यह वर्तमान में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वित्तीय बाजार के रूप में अपनी पहचान बना चुकी है।

अगर हम इसके द्वारा दी जाने वाली सेवाओं के बारे में बात करें तब वर्तमान में यह इक्विटी, थोक ऋण और डेरीवेटिव सेगमेंट में डील करती है। NSE की सबसे मशहूर सेवाओं अगर सबसे पहले किसी चीज़ के नाम आता है तब वह है NIFTY 50 इंडेक्स, जो की भारतीय शेयर बाजार में सबसे बड़ी 50 कंपनी के शेयर को ट्रैक करता है।

हमारे देश भारत में National Stock Exchange of India ही वह पहली शेयर बाजार थी जो पूरी तरह से स्वचालित थी और इलेक्ट्रॉनिक्स माध्यम के जरिये शेयरों का आदान प्रदान किया करती थी। इस संस्थान की शुरुआत इस उद्देश्य के साथ किया गया था की शेयर बाजार से जुड़े सरे काम पारदर्शिता के साथ की जाए।

जिस उद्देश्य के साथ इस स्टॉक एक्सचेंज को सरकार ने शुरू किया था, उस उद्देश्य को लगभग यह पूरा करने में भी काफी हद तक सफल रहा है।

NSE से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

  • देश में पहला क्लीयरिंग कारपोरेशन National Securities Clearing Corporation Ltd. की शुरुआत NSE ने की थी।
  • देश की पहली डिपाजिटरी National Securities Depository Limited का सेटअप और प्रमोशन भी इसने ही किया था।
  • NSE देश का पहला स्टॉक एक्सचेंज मार्केट था, जिसने ETF’s (एक्सचेंज ट्रेडेड फण्ड) की ट्रेडिंग की शुरुआत की थी।
  • वर्ष 2000 में NSE ने ही सबसे पहले भारत में स्टॉक एक्सचेंज को इंटरनेट से जोड़कर निवेश को आसान और सुगम बनाया।
  • NSE ने CNBC TV 18 टीवी चैनल से जुड़कर मीडिया सेंटर की शुरुआत की थी।

BSE क्या है?

BSE भारत के सबसे पहला और सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है जिसकी शुरुआत वर्ष 1875 में शेयर मार्केट से जुड़े कुछ शब्द 5 मूल शेयर और स्टॉक ब्रोकर संगठन के द्वारा किया गया था। बॉम्बे स्तिथ इस स्टॉक एक्सचेंज में वर्तमान में लगभग 6000 से कहीं ज़्यादा कंपनियां लिस्टेड है। यही कारण है की BSE दुनिया की बाकी स्टॉक एक्सचेंज की तरह काफी ज़्यादा महत्व रखती है।

BSE ने भारत के खुदरा ऋण बाजार के साथ ही पूँजी बाजार को भी बढ़ाने में काफी ज़्यदा योगदान दिया है, और यही कारन है की आज भारत के व्यावसायिक क्षेत्र काफी ज़्यदा तरक्की कर रही है। आपको यह जानकर ख़ुशी होगी की BSE पुरे एशिया का सबसे पहला स्टॉक एक्सचेंज है। इस एक्सचेंज में छोटे और मध्यम उद्यमों (एसएमई) की इक्विटी ट्रेडिंग भी की जाती है।

BSE से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

  • भारत में कुल 23 स्टॉक एक्सचेंज हैं जिसमे से BSE को सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज मन जाता है, क्यूंकि इसमें 6000 से भी ज़्यादा कंपनियां लिस्टेड है।
  • पूरी दुनिया में यह ट्रांज़ैक्शन के नजरिये से 11 वां सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है।
  • बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को प्रेमचंद रॉयचंद द्वारा फंडिंग किया गया था।
  • वर्ष 1986 में BSE ने BSE SENSEX विकसित किया था, जो लगभग BSE में लिस्टेड कंपनियों के एक तिहाई ट्रांज़ैक्शन के बराबर का महत्व रखता है।

अंतिम शब्द

इस लेख के माध्यम से आपने यह जाना की NSE और BSE क्या है? और साथ ही इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों को भी आपने जाना। लेख से सम्बंधित किसी तरह की बात या विचार आपके मन में हो तब निचे कमेंट करके हमें अवस्य बताएं, धन्यवाद्।

Q: NSE का फुल फॉर्म क्या है?

उत्तर: अंग्रेजी में NSE का पूरा मतलब है National Stock Exchange of India .

Q: BSE का फुल फॉर्म क्या है?

उत्तर: अंग्रेजी में BSE का पूरा मतलब है Bombay Stock Exchange.

आकाश कुमार एक Tech-Enthusiast और एक Electronics and Communications Engineering Graduate हैं, और इनका Passion है ब्लॉगिंग करना और लोगो तक सही एवं शटीक जानकारी पहुँचाना। अपने फ्री समय में ये Spotify में गाना सुनना पसंद करते हैं।

NSE और BSE क्या है?

शेयर बाजार आप सबने इसके बारे में कभी न कभी सुना होगा, साथ ही इनसे जुड़े दो शब्द NSE और BSE भी सुना ही होगा। पर आप आज भी कहीं न कहीं न कहीं कुछ लोग ऐसे हैं जो ऐसी दुविधा में होंगे की आखिर NSE और BSE है क्या? दोनों में अंतर क्या है? और ये दोनों काम करिसे करते हैं? इस लेख के माध्यम से आपकी ऐसी सारी दुविधा दूर हो जाएगी।

लेख में मौजूद सामग्री

NSE क्या है?

NSE स्टॉक एक्सचेंज भारत की एक सबसे बड़ी वित्तीय बाजार है, जिसकी शुरुआत वर्ष 1992 में इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम आधारित बाजार के रूप में की गयी थी। इक्विटी वॉल्यूम के मामले में यह वर्तमान में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वित्तीय बाजार के रूप में अपनी पहचान बना चुकी है।

अगर हम इसके द्वारा दी जाने वाली सेवाओं के बारे में बात करें तब वर्तमान में यह इक्विटी, थोक ऋण और डेरीवेटिव सेगमेंट में डील करती है। NSE की सबसे मशहूर सेवाओं अगर सबसे पहले किसी चीज़ के नाम आता है तब वह है NIFTY 50 इंडेक्स, जो की भारतीय शेयर बाजार में सबसे बड़ी 50 कंपनी के शेयर को ट्रैक करता है।

हमारे देश भारत में National Stock Exchange of India ही वह पहली शेयर बाजार थी जो पूरी तरह से स्वचालित थी और इलेक्ट्रॉनिक्स माध्यम के जरिये शेयरों का आदान प्रदान किया करती थी। इस संस्थान की शुरुआत इस उद्देश्य के साथ किया गया था की शेयर बाजार से जुड़े सरे काम पारदर्शिता के साथ की जाए।

जिस उद्देश्य के साथ इस स्टॉक एक्सचेंज को सरकार ने शुरू किया था, उस उद्देश्य को लगभग यह पूरा करने में भी काफी हद तक सफल रहा है।

NSE से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

  • देश में पहला क्लीयरिंग कारपोरेशन National Securities Clearing Corporation Ltd. की शुरुआत NSE ने की थी।
  • देश की पहली डिपाजिटरी National Securities Depository Limited का सेटअप और प्रमोशन भी इसने ही किया था।
  • NSE देश का पहला स्टॉक एक्सचेंज मार्केट था, जिसने ETF’s (एक्सचेंज ट्रेडेड फण्ड) की ट्रेडिंग की शुरुआत की थी।
  • वर्ष 2000 में NSE ने ही सबसे पहले भारत में स्टॉक एक्सचेंज को इंटरनेट से जोड़कर निवेश को आसान और सुगम बनाया।
  • NSE ने CNBC TV 18 टीवी चैनल से जुड़कर मीडिया सेंटर की शुरुआत की थी।

BSE क्या है?

BSE भारत के सबसे पहला और सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है जिसकी शुरुआत वर्ष 1875 में 5 मूल शेयर और स्टॉक ब्रोकर संगठन के द्वारा किया गया था। बॉम्बे स्तिथ इस स्टॉक एक्सचेंज में वर्तमान में लगभग 6000 से कहीं ज़्यादा कंपनियां लिस्टेड है। यही कारण है की BSE दुनिया की बाकी स्टॉक एक्सचेंज की तरह काफी ज़्यादा महत्व रखती है।

BSE ने भारत के खुदरा ऋण बाजार के साथ ही पूँजी बाजार को भी बढ़ाने में काफी ज़्यदा योगदान दिया है, और यही कारन है की आज भारत के व्यावसायिक क्षेत्र काफी ज़्यदा तरक्की कर रही है। आपको यह जानकर ख़ुशी होगी की BSE पुरे एशिया का सबसे पहला स्टॉक एक्सचेंज है। इस एक्सचेंज में छोटे और मध्यम उद्यमों (एसएमई) की इक्विटी ट्रेडिंग भी की जाती है।

BSE से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

  • भारत में कुल 23 स्टॉक एक्सचेंज हैं जिसमे से BSE को सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज मन जाता है, क्यूंकि इसमें 6000 से भी ज़्यादा कंपनियां लिस्टेड है।
  • पूरी दुनिया में यह ट्रांज़ैक्शन के नजरिये से 11 वां सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है।
  • बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को प्रेमचंद रॉयचंद द्वारा फंडिंग किया गया था।
  • वर्ष 1986 में BSE ने BSE SENSEX विकसित किया था, जो लगभग BSE में लिस्टेड कंपनियों के एक तिहाई ट्रांज़ैक्शन के बराबर का महत्व रखता है।

अंतिम शब्द

इस लेख के माध्यम से आपने यह जाना की NSE और BSE क्या है? और साथ ही इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों को भी आपने जाना। लेख से सम्बंधित किसी तरह की बात या विचार आपके मन में हो तब निचे कमेंट करके हमें अवस्य बताएं, धन्यवाद्।

Q: NSE का फुल फॉर्म क्या है?

उत्तर: अंग्रेजी में NSE का पूरा मतलब है National Stock Exchange of India .

Q: BSE का फुल फॉर्म क्या है?

उत्तर: अंग्रेजी में BSE का पूरा मतलब है Bombay Stock Exchange.

आकाश कुमार एक Tech-Enthusiast और एक Electronics and Communications Engineering Graduate हैं, और इनका Passion है ब्लॉगिंग करना और लोगो तक सही एवं शटीक जानकारी पहुँचाना। अपने फ्री समय में ये Spotify में गाना सुनना पसंद करते हैं।

प्राइमरी मार्केट क्या होता है? Primary Market in Hindi

Primary Market in Hindi इसका तार शेयर बाज़ार से जुड़ा हुआ है. कुछ लोग इसे अभिशाप तो कुछ इसे वरदान मानते हैं. जब शेयर बाजार में निवेश की शुरूआत हैं या करना चाहते हैं तो कई सारे शब्द सुनने को मिलता है जिसे सही से समझना जरूरी है. जानकारी के अभाव में लंबा नुकसान हो सकता है. शेयर बाज़ार को लोगों ने जितना जटिल बना दिया है सही मायनें में यह इतना जटिल नहीं है. इसके जटिल होने का मुख्य वजह कन्फ्यूजन है, और कन्फ्यूजन जानकारी के अभाव में होता है. यदि सही मायने में कहा जाये तो शेयर मार्केट इतना जटिल विषय नही हैं जितने जटिल उसके शब्द हैं. इन्ही शब्दों में एक शब्द है प्राइमरी मार्केट यानी प्राथमिक बाजार. तो आपको इस आर्टिकल में प्राइमरी मार्केट के बारे में जानकारी मिलेगी. शेयर मार्केट क्या है? पूरी जानकारी हमनें पहले दी दे दिया है.

Primary Market

Primary Market in Hindi

Table of Contents

प्राथमिक बाजार (प्राइमरी मार्केट) क्या है?

जब किसी कंपनी को अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने या नया बिजनेस शुरू करने के लिये पैसों की जरूरत होती है तो वह कंपनी उस जरूरत को पूरा करने के लिये नए शेयर या डिबेंचर जारी करती है और सीधे निवेशकों से पैसा प्राप्त करती है. यह प्रक्रिया प्राथमिक बाजार के तहत होती है. कंपनी मार्केट में आईपीओ के माध्यम से नये शेयर या डिबेंचर लांच करती है जो कि सीधे निवेशकों को बेचे जाते हैं. आसान शब्दों में कहें तो प्राइमरी मार्केट वह जगह है जहां सिक्यूरिटीज (प्रतिभूतियों) को अस्तित्व में लाया जाता है.

कैपिटल (पूंजी) का क्या अर्थ है?

जब किसी कंपनी को अपना बिजनेस चलाने के लिये धन की आवश्यकता होती है तो उस धन का कंपनी का कैपिटल कहते हैं. कपंनी कैपिटल दो तरह से प्राप्त करती है.

  1. शेयर जारी करके
  2. उधार लेकर

धन की वह अधिकतम मात्रा जो कंपनी नियमानुसार शेयर जारी करके प्राप्त करती है वह धन आथराइज्ड कैपिटल (अधिकृत पूंजी) कहलाता है. इस आथराइज्ड कैपिटल में से कंपनी शेयर जारी करके जो धन हासिल करती है वह शेयर कैपिटल कहा जाता है. कंपनी यह शेयर कैपिटल एक बार में या कई बार में प्राइमरी मार्केट में शेयर जारी करके हासिल कर सकती है.

कंपनी द्वारा शेयर जारी करके हासिल की गई पूंजी को पैडअप कैपिटल कहा जाता है. वहीं कंपनी कई बार शेयरों की कुल पूंजी का कुछ हिस्सा भविष्य में वापस ले लेती है, इस प्रकार नये जारी शेयरों की कुल पूंजी का वह हिस्सा जो कंपनी आंशिक रूप से कइट्ठा कर रही है वह काॅल्ड अप कैपिटल कहलाता है.

पैडअप कैपिटल

कंपनी की टोटल कैपिटल कई चीजों से मिलाकर बनती है जिनमें प्रमोटरों द्वारा निवेश की गई धनराशि, लोन द्वारा प्राप्त की गई धनराशि, तथा शेयर जारी करके प्राप्त की गई धनराशि आदि. इसमें कंपनी जो धनराशि शेयर जारी करके हासिल करती है उसे पेडअप कैपिटल कहते हैं.

कैपिटल इश्यू क्या होता है?

जब कोई कंपनी धन प्राप्त करने के लिये शेयर जारी करती है तो उसे कैपिटल इश्यू कहा जात है.

प्रीमियम इश्यू क्या है?

जब कंपनी नये शेयरों की कीमत फेस वैल्यू से ऊपर रखकर जारी करती है तो ऐसे इश्यू को प्रीमियम इश्यू कहते हैं. शेयर की फेस वैल्यू से ऊपर रखी गई कीमत उस शेयर का प्रीमियम कहलाती है.

आसान शब्दों में कहें तो मान लीजिये कोई कंपनी प्राइमरी मार्केट में कोई नया पब्लिक इश्यू लाती है एवं उसका प्राइस बैंड 75 से 80 रूपये तक रखती है जबकि शेयर की फेस वैल्यू 10 रूपये है तो ऐसे में 65 से 70 रूपये रूपये प्रति शेयर पर प्रीमियम है. यह प्रीमियम शेयर की बुक वैल्यू और पिछले तीन सालों में शेयर की कीमत आदि के आधार पर तय किया जाता है.

ओवर सबस्क्राइब्ड इश्यू किसे कहते हैं?

कंपनी जब मार्केट में कोई भी इश्यू जारी करती हैं तो उनकी एक निर्धारित शेयर मात्रा होती है. लेकिन कई बार कंपनी में कंपनी के पास शेयर की संख्या से ज्यादा निवेश के लिये आवेदन पहुच जाता है तो उस इश्यू को ओवर सबस्क्राइब्ड इश्यू कहते हैं.

मान लीजिये कंपनी ने 3 करोड़ रूपये का इश्यू जारी किया और उसके लिये 3 रूपये की कीमत से 1 करोड़ शेयर जारी किये. लेकिन निवेशकों की संख्या ज्यादा हो गई और कंपनी के पास शेयर खरीदने के लिये ज्यादा आवेदन हो गये तो इस प्रकार के इश्यू को ओबर सबस्क्राइब्ड इश्यू कहते हैं. ऐसे में कपंनी लाॅटरी सिस्टम के माध्यम से शेयरों को बांटती है. इसमें उन लोगों को पहले वरीयता दी जाती है जिन्होने ज्यादा शेयर खरीदने के लिये आवेदन किया था.

ऐट पार व अबोब पास क्या है?

जब किसी शेयर की कीमत उसके फेस बैल्यू के बराबर होती है तो यह शेयर एट पार कहलाता है वहीं जब शेयर की कीमत उसकी फैस वैल्यू से ज्यादा होती है तो उस शेयर पर प्रीमियम होता है ऐसी अवस्था को अबोव पार कहते हैं.

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Conclusion Primary Market

शुरुआत हमनें Primary Market बताने के लिए किया था लेकिन, यहां शेयर बाज़ार से संबंधित कई जानकारी सझा किया. शेयर बाज़ार बिना जानकारी के कभी भी नहीं कूदना चाहिए. जिस तरह जब तक तैरने का ABC सीखे बिना कोई पानी में नहीं कूदता है वैसे ही शेयर बाज़ार में भी पहले सीखिए फिर कूदिये. जैसे बिना पानी में कूदे तैरना नहीं सीख सकते हैं वसे ही शेयर खरीद बेच कर के ही शेयर बाज़ार सीख सकते हैं. उम्मीद है आपको प्राइमरी मार्केट से जुड़ी बेसिक बाते समझ में आ गई होंगी. यदि शेयर मार्केट से जुड़ा कोई भी सबाल आपके मन में हैं तो कमेंट बाॅक्स के माध्यम से पूंछ सकते हो. फाइनेंस व इन्वेंस्टमेंट से संबधित जानकारी पाने के लिये मुद्रा एक्सपी से जुड़े रहिये.

कम समय में चाहते हैं मोटा मुनाफा, तो आप ट्रेडिंग ऑप्शन पर लगा सकते हैं दांव

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी से मोटा मुनाफा संभव है.

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी से मोटा मुनाफा संभव है.

शेयर मार्केट के संबंध में अक्सर ट्रेंडिंग और निवेश शब्द सुनने को मिलते हैं. हालांकि, दोनों माध्यमों में निवेशकों का मकस . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : June 11, 2022, 14:52 IST

नई दिल्ली . शेयर मार्केट संबंधित चर्चा होते ही अक्सर ट्रेंडिंग और निवेश शब्द सुनने को मिलते हैं. कई लोग ट्रेडिंग और निवेश में फर्क नहीं कर पाते हैं. तो आपको बता दें कि ट्रेडिंग और निवेश के बीच सबसे अहम अंतर समय अवधि का है. निवेश की तुलना में ट्रेडिंग में समय अवधि काफी कम होती है. ट्रेडिंग कई प्रकार की होतीं हैं और ट्रेडर्स स्टॉक में अपनी पॉजिशन बहुत कम समय तक रखते हैं, जबकि निवेश वे लोग करते हैं, जो स्टॉक को वर्षों तक अपने पोर्टफोलियो में रखते हैं. अगर आप कम समय में मोटा मुनाफा चाहते हैं, तो ट्रेडिंग आपके लिए बेस्ट ऑप्शन साबित हो सकती है.

सिक्योरिटीज की खरीद-बिक्री की प्रक्रिया को ट्रेडिंग कहते हैं. फाइनेंसियल मार्केट की स्थिति और जोखिम के आधार पर ट्रेडिंग की विभिन्न स्ट्रेटेजी हैं. ट्रेडर्स अपने वित्तीय लक्ष्य के हिसाब से इनका चयन करते हैं. साथ ही विभिन्न प्रकार की ट्रेडिंग से जुड़े रिस्क और लागत को भी ध्यान में रखते हैं. आइए, यहां हम उन लोकप्रिय ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी की चर्चा करते हैं, जो अधिकतर ट्रेडर अपनाते हैं.

ये भी पढ़ें- LIC के शेयर में गिरावट से सरकार चिंतित, DIPAM सचिव बोले- अस्थायी है गिरावट

इंट्राडे ट्रेडिंग

शेयर बाजार में महज 1 दिन के कारोबार में भी मोटा प्रॉफिट कमाया जा सकता है. दरअसल, बाजार में एक ही ट्रेडिंग डे पर शेयर खरीदने और बेचने को इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday trading) कहते हैं. इस स्ट्रेटेजी के तहत शेयर खरीदा तो जाता है, लेकिन उसका मकसद निवेश नहीं, बल्कि 1 दिन में ही उसमें होने वाली बढ़त से प्रॉफिट कमाना होता है. इसमें चंद मिनटों से ले कर कुछ घंटे तक में ट्रेडिंग हो जाती शेयर मार्केट से जुड़े कुछ शब्द शेयर मार्केट से जुड़े कुछ शब्द है. हालांकि, यह जरूरी नहीं कि इंट्रोडे ट्रेडर्स को हमेशा प्रॉफिट ही होता हो. ट्रेडर्स अपना ट्रेड शेयर मार्केट बंद होने से पहले बंद करते हैं और प्रॉफिट या लॉस उठाते हैं. इसमें तेजी से निर्णय लेना होता है.

पॉजिशनल ट्रेडिंग

पॉजिशनल ट्रेडिंग (Positional trading) स्टॉक मार्केट की एक ऐसी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है, जिसमें स्टॉक को लंबे समय तक होल्ड किया जाता है. इस स्ट्रेटेजी के तहत ट्रेडर्स किसी स्टॉक को कुछ महीने से लेकर कुछ साल तक के लिए खरीदते हैं. उसके बाद उस स्टॉक को बेच कर प्रॉफिट या लॉस लेते हैं. उनका मानना होता है कि इतनी अ​वधि में शेयर के दाम में अच्छी बढ़ोतरी होगी. निवेशक आमतौर पर फंडामेंटल एनालिसिस के साथ टेक्निकल ग्राउंड को ध्यान में रखकर फंडामेंटल एनालिसिस के साथ टेक्निकल को ध्यान में रखकर यह स्ट्रेटेजी अपनाते हैं.

स्विंग ट्रेडिंग

स्विंग ट्रेडिंग (Swing trading) में टाइम पीरियड इंट्राडे से अधिक होता है. कोई स्विंग ट्रेडर अपनी पॉजिशन 1 दिन से अधिक शेयर मार्केट से जुड़े कुछ शब्द से लेकर कई हफ्तों तक होल्ड कर सकता है. बड़े टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी कम होने के साथ प्रॉफिट बनाने की संभावना काफी अधिक होती है. यही कारण है कि अधिकतर लोग इंट्राडे की अपेक्षा स्विंग ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं.

टेक्निकल ट्रेडिंग

टेक्निकल ट्रेडिंग (technical trading) में निवेशक मार्केट में मूल्य परिवर्तन की भविष्यवाणी करने के लिए अपने टेक्निकल एनालिसिस ज्ञान का उपयोग करते हैं. हालांकि, इस ट्रेडिंग के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं है. इसमें पॉजिशन 1 दिन से लेकर कई महीने तक रखा जा सकता है. शेयर मार्केट में कीमतों में उतार-चढ़ाव को निर्धारित करने के लिए अधिकतर ट्रेडर्स अपने टेक्निकल एनालिसिस स्किल का उपयोग करते हैं. टेक्निकल एनालिसिस के तहत देखा जाता है कि किसी शेयर मार्केट से जुड़े कुछ शब्द खास समय अवधि में किसी शेयर की कीमत में कितना उतार-चढ़ाव आया. इस अवधि में इसकी ट्रेड की गई संख्या में क्या कभी कोई बड़ा उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है.

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प्राइमरी मार्केट क्या होता है? Primary Market in Hindi

Primary Market in Hindi इसका तार शेयर बाज़ार से जुड़ा हुआ है. कुछ लोग इसे अभिशाप तो कुछ इसे वरदान मानते हैं. जब शेयर बाजार में निवेश की शुरूआत हैं या करना चाहते हैं तो कई सारे शब्द सुनने को मिलता है जिसे सही से समझना जरूरी है. जानकारी के अभाव में लंबा नुकसान हो सकता है. शेयर बाज़ार को लोगों ने जितना जटिल बना दिया है सही मायनें में यह इतना जटिल नहीं है. इसके जटिल होने का मुख्य वजह कन्फ्यूजन है, और कन्फ्यूजन जानकारी के अभाव में होता है. यदि सही मायने में कहा जाये तो शेयर मार्केट इतना जटिल विषय नही हैं जितने जटिल उसके शब्द हैं. इन्ही शब्दों में एक शब्द है प्राइमरी मार्केट यानी प्राथमिक बाजार. तो आपको इस आर्टिकल में प्राइमरी मार्केट के बारे में जानकारी मिलेगी. शेयर मार्केट क्या है? पूरी जानकारी हमनें पहले दी दे दिया है.

Primary Market

Primary Market in Hindi

Table of Contents

प्राथमिक बाजार (प्राइमरी मार्केट) क्या है?

जब किसी कंपनी को अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने या नया बिजनेस शुरू करने के लिये पैसों की जरूरत होती है तो वह कंपनी उस जरूरत को पूरा करने के लिये नए शेयर या डिबेंचर जारी करती है और सीधे निवेशकों से पैसा प्राप्त करती है. यह प्रक्रिया प्राथमिक बाजार के तहत होती है. कंपनी मार्केट में आईपीओ के माध्यम से नये शेयर या डिबेंचर लांच करती है जो कि सीधे निवेशकों को बेचे जाते हैं. आसान शब्दों में कहें तो प्राइमरी मार्केट वह जगह है जहां सिक्यूरिटीज (प्रतिभूतियों) को अस्तित्व में लाया जाता है.

कैपिटल (पूंजी) का क्या अर्थ है?

जब किसी कंपनी को अपना बिजनेस चलाने के लिये धन की आवश्यकता होती है तो उस धन का कंपनी का कैपिटल कहते हैं. कपंनी कैपिटल दो तरह से प्राप्त करती है.

  1. शेयर जारी करके
  2. उधार लेकर

धन की वह अधिकतम मात्रा जो कंपनी नियमानुसार शेयर जारी करके प्राप्त करती है वह धन आथराइज्ड कैपिटल (अधिकृत पूंजी) कहलाता है. इस आथराइज्ड कैपिटल में से कंपनी शेयर जारी करके जो धन हासिल करती है वह शेयर कैपिटल कहा जाता है. कंपनी यह शेयर कैपिटल एक बार में या कई बार में प्राइमरी मार्केट में शेयर जारी करके हासिल कर सकती है.

कंपनी द्वारा शेयर जारी करके हासिल की गई पूंजी को पैडअप कैपिटल कहा जाता है. वहीं कंपनी कई बार शेयरों की कुल पूंजी का कुछ हिस्सा भविष्य में वापस ले लेती है, इस प्रकार नये जारी शेयरों की कुल पूंजी का वह हिस्सा जो कंपनी आंशिक रूप से कइट्ठा कर रही है वह काॅल्ड अप कैपिटल कहलाता है.

पैडअप कैपिटल

कंपनी की टोटल कैपिटल कई चीजों से मिलाकर बनती है जिनमें प्रमोटरों द्वारा निवेश की गई धनराशि, लोन द्वारा प्राप्त की गई धनराशि, तथा शेयर जारी करके प्राप्त की गई धनराशि आदि. इसमें कंपनी जो धनराशि शेयर जारी करके हासिल करती है उसे पेडअप कैपिटल कहते हैं.

कैपिटल इश्यू क्या होता है?

जब कोई कंपनी धन प्राप्त करने के लिये शेयर जारी करती है तो उसे कैपिटल इश्यू कहा जात है.

प्रीमियम इश्यू क्या है?

जब कंपनी नये शेयरों की कीमत फेस वैल्यू से ऊपर रखकर जारी करती है तो ऐसे इश्यू को प्रीमियम इश्यू कहते हैं. शेयर की फेस वैल्यू से ऊपर रखी गई कीमत उस शेयर का प्रीमियम कहलाती है.

आसान शब्दों में कहें तो मान लीजिये कोई कंपनी प्राइमरी मार्केट में कोई नया पब्लिक इश्यू लाती है एवं उसका प्राइस बैंड 75 से 80 रूपये तक रखती है जबकि शेयर की फेस वैल्यू 10 रूपये है तो ऐसे में 65 से 70 रूपये रूपये प्रति शेयर पर प्रीमियम है. यह प्रीमियम शेयर की बुक वैल्यू और पिछले तीन सालों में शेयर की कीमत आदि के आधार पर तय किया जाता है.

ओवर सबस्क्राइब्ड इश्यू किसे कहते हैं?

कंपनी जब मार्केट में कोई भी इश्यू जारी करती हैं तो उनकी एक निर्धारित शेयर मात्रा होती है. लेकिन कई बार कंपनी में कंपनी के पास शेयर की संख्या से ज्यादा निवेश के लिये आवेदन पहुच जाता है तो उस इश्यू को ओवर सबस्क्राइब्ड इश्यू कहते हैं.

मान लीजिये कंपनी ने 3 करोड़ रूपये का इश्यू जारी किया और उसके लिये 3 रूपये की कीमत से 1 करोड़ शेयर जारी किये. लेकिन निवेशकों की संख्या ज्यादा हो गई और कंपनी के पास शेयर खरीदने के लिये ज्यादा आवेदन हो गये तो इस प्रकार के इश्यू को ओबर सबस्क्राइब्ड इश्यू कहते हैं. ऐसे में कपंनी लाॅटरी सिस्टम के माध्यम से शेयरों को बांटती है. इसमें उन लोगों को पहले वरीयता दी जाती है जिन्होने ज्यादा शेयर खरीदने के लिये आवेदन किया था.

ऐट पार व अबोब पास क्या है?

जब किसी शेयर की कीमत उसके फेस बैल्यू के बराबर होती है तो यह शेयर एट पार कहलाता है वहीं शेयर मार्केट से जुड़े कुछ शब्द जब शेयर की कीमत उसकी फैस वैल्यू से ज्यादा होती है तो उस शेयर पर प्रीमियम होता है ऐसी अवस्था को अबोव पार कहते हैं.

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Conclusion Primary Market

शुरुआत हमनें Primary Market बताने के लिए किया था लेकिन, यहां शेयर बाज़ार से संबंधित कई जानकारी सझा किया. शेयर बाज़ार बिना जानकारी के कभी भी नहीं कूदना चाहिए. जिस तरह जब तक तैरने का ABC सीखे बिना कोई पानी में नहीं कूदता है वैसे ही शेयर बाज़ार में भी पहले सीखिए फिर कूदिये. जैसे बिना पानी में कूदे तैरना नहीं सीख सकते हैं वसे ही शेयर खरीद बेच कर के ही शेयर बाज़ार सीख सकते हैं. उम्मीद है आपको प्राइमरी मार्केट से जुड़ी बेसिक बाते शेयर मार्केट से जुड़े कुछ शब्द समझ में आ गई होंगी. यदि शेयर मार्केट से जुड़ा कोई भी सबाल आपके मन में हैं तो कमेंट बाॅक्स के माध्यम से पूंछ सकते हो. फाइनेंस व इन्वेंस्टमेंट से संबधित जानकारी पाने के लिये मुद्रा एक्सपी से जुड़े रहिये.

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